आ बैल मुझे मार, शिल्पा का चुम्मा और पदमिनी का किस......
लाल बुझक्कड़ उवाच
संजय गुप्ता (मांडिल)
आ बैल मुझे मार
सदियों से जलसों की शमा बनकर भारतीय राजघरानों, जमीन्दारों और जागीरदारों की पार्टियां रोशन करते आ रहे बेडि़या समाज में इन दिनों खासा टेंशन छाया है । चम्पा बेन अलग भड़की हैं वहीं बेडि़या समाज उनसे सहमति नहीं रखता ।
राई के नाम पर चम्पा बेन द्वारा शुरू की गयी कसरत में पुरूस्कार वापसी की धमकी को बेडि़या समाज ने कॉफी सीरियस लिया है , और चम्पा बेन को सलाह दी है कि वे पुरूस्कार के साथ मिले एक लाख रूपये भी सरकार को रजिस्ट्री डाक से भेज कर लौटा दें , मीडिया मे गीदड़ भभकी न दें । बेडि़या समाज आरोप लगा रहा है कि चम्पा बेन बेडि़या समाज की नहीं हैं और उन्हे बेडि़या समाज के नाम पर राय शुमारी और धमकियां देने का हक नहीं है ।
बेडि़या समाज चम्पा बेन से खासा खफा है , हालांकि समाज राई नृत्य के खिलाफ है लेकिन जाबालि योजना पर चम्पा बेन की बयानबाजी और बेडि़या समाज के कल्याण की ठेकेदारी के दावे से उद्वेलित है । शीघ्र ही बेडि़या समाज चम्पा बेन के खिलाफ अभियान छेड़ने जा रहा है । आगे आगे देखिये होता है क्या ।
शिल्पा का चुम्मा और पदमिनी का किस
पदमिनी कोल्हापुरे उन दिनों किशोरावस्था से जवानी में कदम रखने जा रहीं थीं और उन्होंने भारत आये राजकुमार चार्ल्स का चुम्बन लेकर उस समय न केवल भारतीय समाज को चौंका दिया था बल्कि स्वयं प्रिंस चार्ल्स को हैरत में डाल दिया था । अच्छे अच्छे कोल्हापुरे के दीवाने दिल मसोस कर रह गये थे और प्रिंस की किस्मत पर रश्क करने लगे थे । अखबारों को भी खूब दिनों तक छापने के लिये मटीरियल मिल गया था । मगर वो दिन कुछ ऐसे थे जब चुम्बन बड़ा दुर्लभ आयटम था और चुम्बन का हल्का सा सीन भी लोगों के सीने धड़का कर बॉक्स आफिस की खिड़कियां तुड़वा देता था । सो पदमिनी का चुम्बन हॉट हिट हुआ था ।फिर जमाना बदला और चुम्बन खास से आम हो गया , कोक शास्त्र और काम सूत्र से निकल कर फिल्मी पर्दे पर पहले चटनी बना फिर साग सब्जी और फिर चाय पानी हो गया । फिर होते होते ऐसा हुआ कि सीन आये और चला जाये सीने की धड़कन तो छोड़ो भड़कन भी नहीं रही ।
अमिताभ बच्चन ने भी सड़के आम हुये चुम्मे को सड़क पर खड़े हो जया प्रदा से चिल्ला चिल्ला कर चुम्मा मांग डाला । इसके बाद तो एक पूरा गाना ही गा डाला ''चुम्मा चुम्मा दे दे ''
अब जब चुम्मा आम हो गया , युवतियां जो बच्चों की आड़ में किसी जमाने में किस मांगतीं थीं अब रिवाज बन गया और भारत में मिलने जुलने और स्वागत के एक तरीके में ढल गया ।
रिचर्ड गीयर जब भारत आये तो एडस पर जागरूक करने आये , शिल्पा वहॉं गयी तो एडस की जागरूकता पर कार्यक्रम में गयी । अब एडस चीज ही ऐसी है कि सारे के सारे विश्व के लिये टेंशन है, भारत में तो दशा कुछ ऐसी है कि डॉक्टरों से लेकर अखबार , सरकार और टी.वी. सब के सब चौबीसों घण्टे एडस पर नर्रा रहे हैं , गला फाड़ रहे हैं, कण्डोम, विज्ञापन और एन.जी.ओ. इसी एडस से पल रहे हैं ,फल फूल रहे हैं , अरबों रूपया एडस पर एडस में जा रहा है । अब इतने गंभीर विषय पर ध्यान न दे कर , केवल चुम्बन चुम्मा देखना वाकई गलत है । शिल्पा बोली कि ससुरी तीन घण्टे की फिल्म में केवल एक ही सीन हिट हुआ , ये तो गलत है । वाकई गलत बात है भाई । इस फिल्म यानि एडस जागरूकता पर बन रही उस दिन के फिल्म में केवल शिल्पा रिचर्ड चुम्बन दृश्य ही लोगों को दिखा और हिट या सुपर डुपर हिट हुआ , बकाया फिल्म का तो अता पता ही नहीं चल पाया ।
अब कहने वालों का तर्क है कि यह सीन अतना लम्बा और इतना हॉट था कि शिल्पा के पराये विदेशी चुम्बनवा से लोकल भारतवासीयों की लार वहीं टपकने लगी और जैसा कि हमारे यहॉं पुरानी कहावत है कि ''बिल्ली खा नहीं पायेगी तो फैला तो देगी ही '' सो भईया चुम्मा का रायता फैलाया जा रहा है ।
वहॉं हुआ चुम्मा सीन अगर अच्छा था , काबिले तारीफ था और आर्टिस्टिक यानि कलात्मक था , राजकपूर जैसा दुर्लभ फिल्मांकन था तो वाकई शिल्पा के चुम्बन को प्रोत्साहन देना चाहिये ।
वैसे हमारी राय तो ये है कि इस स्टायल को वाकई एक नाम ही दे दिया जाना चाहिये । जैसे साधना कट बाल, अमिताभ कट हेयर स्टायल, शम्मी कपूर स्टायल , ऐसे ही शिल्पा रिचर्ड चुम्मा स्टायल । इसके हर चौराहे पर कट आउट लगें, कोई फिल्म कम्पनी आर.के. स्टूडियो की तरह इस सीन पोर्ट्रेट को अपना लागो बना ले , कोई नाइटी या कण्डोम बेचने वाली कम्पनी या कोकशास्त्र या कामसूत्र या एडस का लिटरेचर छापने वाली कम्पनी को सीन ए चुम्बन को अपना कव्हर फोटो बनाना चाहिये ।
वैसे हम तो शिल्पा का समर्थन करेंगें । आखिर उसने भारत का नाम रोशन ही किया है एक अदद इण्टरनेशनल हॉलीवुडीया चुम्बन लेकर , लोग आस्कर लेते हैं, और अवार्ड बटोरते हैं , शिल्पा ने चुम्बन लिया तो क्या गुनाह किया । अरे एडस का कार्यक्रम था और जागरूकता फैलाने की बात थी तो एक अभिनेता या अभिनेत्री का प्रस्तुतीकरण सीन ऑफ ड्रामा या प्रायोगिक अभिनय प्रदर्शन से ही तो होगा । यदि कुछ जागरूकता के लिये संदेश देने के लिये प्रायोगिक रूप से सीन क्रियेट कर के दिखा दिया तो क्या गजब हो गया भाई । आखिर एडस की जड़ तो चुम्मा से ही शुरू होती है न । थोड़ा चुप्प बने रहते तो क्या हो जाता , चुम्मा से आगे वाला सीन भी दिखा देते और देते पक्का संदेश एडस जागरूकता का ।
चुम्मा पर भभ्भर मचा दिया ,एडस शुरू तो यही से होता है , इसमें बेचारे रिचर्ड या शिल्पा का क्या दोष । शिल्पा और रिचर्ड प्यारे लगे रहो मुन्ना भाई । लोगों को चिल्लाने दो , तुम तो गाना गाओ कि खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों । इस दुनिया से नहीं डरेंगे हम दोनों ।
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