नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की
मुरैना 11 अक्टूबर 09 (दैनिक मध्यराज्य) ग्राम जौरा खुर्द में हो रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर श्रीमद् भागवत की मार्मिक कथा का श्रवण कराते हुये पं. राघवेन्द्र पाराशर शास्त्री ने कहा कि प्रत्येक परिस्थिति में हमें ईश्वर की कृपा का अनुभव करना चाहिए।
आचार्य जी ने नंद महोत्सव का मार्मिक वर्णन करते करके सभी श्रोताओं को भकितरस की गंगा में डुबकी लगवायी। श्री पाराशर जी की नंद महोत्सव 18 श्लोंकों में है जो संपूर्ण भागवत का सार है। उन्होंने कहा कि नंद के यहां साक्षात आनन्द का अवतार हुआ। याचकजन पोटहली बांधकर रत्न ले जाते है जो रास्ते में बिखरते जाते है मानों साक्षात लक्ष्मी अपने प्रियतम के जन्म उत्सव पर ब्रज के गलियारें में नाच रही हो। श्री नंद बाबा आज उदार मन होकर दान दे रहे है। नंद प्रांगण में दूध दही की कीच मची है। उस दृश्य का वर्णन करत हुये श्री पाराशर जी महाराज ने सतसंग पंडाल में ही नंद महोत्सव का आनंद लुटाया और श्रोतागण मंत्र मुग्ध होकर नृत्य करने लगे।
पूतना बध को कथा का अध्यात्मिक वर्णन करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि पूतना माता के द्वारा सुंदरी बन कर आई परन्तु भगवान के सामने किसी की माया नहीं टिकती भगवान ने सोचा कि मेरे नेत्र खुलते ही यह अपने असली स्वरूप में आ जायेगी। इसलिए भगवान ने गुणगान एवं कर्म से भगवान की सेवा करना चाहिए।
श्री पाराशर जी ने कहा कि बड़े-बडे योगी जिसे समाधि से नहीं पकड़ सकते उसे यशोदा मॉ दृष्टि के बल पर पकड़ना चाहती है किन्तु पकड़ृ नही पाती जब हाथ में लिये डंडे को फेंक देती है तो पकड़ में स्वयं ही आ जाते है। प्रसंग के बाद समस्त ग्रामवासियों ग्राम मुरैना जौरा खुर्द ने भगवान के जन्म की कथा का आनन्द लिया।
संकट मोचन श्री हनुमान जी मंन्दिर जौरा खुर्द, मुख्य आयोजक पं. पूज्य श्रीश्री 1008 श्रीरामसिया सरकार परीक्षितरामभरोशी कुलश्रेष्ट।
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