दूंगा दस लाख को हर साल रोजगार, बेटियों को बना दूंगा वरदान, म.प्र. को नंबर 1 का स्टेट और खेती को कर दूंगा मुनाफे का सौदा – आंधी वारिश के बीच गरजे बरसे सी.एम. शिवराज सिंह
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
- मैं मुख्यमंत्री जैसा नहीं लगता, लगता ही नहीं कि मैं मुख्यमंत्री हूँ
- वीरों की जन्मदाता, जन्मजात फौजीयों की प्रसूता, महान अमर शहीद रामप्रसाद विस्मिल की इस धरती इस जन्मभूमि को मेरा प्रणाम
- प्रदेश की हर बेटी मेरी बेटी है, बनाऊंगा लखपति, करूंगा उसका ब्याह
- मैं 11 रूपये का किलो गेंहूं खरीदूंगा, बेचूंगा 3 रू किलो में, नहीं मरने दूंगा किसी को भूखा
- नहीं रहेंगे प्यासे खेत, जानवर और लोग
- नहीं मरने दूंगा किसी को इलाज के बगैर, हर गरीब का बड़े से बड़ा मुफ्त इलाज कराऊंगा
- हरेक को दूंगा काम, धन्धा और रोजगार, स्वरोजगार की नई योजना शीघ्र दूंगा
- कांग्रेस ने केवल राज किया, और हमने की गरीब की सेवा
- मैं सेवक, मैं पुजारी जनता का, बोलो मैं सी.एम. हूं कि तुम्हारा भईया
पोरसा 4 जून 2008, आज यहॉं मुरैना जिला की पोरसा तहसील के मण्डी प्रांगण में म.प्र. के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने एक पंच सरपंच कार्यक्रम के दौरान विशाल जनसभा में तकरीबन पॉंच छह हजार लोगों के जनसमूह को सम्बोधित करते हुये अपनी राजनीतिक शैली के सारे दॉंव पेंच जम कर इस्तेमाल किये वहीं मनमोहक वायदों और घोषणाओं की झड़ी लगा दी । मुख्यमंत्री ने इस दरम्यान कई शिलान्यास भी किये और जनता से आगामी चुनावों पर जनता से सीधा प्रत्युत्तरीय संवाद भी किया ।
विलम्ब से पहुँचे मुख्यमंत्री
हालांकि मुख्यमंत्री के पोरसा आगमन से पूर्व शिवपुरी और कोलारस के कार्यक्रम तय थे और अंचल के प्रशासनिक क्षेत्र व पत्रकारों तथा जनता के बीच एक अनुमान की लहर थी कि मुख्यमंत्री डेढ़ या दो बजे तक पोरसा पहुँच जायेंगे, सो अधिकांश लोग सुबह साढ़े ग्यारह बजे से ही कार्यक्रम स्थल पर पहुँच गये थे । मुख्यमंत्री कार्यक्रम स्थल पर लगभग पौने चार बजे पहुँचे तब तक जनता का गर्मी, पसीने और भीड़ से बुरा हाल हो चुका था । हवायें बन्द थीं ऊपर से तेज धूप और चारों ओर से बन्द वातावरण के साथ हजारों लोगों के बदन की गर्मी ने वहॉं का माहौल तपती भट्टी जैसा कर दिया था ।
पत्रकारों का दौरा और कवरेज
स्थानीय पोरसा के पत्रकार वहॉं सुबह से ही विद्यमान थे जबकि हमारी टीम (मुरैना वाले सभी) लगभग डेढ़ बजे वहॉं पहुँचे ।
अब चूंकि वहॉं भीड़ भड़क्का भी ज्यादा था और दूसरे कार्यक्रम की व्यवस्थाओं में भारी किफायत बरती गयी थी, अत: कुछ अव्यवस्थायें वहॉं स्वत: ही व्याप्त हो गयीं ।
पत्रकारों के लिये कुल 10 कुर्सियां वहॉं डाली गयीं थीं वह भी तीखी धूप के ठीक सामने । मुरैना जिला जनसम्पर्क कार्यालय ने अपनी व्यवस्थाओं के चलते पत्रकारों के दो दल अलग अलग भेजे जिससे किसी को असुविधा न हो, वहीं विभागीय टीम पृथक से अलग टीम में पहुँचे ।
यह मेरा सौभाग्य था कि मैं सादा गाड़ी में (बिना ए.सी. की) में सवार हुआ और वरिष्ठतम व अनुभवी पत्रकारगण मेरे साथ मेरी टीम में थे । जिसमें बेचारे दो चार नये पत्रकारों को यदि छोड़ दें तो सभी इस पोरसा यात्रा का भरपूर आनन्द लेते हुये अपनी यात्रा कर रहे थे ।
रास्ते में हमारे सीनीयर पत्रकार शुक्ला जी और हम बतियाते रहे पोरसा कार्यक्रम के सन्दर्भ में और हमारी चर्चा के मुताबिक वहॉं जो भी हुआ वह वही हुआ जैसा कि हम बतियाते रहे थे, कुछ भी भिन्न नहीं था । हमारे नये पत्रकार बन्धुओं ने भी बड़ राज की बातें बताईं जो अमूमन सौ फीसदी सच ही निकलीं । बतियाते बतियाते हम दिमनी पार कर रहे थे, मैं चर्चा के साथ दनादन फोटो भी रास्ते भर खींचता जा रहा था, पत्रकार मित्र बोले कि 90 – 100 की स्पीड पर गाड़ी है और आप फोटो कैसे खींच लेते हो, जवाब हमारे सीनीयर पत्रकार शुक्ला जी ने दे दिया कि भई ये कला है । और रास्ते के ऐसे फोटो बचत के फोटो कहे जाते हैं, और वक्त बेवक्त काम आते हैं ।
ऑंधी के साथ आये मुख्यमंत्री वारिश के साथ गये
मुख्यमंत्री हालांकि विलम्ब से कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे और आते ही सबसे पहले उन्होंने थोकबन्द शिलान्यास किये । उसके बाद मंच पर पहुँच कर कई लाड़ली लक्ष्मीयों को अपनी गोद में लेकर दुलारते हुये नाड़ली लक्ष्मी बचत पत्र सौंपे और बच्चियों को दुलारते हुये ही आशीर्वाद दिया । कई महिलाओं की मंच पर ही व्यथा सुनी तथा ज्ञापन भी प्राप्त किये । कुछ महिलाओं को कुछ सहायता देते या कुछ देते हुये भी शिवराज सिंह नजर आये लेकिन भारी शोरशराबे के बीच समझ नहीं आया कि क्या हुआ ।
इन औपचारिकताओं के बाद मुख्यमंत्री को 1857 की क्रान्ति के सम्बन्ध में कमल और रोटी यात्रा का पीला ध्वज थमाया गया । रूस्तम सिंह ने इस ध्वज में अपना हाथ बंटाया ।
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कांग्रेस को कोसने के बजाय प्रश्नचिह्नों के भारी भरकम कठघरे में खड़ा कर दिया और लगभग अपनी हर वाक्य पंक्ति पर अपनी उपलब्धियां गिनाते हुये प्रश्न पूछते रहे कि मैंने ऐसा किया , बताओ कांगेस ने इतने साल के राज में ऐसा किया क्या, जनता बार बार प्रत्युत्तर देती रही कि नहीं किया ।
अमूमन मुख्यमंत्री के भाषण का वही रटारटाया पारम्परिक भाष्यांश ही था जो वे हर जगह हर बार बोलते हैं । लाड़ली लक्ष्मी, अन्नपूर्णा, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना वगैरह वगैरह । लगभग 90 -95 फीसदी पारम्परिक भाषण के बाद केवल कुछ नयी बातें और नयी घोषणायें मुख्यमंत्री ने वहॉं कीं ।
मुख्यमंत्री ने बेरोजगारों को एक आश्वासन घोषणा दी और कहा कि प्रदेश में किसी को भी बेरोजगार नहीं रहने दूंगा, हर साल दस लाख नौजवानों को रोजगार दूंगा । किसी को भी भूखा और बगैर इलाज के मरने नही दूंगा ।
मुख्यमंत्री ने एक स्वरोजगार योजना लाने का वायदा भी किया और कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मध्यप्रदेश में किसी को भी रोजगार, काम धन्धे और रोजी रोटी के बगैर नहीं रहने देगा ।
शिवराज सिंह ने मध्यप्रदेश की हर बेटी को अपनी बेटी को अपनी बेटी बताते हुये उनकी शादी, पढ़ाई और लखपति बनाने की जिम्मेवारी अपने ऊपर ली ।
शिवराज सिंह ने किसानों से कहा कि जो कर्जा केन्द्र सरकार आपका उतार नहीं पायी उसे आधा शिवराज सिंह चुकायेगा आधा आप ।
मध्यप्रदेश में हर गरीब का बड़े से बड़ा इलाज मैं मुफ्त कराऊंगा, हर गरीब को हर हालत में रोटी दूंगा । म.प्र. की जनता मेरी भगवान है और मैं इस भगवान का पुजारी और सेवक हूं । मैं अगर दोबारा मुख्यमंत्री बना तो मध्यप्रदेश को नंबर 1 का राज्य बना दूंगा ।
अपनी योजनाओं की ही शिवराज व्याख्यात्मक रूप से फैला फैला कर बताते रहे और पूछते रहे कि कांग्रेस ने कभी ऐसा किया क्या ।
देश भर में बढ़ी मंहगाई पर केन्द्र सरकार मनमोहन और सोनिया को कोसते हुये गरीब पर मार कहकर मंहगाई का पूरा ठीकरा केन्द्र सरकार पर फोड़ दिया और पूछा कि अटल सरकार के राज में मंहगाई कभी बढ़ी क्या । (शायद तेल प्याज आलू भूल गये शिवराज, पेट्रोल, गैस और डीजल भी बिसरा दिया)
जनता जहॉं लगातार उन्हें प्रत्युत्तर देती रह वहीं कुछ बातों पर जनता ने स्पष्ट नकारात्मक उत्तर देकर भी शिवराज सिंह को भौंचक्क कर दिया । (हमने पूरे कार्यक्रम का वीडियो रिकार्ड किया है)
अपनी उपलब्धियां गिनाते गिनाते शिवराज सिंह अचानक लोगों से पूछ बैठे कि बताओ शिवराज सिंह अगला मुख्यमंत्री होना चाहिये कि नहीं – लोगों ने उत्तर दिया – होना चाहिये, शिवराज सिंह ने पूछा बंसीलाल अगला विधायक होना चाहिये कि नहीं – लोगों ने कहा कि नहीं, नहीं नहीं ( प्रतिक्रिया बहुत तेज व लम्बी थी लोग चीख चीख कर बोले – कुछ भद्दी गालियां भी विधायक को दीं, और कई आरोप लगा डाले) शिवराज सिंह ने कहा कि ( शिवराज हतप्रभ रह गये और चेहरा उतर गया तथा गला सूख कर आवाज चिपक गयी) भई बंसीलाल ने तो यहां के गांवों में 120 सड़के बनवाईं हैं, - लोगों ने कहा कि नहीं बनवाईं – हर सड़क में पैसा खाया है, सड़कें तो केन्द्र सरकार ने बनवाईं हैं । सारी सड़के खराब हैं, घटिया माल डाला है, उखड़ गयीं हैं । आगे शिवराज बंसीलाल की उपलब्धियों के बारे में कुछ न बोलते हुये बात बदल कर बोले कि तो संध्याराय विधायक होना चाहिये कि नहीं (उल्लेखनीय है संध्या राय इस समय अम्बाह पोरसा की नहीं बल्िक अन्य विधानसभा क्षेत्र दिमनी विधानसभा की विधायक हैं और दिमनी विधानसभा में काफी अलोकप्रिय और बदनाम हैं ) लोग बोले कि चल जायेगी, (मंचासीन मुंशीलाल और अशोक अर्गल के खिसिया कर चेहरे उतर जाते हैं, दिमनी विधानसभा सीट सामान्य हो जाने से अम्बाह विधानसभा सीट के लिये ये भी प्रत्याशी बनना चाहते हैं)
मामला कुछ गर्मा गया था, शिवराज सिंह स्थिति भांप चुके थे । अत: बोले कि बताओं मैं मुख्यमंत्री हूं कि तुम्हारा भईया लोग बोले कि मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह ने संशोधन करवाते हुये कहा कि भईया कहो भईया मैं तुम्हारा भईया हूं ।
उल्लेखनीय है कि चम्बल अंचल में स्वयं शिवराज सिंह की व्यक्तिगत छवि काफी अच्छी है और लोग ईश्वर के मानिन्द उनका सम्मान करते हैं तथा श्रद्धा से नाम लेते हैं । लोग यह भी कहते नहीं अघाते कि सात साख तक ऐसा सी.एम. नहीं होगा । सबसे बढि़या सी.एम. हैं,( गरीब का सी.एम. है ) और सबकी सुनता है, सुन लेता है और मदद कर देता है, हरेक के काम कर देता है । सी.एम. शिवराज ही रहना चाहिये वगैरह वगैरह ।
मुख्यमंत्री ने यह भी पूछा कि बताओ क्या मैं मुख्यमंत्री जैसा लगता हूं क्या, फिर खुद ही कहा कि मैं मुख्यमंत्री जैसा लगता ही नहीं हूं, न मेरे पास रूतबा है न रूकावट, मैं आपका हूं आपके बीच हूं । आपके ही बीच रहना चाहता हूं । फिर पूछा बताओं कांग्रेस में कभी कोई पी.एम. या सी.एम. ऐसा हुआ क्या जिससे आप मजे से खुलकर बतिया लेते थे, सारी बातें कर लेते थे – लोगों ने कहा नहीं नहीं नहीं । फिर पूछा कि क्या इतनी आसानी से मिल लेते थे – लोगों ने कहा – नहीं नहीं नहीं । शिवराज सिंह ने कहा कि पुलिस की घेराबन्दी में रूतबा बुलन्द कर चलने वालों को सी.एम. बनाओगे कि अपने इस गरीब भईया को जो गरीबों के लिये काम करता है, गरीबों के लिये जीता और मरता है – लोग बोले शिवराज को शिवराज को ।
उल्लेखनीय है कि शिवराज सिंह पर आम लोग अपना हक समझते हैं और आसानी से शिवराज से मिल बतिया सकते हैं । कांग्रेस मुख्यमंत्री के यहॉं मुख्यमंत्री निवास पर द्वारापालों को ताकीद थी कि सी.एम. मुरैना भिण्ड वालों से नहीं मिलते ।
कुल मिला कर भौंचक्क हुये मुख्यमंत्री ने वारिश कह परवाह किये बगैर (वारिश के दरम्यान हुआ था भाषण) वारिश के बहाने अपना हेलीकॉप्टर पोरसा में ही छोड़ कर पोरसा अम्बाह मुरैना मार्ग से सड़क द्वारा ग्वालियर की ओर वापसी की । शायद मुरैना की सड़कों का सच टटोलने के लिये और सच उन्हें मिल भी गया होगा । नजर भी आ गया होगा ।
मुख्यमंत्री की इस कवायद से इतना तो साफ हो ही गया, सार मेहनत पर पानी फिरना तय है, लोकल जनप्रतिनिधियों की छवि बहुत खराब है बौर बंटाढार साफमसाफ है । चाहे दिमनी की संध्याराय हो चाहे बंसीलाल चाहे कोई अन्य । मामला हद तक खिलाफ है । ऊपर से परिसीमन ने सारे गणित उलट पुलट डाले हैं सो अलग । अब बिगड़े मामले का क्या इलाज मुख्यमंत्री करते हैं यह वक्त बतायेगा फिलहाल वे खुद तो अच्छे फोरम में हैं लेकिन अब भाषण भी बदल लें तो ठीक है, कम से कम कुछ नया कवरेज तो मिले ।
पत्रकारों की टिप्पणी थी (मेरी नहीं) कि यार कित्ती बार छापें एक ही बात) आप समझ गये होंगें कि वे क्या कहना चाह रहे थे ।
संध्याराय, और मुंशी तथा अशोक पर लगे आरोप
पोरसा कार्यक्रम को लेकर अन्य हरिजन नेताओं पर भाजपा और मीडिया में खुलकर आरोप लगे हैं तथा कहा गया है कि जानबूझ कर बंसीलाल को चलता करने के लिये यह रची गयी लीला (प्रायोजित कार्यक्रम) इन विरोधी नेताओं का था जिससे बंसी का टिकिट कट जायेगा । कुछ सबूत भी मौके के यही कह रहे थे ।
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें