राज्य सरकार का तर्कशास्त्र - प्रदेश में कम बिजली की वजह केन्द्र को बताई हकीकत
योगेश शर्मा
राज्य सरकार अपनी हरसंभव कोशिश से प्रदेश में बिजली के इंतजाम को लेकर मुस्तैद है। हर जरूरी उपाय करने में कोई ढिलाई नहीं की गई है, लेकिन बावजूद इसके बिजली की मौजूदा कमी के पीछे ऐसे कारण हैं जिनकी अनदेखी नहीं हो सकती। केन्द्र के समक्ष ऐसी ही वास्तविकताओं को उजागर कर बिजली मुहैया कराने की लगातार पैरवी की जा रही है।
ऊर्जा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक केन्द्र का ध्यान 210 मेगावॉट क्षमता की अमरकंटक ताप विद्युत विस्तार इकाई के शुरू होने में देरी की ओर आकृष्ट किया गया है। यह सच्चाई बताई गई है कि मैसर्स बी.एच.ई.एल. के जरिए किए जाने वाले इस काम को 28 फरवरी 2007 तक पूरा हो जाना था। इसकी धीमी रफ्तार के चलते यह इकाई अब तक काम शुरू नहीं कर सकी है। अब आयल फायरिंग के जरिए इसके मई 2008 के अंत तक शुरू करने की संभावना बताई गई है। सच्चाई यह है कि अब तक इस इकाई में हुए काम की रफ्तार के मद्देनज़र इसका मई तक पूरा होना संभव नहीं जान पड़ता और ऐसे में यह अपनी पूरी क्षमता में सितंबर-अक्टूबर, 2008 के पूर्व शायद ही काम कर सके।
केन्द्र के समक्ष यह तथ्य भी उजागर किया गया है कि बी.एच.ई.एल. द्वारा 500 मेगावॉट क्षमता वाली बिरसिंहपुर ताप विद्युत विस्तार इकाई क्रमांक-5 के काम में भी देरी की गई है। आश्चर्यजनक बात यह है कि 10वीं पंचवर्षीय योजना के तहत कायम होने वाली इस इकाई को तो सितंबर 2006 तक काम शुरू कर देना था। बेवजह की देरी के चलते यह इकाई 2007 में क्रियाशील तो हुई, लेकिन इसमें ई.एस.पी., फेन्स और अन्य तकनीकी कार्यों को अधूरा छोड़ दिया गया। इसका नतीजा यह हुआ है कि वर्तमान में इससे 500 की बजाय केवल 300 मेगावॉट उत्पादन ही हो पा रहा है। इसी इकाई की दूसरी सच्चाई यह भी है कि इसमें इस्तेमाल किये गये कम गुणवत्ता के सामान की वजह से यह बार-बार बंद हो रही है। भीषण गर्मी में विद्युत कटौती करना इन हालात में मजबूरी है।
केन्द्र को इस सच्चाई से भी रूबरू कराया गया है कि वर्ष 2004 में प्रदेश को पूर्वी क्षेत्र के अनावंटित कोटे से 350 मेगावॉट बिजली आवंटित की गई थी। बाद में इसे क्रमश: कम करते हुए केवल 46 मेगावॉट कर दिया गया। दिसंबर 2007 में तो केन्द्रीय बिजली मंत्रालय ने हद करते हुए इस कोटे को और घटाकर केवल 31 मेगावॉट कर दिया। दु:खद पहलू यह है कि पूर्व के आवंटन को बहाल करने के लिये केन्द्र से लगातार आग्रह किया गया लेकिन अब तक कोई कार्रवाई वहां से नहीं की जा सकी है।
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