विशेष
शनिचरा मंदिर पर मेला 30 अगस्त को सभी तैयारियां पूर्ण
प्रस्तुति – जिला जनसम्पर्क कार्यालय मुरैना म.प्र
शनिचरी अमावस्या के दिन शनि की पूजा अर्चना और काली वस्तुओं का दान करना विशेष शुभदायी माना गया है । शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या पर शनि तीर्थ शनिचरा पर विशाल मेला का आयोजन होता है, जिसमें देशभर के लाखों श्रध्दालु आते हैं । इस वर्ष 30 अगस्त 2008 को पड़ने वाली शनिचरी अमावस्या पर लगभग दो लाख श्रध्दालुओं के पहुचने की संभावना है । जिला प्रशासन ने मेला की सभी तैयारियां और व्यवस्थायें पूर्ण कर ली हैं । |
मुरैना 26 अगस्त 08/ उल्लेखनीय है कि मुरैना जिला मुख्यालय से 37 किलोमीटर दूर एेंती ग्राम में स्थित शनि देव प्राचीन मंदिर है । ऐसी मान्यता है कि महाराष्ट्र के प्रसिध्द शनि सिंगणापुर में स्थापित शनि शिला भी सन् 1817 में इसी शनि पर्वत से ले जाई गई थी, जो खुले आकाश में एक विशाल चबूतरें पर स्थापित है और श्रध्दालुओं के धर्म और श्रध्दा का प्रतीक बनी हुई है । शनि ग्रह को सौर मंडल का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है, जो व्यक्ति के कर्मानुसार अच्छे और बुरे फल प्रदान करता है । शनिदेव को मृत्यु लोक का न्यायाधीश कहा जाता है ।
पुराणों के अनुसार सूर्य देव की द्वितीय पत्नी छाया के गर्भ से जन्में शनि के श्याम वर्ण को देख कर सूर्य ने अपनी पत्नी पर आरोप लगायें और शनि को अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया । तभी से शनि देव अपने पिता सूर्य से शत्रुभाव रखते हैं। इन्होंने भगावान शिव की कठोर तपस्या पर अनेक शक्तियां प्राप्त की और नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया । यमराज शनिदेव के भाई और यमुना बहिन है । भाई दूज पर यमुना स्नान करने वाले भाई बहिनों को शनि और यम की पीड़ा नहीं सताती । स्वभाव से गम्भीर त्यागी, तपस्वी, हठी, क्रोधी शनिदेव न्यायप्रिय हैं और हनुमान, काल भैरव, बुध और राहू के मित्र हैं तथा कुम्भ और मकर इनकी प्रिय राशि है । शनि देव व्यक्ति के सुख और स्वास्थ्य पर भी अपने ढंग से प्रभाव डालते हैं । शनि के शुभ प्रभाव से दीर्घ कालिक प्रसिध्द की प्राप्ति होती हैं, जबकि अशुभ प्रभाव होने पर व्यक्ति को दुख, मानसिक प्रताड़ना, दारिद्रय, भय तथा उदर, नेत्र , दांत रोगों के साथ ही अंग-भंग जैसे दु:ख झेलने पड़ते हैं ।
शनिचरी अमावस्या के दिन शनि की पूजा अर्चना करने से शनि देव विशेष फल देते हैं । इस वर्ष 30 अगस्त को शनिचरी अमावस्या पर विशाल मेला का आयोजन किया गया है । कलेक्टर श्री रामकिंकर गुप्ता ने मेला की सभी आवश्यक तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्था को अंतिम रूप दे दिया है । अधिकारियों को व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंप दी गई है । मेला की व्यवस्थाओं हेतु सम्पन्न बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार शनिचरी अमावस्या के दिन मंदिर प्रांगण में स्थित स्नान कुण्ड को लोहे की मोटी जाली से ढक दिया जायेगा और मोटर लगाकर पाइप लाइन के जरिये इस कुण्ड से पानी मंदिर प्रांगण के वाहर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जायेगा जहां दर्शनार्थी इस का उपयोग स्नान के रूप में कर सकेंगे । मेला के पूर्व 28 अगस्त से मेला समाप्ति तक अस्थाई रूप से स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किया जायेगा और बिकने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जायेगा । इसके लिए संबंधित अधिकारी सतत निगरानी और पर्यवेक्षण करेंगे । पेयजल के लिए जगह-जगह टोंटी युक्त टेंकर रहेंगे ।
शनिदेव पर तेल चढाने के लिए श्रध्दालु कांच की शीशी में तेल नहीं ले जा सकेंगे । दुकानदार पॉलीथिन की थैली में ही तेल विक्रय करेंगे । मूर्ति पर सीधे तेल नहीं चढ़ाया जायेगा। इसके लिए मुख्य मंदिर गेट से मूर्ति तक पाइप लगाया जायेगा और उसके जरिये तेल चढ़ाया जायेगा । धर्म शाला का उपयोग भी अस्पताल, अमानती सामान घर और कन्ट्रोल रूम के रूप में किया जायेगा। श्रध्दालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए आने जाने वाले वाहनों पर ओवर लेडिंग को सख्ती से रोका जायेगा ।
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