माहात्म्य वर्णन के साथ श्रीमद्भागवत कथा प्रारंभ, पहले ही दिन समॉं बांधा पियूष महाराज ने
- कथा श्रवण में पूर्ण तन्मयता और समर्पण हो तभी कल्याण संभव, पद्म पुराण, हनुमान चालीसा, रामचरित मानस सहित वेद, उपनिषदों और श्रीद्भगद्गीता के उपदेश भी सुनाये
- जिले भर के अलावा अन्य प्रदेशों के राजपूत राजघरानों सहित आम जनता उमड़ी कथामृत का आनंदपान करने हेतु
- मुरैना पुण्य नगरी और भगवान कृष्ण का लीला क्षेत्र, श्रीमद्भागवत की कथा के नाम पर श्रीमद्भागवत वाचन ही श्रेष्ठ
- रात्रि 8 बजे से प्रतिदिन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की रास लीला होगी
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
मुरैना 1 मई 08, आज अंचल में बहुप्रतीक्षित श्रीद्भागवत कथा का शुभारम्भ जिले के विख्यात होटल राधिका पैलेस के प्रांगण में अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वृन्दावन के मशहूर कथा व्याख्याता आचार्य पियूष महाराज एवं उनकी सत्संगति द्वारा किया गया ।
इस कथा का आयोजन मुरैना जिला के प्रसिद्ध तोमर राजपूत उद्योगपति एवं व्यवसायी परिवार एस.के.टी़. परिवार द्वारा किया गया है । होटल राधिका पैलेस इसी समूह का अंचल का विख्यात होटल है ।
इस आयोजन में जिले भर के प्रसिद्ध व प्रतिष्ठित राजपूत परिवार व राजघराने कथा श्रवण के रसपान हेतु पधारे हैं वहीं अन्य प्रदेशों के भी अनेक विख्यात राजपूत राजघराने कथा के श्रवण हेतु इस समय यहॉं आये हुये हैं । इसके अतिरिक्त आम जनता भी भारी संख्या में कथा श्रवण हेतु उमड़ी है ।
एस.के.टी. परिवार ने राधिका पैलेस के विशाल प्रांगण को कथा आयोजन के स्थल के रूप में अत्यंत सुन्दर व मनोहारी रूप से सज्जित किया है वहीं सभी को सादर आमंत्रित भी किया है ।
कथा के पहले दिन ही आचार्य पियूष जी महाराज ने अपनी अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के अनुसार ही अपनी सरस मंत्रमुग्ध करने वाली वाणी का ऐसा समां बांधा कि लोग चमत्कृत होकर उनकी कथा ही सुनते रह गये ।
श्री पियूष जी महाराज ने पहले दिन श्रीमद्भागवत के विस्तृत माहात्म्य पर विस्तार से प्रकाश डाला, और लगभग सभी धर्म ग्रन्थों व हिन्दू शास्त्रों के रोचक वर्णन के साथ श्रीमद्भागवत की महत्ता व उत्तमता का वर्णन किया एवं इसकी कथा श्रवण की उपयोगिता व महत्व के रहस्य उद्बोधन के साथ शुकदेव जी द्वारा राजा परीक्षत को इस कथा के सुनाये जाने के वृत्तान्त का वर्णन किया ।
श्री पियूष जी महाराज ने अपने व्याख्यान के दौरान कहा कि कथा सुनने से कुछ नहीं होता और न कथा का कहा जाना ही महत्वपूर्ण होता है । महत्वपूर्ण व उपयोगी तो यह है कि कथा सुनायी कैसे गयी और क्या सुनायी गयी, और सुनने वाले ने उसे कैसे सुना, कैसे ग्रहण किया कैसे सुना ।
कथा के नाम पर बकबोलापन नहीं मूल श्रीमद्भागवत कथा ही होनी चाहिये तो ही कथा कथा है वरना वाचन श्रवण सब व्यर्थ है ।
श्री पियूष जी महाराज ने मुरैना को पुण्य नगरी बताते हुये इस अंचल की श्रेष्ठता का भी वर्णन किया और भगवान श्रीकृष्ण की बृहद लीला स्थली बताते हुये मुरैना से भगवान श्रीकृष्ण की आत्मीयता और गूढ़ प्रेम का भी रहस्य खोला । मुरैना वासीयों पर भगवत कृपा तथा साक्षात श्रीकृष्ण के इस क्षेत्र में राधा जी सहित उपस्थित रहने के भावों का भी विस्तृत वर्णन किया ।
श्री पियूष जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा का मय श्र्लोकों के उच्चारण करते हुये शुभारम्भ किया और श्रीमद्भागवत की प्रारंभिक कथा का सभी उपस्थितजन को मनमोहक रसपान कराया ।
एस.के.टी. परिवार ने गली मोहल्लों के चौराहों पर स्पीकर लगवा कर घरों पर ही लोगों को कथा का आनन्द लेने का अवसर भी उपलब्ध कराया है जिसके चलते हजारों लागों ने घरों में बैठकर ही इस मोहक कथा प्रारंभ का भरपूर आनन्द उठाया ।
कथा के साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की रास लीला का भी आयोजन रोज रात्रि को 8 बजे से कथा स्थल पर ही होगा । इसे पद्मश्री पुरूस्कार प्राप्त शर्मा समूह द्वारा नित्य सायं प्रस्तुत किया जायेगा ।
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