सोमवार, 9 नवंबर 2009

हम बुराईयों को बदला चाहते है तो हमें खुद बुराईयों को छोड़ना होगा : बहिन प्रभा (दैनिक मध्‍यराज्‍य)

हम बुराईयों को बदला चाहते है तो हमें खुद बुराईयों को छोड़ना होगा : बहिन प्रभा

प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित परमत्मा शक्ति व वरदानों की अनुभूति महोत्सव में रायण सीरियल की मंदौदरी के प्रवचन

हमें खेद है मुरैना मध्‍यप्रदेश में चल रही भारी बिजली कटौती के कारण इस समाचार के प्रकाशन में विलम्‍ब हुआ है, फेलुअर विद्युत सप्‍लाई सही होने तक फोटो व समाचार समय पर हम अपडेट नहीं कर सकेंगे, इसके लिये हम क्षमाप्रार्थी हैं, कृपया अपडेट के लिये हमें ई मेल, जवाबी मेल या टिप्‍पणीयां न भेजें बिजली कटौती और कई अन्‍य कारणों से हम समय पर अपडेट नहीं दे पा रहे हैं इस सम्‍बन्‍ध में हम अलग से स्‍पष्‍टीकरण व अपनी मजबूरीयों का अलग से शीघ्र ही समाचार दे रहे हैं नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द'' प्रधान संपादक ग्‍वालियर टाइम्‍स समूह  

मुरैना.. प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित परमत्मा शक्ति व वरदानों की अनुभूति महोत्सव में शामिल होने आयी रामायण सीरियल में मंदौदरी का पाठ निभाने वाली बी.के. प्रभा बहिन  ने आज बी.आर गार्डन में अपनी अमृतमयी वाणी से सुनाते हुये कहा कि हमारा पूरा संसार तो गेस्ट हाउस है हम ठहरते है और चले जाते है।  हमें ऐसे कार्यकरना चाहिए कि हमारे कार्यो को लोग याद रखे। जो भी समय परिवर्तित होता है वह कभी कह के नही आता निशानी ही बताती है कि ईश्वरी के सामने मानव दान पुण्य में अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिये सवा रूपये का प्रसाद चढायेगा मंनत पुरी करने के एवज में ईश्वर पर इतना बडा बोझ रख देता है अब बो समय आगया है कि बच्चियां कमाईगी और मामता पिता खायेंगे कलयुग से अब सत युग आने वाला है बर्तमान समय में  सुष्टि में आ कर कार्यकर रहें हैं 53 वल होने वाले अनुभव ऐसी चीज है जिसे को झुटला नही सकता और नाही भुला सकता हर ब्यक्ति शांति ,तनाव मुक्ती पूजा भक्ति करते है वह दूर दूर तीर्थ यात्रा पर जाने का एक ही मकशद है कि हमारा तनाव दूर हो और शांति मिले लेकिन बर्तमान समय में अशांति और बढती चली  जा रही है हम चाहते है कि हर गांव से शहर की दूरिया कम रहे ।  ब्रम्हाकुमारी माउण्ट आबू से पधारी प्रभा दीदी ने कहा कि भारत में  365 दिन त्यौहार मनाये जाते है, आज हमारे देश में  शिक्षा बहुत है लेकिन भिक्षिता कम है मानों सबसे बड़ा महा मानव  महामानव बनकर मानव दानव बन जाता है, सॉप का काटा, बिच्छू का काटा, कुत्ते का काटा तो कुछ ही समय में ठीक हो जाता है , लेकिन मानव का काटा पागल बन जाता है वह तो महिनों हॉस्पीटल में ही पड़ रहता है । मनुष्य के जीवन में जैसे- जैसे साधन आते जाते जा रहे है वैसे वैसे मनुष्य अशांति में जा रहा है। बुराईयों की शुरूआत कहा से हुई यह तो ईकाई व्यक्ति से हुई है या आप और हम की बुराईयों की बात करते है अगर हमबुराईयों को बदला चाहते है तो हमें खुद बुराईयों को छोड़ना होगा जिससे हमारा परिवार दूर रहेगा और फिर जिला उस के बाद हम विश्व को सत्य के रास्ते पर ला सकते है।

जब हमारे घर पर कोई आता था उस अतिथि को देवता माना जाता था अब तो बोर्ड घर के बाहर लगा है  पहले हमने लिखा वॅलकम, फिर लिखदिया कुत्ते से सावधान आज की यही सस्कृति है।

बच्चे जब मेट्रिक में पहुचता है तब तक टीवी पर 20 हजार कार्यक्रम देखचूका होता है माता पिता कहते है कि हमने बच्चें के लिये कॉफी पैसा खर्च कर दिया लेकिन अच्छे संस्कार नही दे पाये। आप ने पैसा तो खर्च किया लेकिन 20 हजार टीवी पर जो कार्यक्रम देखे वे निगेटिव देखे आप ही बताये बच्चे में कैसे संस्कार आयेगे।

शलम बहिन जी  ब्रम्माकुमारी ईश्वरी पिपरीया सेवा संचालिका ने कहा कि थोडे से दान पुण्य से व्यक्ति ईश्वर से बहुत कुछ मागता है। सवा रूपये का प्रशाद चढ़ाने पर ईश्वर से अपने लिये हजारों कॉमनाऐं पूर्ण करनी की बात कहता है कहता है कि अगर मेरे ये सब काम हो गये तो में ग्यारह रूपये का प्रसाद या एकसौ एक रूपये का प्रसाद चढाऊगा। आज का मानव तो पैसों से ईश्वर को खरीदना चाहता है। बहन जी ने कहा कि माता अपने पुत्र के लिये सब कुछ करती है लेकिन पुत्र अपने मॉ के लिये  यह करता है कि मॉ मे तेरे लिये एक मेमसाहब लेकर आ रहा है लेकिन आज वे पहली बार आ रही है तो आज के दिन तो आप अंदर वाले कमरे में छिप जाना लेकिन बेटे की बात तो मॉ कैसे इन्कार करे,जैसे मैम आती है तो उसे हमेंशा के लिए अधेरे में ही रहना पड़ता है कुछ दिन बात कहता है कि मॉ  यह घर तेरे लिये ठीक नही है आज तूझे में कही ले चलता हूै मॉ कहती है बैटा.. कहा.. बेटा.. कहा.. बेटा कहता है कि मॉ तुझे कई अच्छी जगह पर ले जाता हू। और वह वृद्धा आश्रम में ले जाता है उसे से कहता है में तूझे रोजाना मिलने आजाया करूगा लेकिन दिन बीत जाते है सप्ताह बीत जाते है साल बीत जाते है मॉ के पास मनीऑडर पहुचते रहते है। मॉ तो बीमार पड़जाती है डाक्टर बेटे के लिये खवर भेजता है कि मॉ की हालत तो बहुत सीरियस है बेटा कहता है चलो मॉ एक या दो दिन की मेहमान है उसे मिल घर ले आये जैसे ही मॉ अपने नाती यों को देखती है उस की बीमारी कौसों दूर हो जाती है वह एक दम स्वस्थ हो  जाती है । बेटा डाक्टर से कहता है आप तो कह रहे थे कि मॉ तो एक दो दिन मेहमान है ये तो ... आज के युग में ऐसे भी बेटे होते है।

यह कार्यक्रम बी. आर गार्डन नैनागढ़ रोड़ पर आयोजित किया गया। जिसमें मुरैना बसपा विधायक परशराम विधायक मुख्य रूप से उपस्थि हुऐ। समाज सेवी, हजारो की संख्या में माता बहिनें उपस्थित थी।

बहिन प्रभा ने अपनी ओजस्वी अमृतमयी बचनों से सभी बहिन भाईयों को आनंदित कर दिया।

 

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