मंगलवार, 16 अक्टूबर 2007

किसानों को मिट्टी की प्रवृति के आधार पर उर्वरक उपयोग करने की सलाह

किसानों को मिट्टी की प्रवृति के आधार पर उर्वरक उपयोग करने की सलाह

 

मुरैना 15 अक्टूबर2007 // किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा किसानों को अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए मिट्टी की प्रवृति के आधार पर उर्वरकों का उपयोग करने की सलाह दी गई है ।

       उप संचालक कृषि के अनुसार खेतों में लगातार अधिक मात्रा में उवर्रकों का उपयोग करने के बाबजूद भी पैदावार कम होती जा रही है । इसका मुख्य कारण मिट्टी की प्रवृति के आधार पर उर्वरक का उपयोग नहीं करना है । किसानों को चाहिए कि वे अपने खेत का नमूना लेकर मिट्टी का परीक्षण करायें । परीक्षण कराने के उपरांत भूमि में जिस तत्व की कमी हो, उसकी पूर्ति के प्रयास किये जांय और उसी के अनुसार उर्वरक का उपयोग किया जाय ।

       मिट्टी परीक्षण की प्रक्रिया काफी आसान है । इसके लिए अपने खेत से चार स्थानों पर 6 इंच गहरे गड्डे खोदकर उसकी मिट्टी निकाल कर तथा उसे मिलाकर चार हिस्सा बनायें जांय । इसमें से एक हिस्सा मिट्टी थैली में भरकर उस पर खेत का सर्वे और खसरा नम्बर तथा पूरा पता लिखकर परीक्षण हेतु प्रयोग शाला भेजा जाय । नमूना परीक्षण कराने के लिए 5 रूपये का शुल्क देना होगा । मिट्टी परीक्षण उपरांत सिफारिश अनुसारर उर्वरक का उपयोग किया जाय ।

       जिले की अधिकांश भूमि में फास्फोरस स्थरीकरण की समस्या अधिक है । इस कमी को दूर करने के लिए फोस्फोरस सोलूवल वैक्टैरिया के पांच से दस पैकेट प्रति बीघा के मान से खेत की तैयारी के समय डाले जा सकते हैं । कृषि विकास विभाग में यह पैकेट 4 रूपये की विक्रय दर पर उपलब्ध हैं । इसमें 50 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा ।

 

कोई टिप्पणी नहीं :