म.प्र. में बसों का किराया बढ़ेगा, बढ़ेगा टैक्स, प्रदेश के शेष 171 मार्गों के अराष्ट्रीयकरण का फैसला
परिवहन व्यवस्था में सुधार के लिए त्रि-स्तरीय कर प्रणाली लागू होगी, परिवहन निगम की चल-अचल सम्पत्तियों का निराकरण, कलेक्टरों के नियंत्रण में होगा
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सम्पन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रदेश में परिवहन व्यवस्था की सुधार की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। आज सम्पन्न बैठक में प्रदेश के शेष 171 मार्गों के अराष्ट्रीयकरण का निर्णय लिया गया हैं। इससे पहले तीन वर्ष पूर्व फरवरी 2005 में राज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम बंद करने का सैध्दांतिक निर्णय लिया गया था। उक्त निर्णय के परिप्रेक्ष्य में अब तक कुल 681 राष्ट्रीयकृत मार्गों में से 510 मार्गों को राष्ट्रीयकृत योजनाओं से विलोपित किया जा चुका है तथा अब सिर्फ 171 राष्ट्रीयकृत मार्गों का अराष्ट्रीयकरण किया जाना शेष है। इसी सिलसिले में राज्य शासन द्वारा विगत 18 अक्टूबर 2007 को अधिसूचना जारी की जा चुकी हैं। इस अधिसूचना के विरूध्द उच्च न्यायालय जबलपुर में एक जनहित याचिका भी दायर की गई थी। उपरोक्त याचिका में पारित अंतरिम आदेश दिनांक 14 नवम्बर 2007 के अनुसार मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम के पक्ष में जारी परमिट याचिका के अंतिम निराकरण तक जीवित रखे जाएंगे।
त्रि-स्तरीय कर प्रणाली को मंजूरी
प्रदेश की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार लाने, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से प्रदेश में वर्तमान में 'ए', 'बी' तथा 'सी' श्रेणी के मार्गो पर लागू एक समान कर प्रणाली के स्थान पर त्रि-स्तरीय कर प्रणाली लागू करने का निर्णय भी आज मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया। इससे प्रदेश में बसों की संख्या एवं राजस्व आय दोनों में वृध्दि होगी।
वर्तमान में श्रेणी 'ए', 'बी' तथा 'सी' के मार्ग पर संचालित बसों से प्रथम 100 कि.मी. पर 160 रूपए प्रतिसीट प्रतिमाह की दर से तथा अगले प्रत्येक 10 कि.मी. पर 10 रूपए की दर से कर लिया जाता हैं। अब नई त्रि-स्तरीय कर प्रणाली में 'ए' श्रेणी के मार्गों अर्थात राष्ट्रीयकृत मार्ग पर संचालित बसों से प्रथम 100 कि.मी. पर 240 रूपए प्रतिसीट प्रतिमाह तथा अगले 10 कि.मी. पर 15 रूपए की दर से कर लिया जाना प्रस्तावित किया गया हैं। इसी तरह श्रेणी 'सी' के मार्ग अर्थात ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे दूरस्थ मार्ग जो किसी ग्राम को किसी नगर पंचायत, नगरपालिका अथवा नगर निगम से जोड़ते हैं तथा ऐसी नगर पंचायत, नगरपालिका तथा नगर निगम जहां बस एक फेरे में एक बार ही आती है, अब उन मार्गों पर संचालित बसों से नई कर प्रणाली में प्रथम 100 कि.मी. पर 120 रूपए प्रतिसीट प्रतिमाह तथा अगले 10 कि.मी. पर 5 रूपए की दर से कर लिया जाना प्रस्तावित हैं। इसी प्रकार ए और सी श्रेणी के मार्गों के अतिरिक्त शेष मार्ग जो 'बी' श्रेणी के मार्ग हैं वहां संचालित बसों से नई त्रि-स्तरीय कर प्रणाली में प्रथम 100 कि.मी. पर 160 रूपए प्रतिसीट प्रतिमाह तथा अगले प्रत्येक 10 कि.मी पर 10 रूपए की दर से कर लिया जाना प्रस्तावित हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए अधिकाधिक बसों के संचालन के उद्देश्य से यह अनिर्वाय किया जायेगा कि बस संचालक यदि ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ 'ए' श्रेणी अथवा 'बी' श्रेणी के मार्ग पर भी बस संचालित करना चाहे तो कुल मार्ग में से दो तिहाई मार्ग ग्रामीण क्षेत्र का होना आवश्यक होगा। इसके अलावा जो बस संचालक आरक्षित बसों का संचालन करते हैं उन्हें आरक्षित बसों पर 120 रूपये प्रतिसीट प्रतिमाह की दर से कर देना होगा।
परिवहन निगम की चल-अचल सम्पत्ति के निराकरण की व्यवस्था
मंत्रिपरिषद द्वारा मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम के परिसमापन के लिए शेष आवश्यक धनराशि की व्यवस्था करने का निर्णय भी लिया गया। इसके अलावा यह भी फैसला लिया गया है कि निगम की जप्त की गई चल-अचल सम्पत्तियों की सार्वजनिक नीलामी कर देनदारियों का भुगतान किया जावे। निगम की अचल सम्पत्तियां जिला परिवहन अधिकारियों द्वारा राज्य शासन के बकाया टैक्स के विरूध्द कुर्क की गई है। वर्तमान में बस स्टैण्ड के अतिरिक्त निगम के आधिपत्य में डिपो एवं कार्यशाला तथा आवासीय और गैर आवासीय भवन-परिसर प्रदेश के 30 जिलों में है। इन सम्पत्तियों के निराकरण के उद्देश्य से यह प्रस्तावित है कि जिला स्तर पर जिला परिवहन अधिकारी भू-राजस्व संहिता 1959 के अधीन प्राप्त तहसीलदारों के अधिकारों का प्रयोग कर इन सम्पत्तियों का यथाविधि निष्पादन करेंगे। इन सम्पत्तियों का मूल्यांकन निजी मूल्यांकक (evaluator) से विभाग को कराना होगा। जिला स्तर पर भी मूल्यांकन के लिए जिला कलेक्टर, लोक निर्माण विभाग और जिला रजिस्ट्रार से संयुक्त रिपोर्ट प्राप्त करेंगे। तत्पश्चात विभागीय अधिकारी यथाविधि संपत्ति का विक्रय करेंगे तथा जिला कलेक्टर से पुष्टि उपरान्त इसे अंतिम रूप देकर धनराशि शासकीय खजाने में जमा करेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें