वीडियो काल अटेंड करने से पहले हो जायें सावधान
नरेन्द्र
सिंह तोमर , एडवोकेट
80 फीसदी
आपराधिक वारदातों में की जाती है रैकी और
फिर हत्या से लेकर सायबर क्राइम और चोरीयों के लिये इस्तेमाल किये जाते हैं , मोबाइलों
की लोकेशन और आपकी लोकेशन और पृष्ठभूमि से लेकर हालातों और हालत की ट्रेसिंग
....
जहां इस समय
सायबर क्राइम का जोर बढ़ता जा रहा है ,
वहीं अभी भारत के पुलिस विभाग में न तो सायबर
क्राइम विशेषज्ञ उपलब्ध हैं और न तकनीकी जानकारी के विशेषज्ञ , केवल
एथिकल हैकिंग के कोर्स मात्र करे चंद लोगों के जरिये ही पुलिस विभाग अपना काम चला
रहा है जबकि सायबर क्राइम एक बहुत बड़ी व्यापक विधा है और इसका दायरा व क्षेत्र तकरीबन
आम आदमी के सभी निजी जीवन तक और प्रायवेसी तक पहुचता है ।
98 फीसदी आम
आदमी को पता ही नहीं चलता और पता ही नहीं हो पाता कि उसके छोटे से मोबाइल फोन या
उसके आई फोन या टेबलेट या डेस्कटाप के जरिये न तो उसका कुछ भी निजी रहा है और न
कोई भी जानकारी निजी रही है ।
मसलन कई बरस
पहले जब स्मार्ट फोन दुर्लभ थे और 10 हजार लोगों में से किसी एक पर स्मार्ट फोन
होता था । 3 जी नेटवर्क तक आदमी कुछ हद तक महफूज था । भारत में 4 जी नेटवर्क के
साथ तमाम दुष्टतायें अपने आप ही साथ आ गईं । लेकिन 4 जी के साथ , सावधानियां
और सुरक्षायें कंपनीयां उपलब्ध नहीं करा पाईं । या धन के लालच और प्रतिस्पर्धा से
भयभीत होकर बाजार कैप्चर हाथ से निकल जाने के डर या लोभ लालच से जानबूझ कर नहीं
कराई गईं । अब तो 5 जी का टर्निंग टाइम है ,
भारत में 5 जी की लांचिंग और टेस्टिंग 2018
में की गई थी और सितंबर 2018 तक इसे आम लोगों के लिये लांच करने की घोषणा की गई थी
, लेकिन
किसी वजह से इसे पहले जनवरी 2019 तक फिर सितंबर 2019 तक बढ़ाया गया , सन
2019 में 5 जी की स्पेक्ट्रम की नीलामी की गई , इसे दो कंपनीयों ने
खरीदा और बाद में एक अन्य कंपनी ने भी खरीदा । कंपनीयों ने सन 2019 में इसे जनवरी
2020 में चालू करने की घोषणा की ,
लेकिन कंपनीयां स्पेक्ट्रम खरीदने के बावजूद
इसे अक्टूबर 2020 बीतने तक भारत में शुरू नहीं कर पाईं । जबकि 5 जी फोन बाजार में
जनवरी 2020 के पहले ही सन 2019 में बाजार में आ गये ।
खैर नेटवर्क
में कोई सी भी हो , मुख्य
खतरा जहां से शुरू होता है उसमें पांच चीजें प्रमुख हैं 1. डिवाइस ( कम्प्यूटर , मोबाइल
, लैपटाप
, आई
फोन आदि , डिवाइस
की सम्यक परिभाषा आई टी एक्ट 2000 में देखें , यही परिभाषा व्यापक
है , जिसमें
किसी कम्यूनिकेशन डिवाइस को शामिल किया गया है चाहे वह कोई भी उपकरण हो और जिसका
इस्तेमाल किसी भी संचार में या किसी भी माध्यम में आता हो जो किसी आवाज , इमेज
, फोटो, वीडियो
, या
टेक्स्ट – लेख को कम्यूनिकेट करती हैं और संगृहीत की जाती हैं तथा एक जगह से दूसरी
जगह स्थानांतरणीय और हस्तांतरणीय हैं ) चाहे वह फिजिकल हो , आप्टीकल
हो या वायरलेस हो या इन्फ्रा रेड टेक्नालाजिकल कोई भी ( इन्फ्रारेड को सामान्य
भाषा में आई आर कहा जाता है ) ,
कोई मॉडम या रूटर , कैमरा
, ड्रॉन
आदि सभी ( जिन के लिये गृह मंत्रालय द्वारा लायसेंस जारी किया जाता है वे मालवाहक
ड्रोन , बगैर
लायसेंस लिये कोई भी शख्स या कंपनी या सर्विस प्रोवाइडर कैसा भी कोई ड्रान कहीं भी
नहीं , कभी
भी नहीं उड़ा सकता या चला सकता है ) इस संबंध में गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा
विस्तृत निर्देश एवं नियमावली व अनुज्ञप्ति विधान जारी किये गये हैं , ग्वालियर
टाइम्स इन्हें सम्यक अवसर पर प्रकाशित करेगी । डिवाइसों की सेटिंग प्रमुख विषय
वस्तु है , जिसमें
प्रायवेसी और सिक्योरिटी सेटिंग्स ( निजता ,
गोपीयता और सुरक्षा सेटिंग ) प्रमुख हैं
इन्हें सोच समझ कर अपनी आवश्यकता नुसार बेहद सख्त मोड पर सेट करके रखना चाहिये , यदि
वायरलेस या आई आर के जरिये इन सेटिंगों से कोई छेड़छाड़ करता है या पासवर्ड चुराता
है या किसी या सारी सेटिंग्स अल्टर करता है या किसी डिवाइस को फेब्रिकेट करता है , जाली
डिवाइस या सिम क्लोन करके बनाता या इस्तेमाल करता है तो यह सब सायबर क्राइम् के
तहत आता है और आई पी सी की तमाम धाराओं सहित , आई टी एक्ट 2000 के
तहत परिभाषित अपराध हैं और इनकी सजा आजीवन कारावास तक निर्घारित है ।
2. सिम –
दूसरे पहलू में सिम कार्ड चाहे वह फिजिकल सिम हो या इलेक्ट्रानिक या ई सिम हो या
किसी सिम से कनेक्ट होने वाला आई आर या वायरलेस नेटवर्क हो जिसमें डब्ल्यू पी एस , वाई
फाई , वी
पी एन , डायरेक्ट
वायरलेस / डब्ल्यू पी एस कनेक्टिविटी आदि शामिल हैं । किसी ऐसी कंपनी की सिम लें
जिसमें कंपनी किसी भी फ्री योजना में या प्रथम रीचार्ज ( एफ आर सी ) में लाइव , फ्री
टी वी पैक , फ्री
सबस्क्रिप्शन ( डाटा और कालिंग के अलावा ) उपलब्ध न कराती हो , सिमों
को बेचने की यही योजनायें लोभ लालच में आदमी के साथ होने वाली वारदातों की मुख्य
वजह बनती है और अपराधी जो कि अधिकतर सिम विक्रेताओं से जुड़े रहते हैं , ऐसी
सिमों / नई सिमों ( अपराधीयों की भाषा में इन्हें कमजोर सिम या सिमों की कमजोरी
कहा पुकारा जाता है और ऐसी सिमों को और सिम धारक को अपना टारगेट बनाया जाता है , सिम
सुरक्षा के लिये सबसे अव्वल सिम कार्ड में लाक डाल कर रखना चाहिये । सिम लाक खोलने
के लिये अपराधी को लाक पासवर्ड डालना पड़ेगा , और पी यू के कोड
जानने की जुगत लगानी होगी । अगर आपका पी यू के कोड अपराधी किसी तरह से जान लेते
हैं तो आप बजाय सिम बदलने के लिये अपना सिम पोर्ट करा दें , इसे
एम एन पी कहा जाता है , कंपनी
बदलते ही आपका पी यू के कोड अपने आप बदल जायेगा ।
अपराधी
सामान्यत: ( 90 प्रतिशत सिम संबंधी क्राइमों में ) आपके सिम लाक कोड, पी
यूके कोड , स्थानीय
सिम विक्रेताओं या लोकल सिम डीलर से आसानी से हासिल कर लेते हैं , उसके
बाद आपकी सिम को लास एंड डेमेज करने का खेल शुरू होता है और आपके ओटीपी , पासवर्ड
, वीडियो
कालिंग , डिवाइसों
पर कम्यूनिकेशन , कालिंग
, सिंक्रोनाइजिंग
, क्लाउड
सिंक्रोनाइजेशन आदि आपके उस नंबर की सारी की सारी अपराधी हासिल कर लेते हैं । कैसे
किया जाता है यह इसी आलेख समाचार में आगे पढ़ें ।
3. इंटरनेट
सर्फिंग / ब्राउजिंग / हैबिटस / क्लोनिंग / सिंक्रोनाइजेशन/ ट्राझन्स / की लागर्स
/ मालवेयर्स तथा वायरस आदि
4. सीक्रेट/
हिडन डिवाइसेज और एप्लीकेशन्स /
साफ्टवेयर्स आदि जैसे मोबाइलों में हिडन कैमरा एप्लीकेशन इंस्टाल करना
5. सभी
प्रकार की ट्रेसिंग डिवाइसेज / सभी प्रकार की ट्रेसिंग एप्लीकेशन्स / साफ्टवेयर्स
आदि चाहे वे आफलाइन काम करतीं हों / चाहे वे आनलाइन काम करतीं हों या चाहे वे बैकग्राउंड
में काम करतीं हों ( सभी आई पी सी और आई टी एक्ट में परिभाषित अपराध हैं
शेष
अगले अंक में ........ कुछ केसेज सायबर
क्राइम मुरैना जिला तथा कैसे बनाया जाता है आपको शिकार और कैसे आपकी जान माल खतरे
में है , कैसे
बचें आप इन अपराधीयों से ,
कैसे करते हैं अपराधी आई टी और सायबर
का इस्तेमाल करते हैं अपराधी ,
पुलिस कहां और कैसे असफल होती है , कैसे
पुलिस में ही घुसे बैठे हैं 90 फीसदी सायबर अपराधी ....
नरेन्द्र
सिंह तोमर ,
एडवोकेट ( आई टी एवं सायबर क्राइम
स्पेशलिस्ट , म. प्र उच्च
न्यायालय ,
खंड पीठ . ग्वालियर हाई कोर्ट , जिला
एवं सत्र न्यायालय मुरैना
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