चम्बल में नक्सलवाद बनाम एक नई चुनौती
नक्सलवाद के आरोपी आज बीच शहर में कलेक्टर के सामने आयोजित करेंगे प्रदर्शनी
नरेन्द्र सिंह तोमर 'आनन्द'
मुरैना । 23 जुलाई । आज दैनिक भास्कर में भिण्ड ब्यूरो से खबर आई है कि चम्बल में नक्सलाइट गतिविधियां संचालित हो रहीं हैं और इसके लिये नक्सलियों द्वारा बाकायदा एक फौज तैयार की जा रही है जिसे सशस्त्र प्रशिक्षण दिया जा रहा है और इन गतिविधियों के पीछे एकता परिषद नामक संगठन बाकायदा प्लानिंग के साथ काम कर रहा है ।
इस खबर से मुझे एक स्वाभाविक विचारोत्तेजना होनी थी, क्योंकि जहॉं खबर काफी चौंकाने वाली है वहीं ठीक आज ही एकता परिषद मुरैना शहर के ठीक बींचोबीच एक प्रदर्शनी का आयोजन करने जा रहा है वह भी कलेक्ट्रेट के दरवाजे पर । जहॉं खबर में भिण्ड के पुलिस अधीक्षक का मंतव्य भी प्रकाशित है और वह लगभग सहमत और संस्वीकृत करते नजर आते हैं कि चम्बल में नक्सली गतिविधियों और सशस्त्र प्रशिक्षण की खबर सही व पुष्ट है । एकता परिषद नामक संगठन को बॉक्स बनाकर नक्सलियों की गतिविधियों का संचालक संगठन कहा गया है ।
चम्बल वासीयों के लिये डकैत समस्या एक पुराना व घिसा पिटा विषय है, लेकिन नक्सली व नक्सलवाद एक नया व रोचक विषय है । यदि खबर सही है तो निसंदेह चिन्ताजनक है । क्योंकि चम्बल का 90 प्रतिशत भाग राजपूतों की बसाहट से समृद्ध है और यदि राजपूत नक्सलवाद से जुड़ते हैं तो वाकई एक खतरनाक संकेत है, और समूचे देश के लिये खतरनाक है, संभवत: लोकतंत्र के लिये ही खतरा है । यह जगजाहिर है राजपूत युद्ध निपुण व युद्ध साहस से परिपूर्ण कौम है, इनका किसी भी नक्सली गतिविधि या आतंकवाद जैसी विषबेलों से जुड़ना भारतीय लोकतंत्र के अस्तित्वमात्र के लिये खतरा है , क्योंकि नजदीक ही राजस्थान और उत्तरप्रदेश की सीमायें भी चम्बल में हैं वहॉं भी राजपूतों का बाहुल्य बोलबाला और प्रबलता है, और इन तीनों प्रदेश के राजपूत आपस में रिश्तेदार हैं, नजदीक ही मालवा और रीवा सीधी तथा ग्वालियर अंचल के राजपूत भी आपस में रिश्तेदार हैं । यह एक बहुत बड़ी श्रंखला है जिसकी ताकत भी असीम है । और इस कौम में नक्सलवाद का प्रवेश कतई शुभ संकेत नहीं है ।
यदि ऐसा कुछ है तो न तो पुलिस का मुखबिर तंत्र ही कुछ कर पायेगा और न भारत की मिलिट्री ही इस समस्या को निबटा पायेगी । चूंकि खबर नई है और शुरूआती है सो सरकार के तुरन्त चेत जाना चाहिये और उस खास वजह का पता लगाना चाहिये कि यदि वाकई ऐसा हो रहा है तो क्यों हो रहा है । और तुरन्त समस्या का समाधान चालू कर देना चाहिये । वरना न देश रहेगा न प्रदेश और आप मुँह ताकते रह जायेंगें ।
जहॉं एकता परिषद पर पूर्व में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह प्रतिबंन्ध लगा चुके है, तो यह तो जाहिर है कि दिग्विजय सिंह ने कुछ सोच समझ कर ही ऐसा निर्णय लिया होगा क्योंकि दिग्विजय सिंह किसी खोखले मस्तिष्क का नाम नहीं है, बल्कि शायद सबसे अधिक चतुर और बारीक विश्लेषण क्षमता युक्त सटीक व कठोर निर्णय लेने वाले मुख्यमंत्री रहे हैं ।
मुरैना के पुलिस अधीक्षक डॉ. हरी सिंह यादव बार बार लगभग हर बार कहते रहे हैं कि ठीक है डकैतों का सफाया और भय व आतंक से निजात बेशक हम दिला रहे हैं लेकिन यहॉं के बच्चों को उचित मार्गदर्शन, सुसंस्कार व रोजगार दिया जाना चाहिये, यहॉं के स्थानीय लोगों को उद्योग धन्धों व विकास में लगाना चाहिये, उन्हें अवसर मुहैया कराये जाना चाहिये ।
डॉ हरी सिंह यादव जहॉं एक परिपक्व अनुभवी पुलिस अधीक्षक हैं वहीं उनकी, सुनवाई, कार्यवाही और अप्लाई वाली कार्यप्रणाली निसंदेह गजब की है, जहॉं उनका एक कठोरतम सख्त स्वरूप नजर आता है वहीं दयालुता सहानुभूति और ईमानदारी से भी उनका व्यक्तित्व लवरेज नजर आता है । हनुमान जी के परम भक्त डॉ. यादव के पास टेलीपैथिक संदेश भेजने और प्राप्त करने की अदभुत व अनोखी शक्ति है यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है । उनका चिन्तन, सोच व साधना उच्चकोटि की व दोषरहित है, इसमें संशय नहीं और डॉक्टर हरी सिंह के उक्त वाक्य कई बार अखबारों में छपते रहे हैं , जो चम्बल की सौ फीसदी सच्चाई है ।
किसी भी सरकार ने सहॉं के लोगों की रोजी रोटी और रोजगार व्यवसाय की ओर कभी ध्यान नहीं दिया, यहॉं के बेरोजगारों और उनकी भावनाओं व देशभक्ति एवं ईमानदारी को परखने की कोशिश ही नहीं हुयी । जिसने भी शिकायत की उसे शिकायती कह कर बदनाम कर दिया । फरियादें रददी की टोकरियों में पड़ी सड़ें और भ्रष्ट एवं अपराधी ठहाके लगा कर छाती पर मूंग दलें और आपकी ईमानदारी देशभक्ति और बेरोजगारी का उपहास उड़ायें । गरीब की लड़की हर भ्रष्ट और पैसे वाले को मनोरंजन व हवस का साधन नजर आये तो बोलो गरीब क्या करे ।
चम्बल में डकैत जर, जोरू, जमीन के लिये बनते रहे हैं, चम्बलवासीयों के पास स्वाभिमान और देशभक्ति के साथ ईमानदारी का जहॉं अकूत खजाना है वहीं भ्रष्टाचार व अन्याय अत्याचार से लड़ने के लिये अदम्य साहस और बेशुमार ताकत और तासीर है ।
आप भ्रष्टाचार तुरन्त खत्म करिये, अन्याय, अनसुनेपन, नाकारापन और अत्याचार से तुरन्त देश को छुटकारा दिलाईये, बच्चों को रोजगार और धन्धा दीजिये वरना जो हालात हैं, और नौजवान जिस कदर भटक और भड़क रहे हैं , उससे स्पष्ट जाहिर है कि संभवत: जल्दी ही तगड़ा खूनी खेल शुरू होने वाला है इसमें शक नहीं । जिसे पढ़े लिखों की भाषा में गृहयुद्ध कहते हैं ।
इसमें भी संशय नहीं कि पिछले एक दो साल में एकता परिषद ने अपने संगठन का भारी बड़ा विस्तार किया है और प्रशिक्षण की शिविर भी आयोजित किये हैं । चम्बल में इसका नेतृत्व ठाकुरों के हाथ में है । मेरे पास पक्की खबर है कि इसमें काम करने वाले कार्यकताओं को बाकायदा तनख्वाह मिलती है और कई पुलिस वालों के बच्चे भी इसमें कार्यकर्ता हैं, हर काम का अलग से पैसा और वह भी तगड़ा पैसा तथा हर प्रशिक्षण में भाग लेने का भी पैसा, प्रश्न यह है कि आखिर यह पैसा आ कहॉं से रहा है और पैसों के लिये इसमें भर्ती हो रहे लोगों का अंतिम उददेश्य आखिर क्या है । खैर आज कलैक्ट्रेट पर इनकी फोटो प्रदर्शनी है, वैसे मेरी रूचि वहॉं जाने की नहीं थी, लेकिन दैनिक भास्कर की खबर के बाद तो अब वहॉं जाना ही पड़ेगा कि आखिर तथाकथित नक्सलवाद के आरोपी ऐन कलेक्टर के मुँह पर खड़े होकर आखिर क्या दिखाना चाहते हैं । और प्रशासन व पुलिस क्या करते हैं ।
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