बुधवार, 6 मई 2009

जागो ग्राहक जागो- उपभोक्ता के अधिकार: सादे कागज पर कर सकते हैं शिकायत

जागो ग्राहक जागो- उपभोक्ता के अधिकार: सादे कागज पर कर सकते हैं शिकायत

Article presented by: Zonal Public Relations office Zone- Gwalior- Chambal

 

उपभोक्‍ता ऑनलाइन करें शिकायत

विभिन्‍न उपभोक्‍ता अधिकारों के हनन, शोषण से पीडि़त या सेवा प्रदाता या विक्रेता द्वारा शिकायत की सुनवाई न किये जाने पर उपभोक्‍ता इण्‍टरनेट के जरिये अपनी शिकायत कोर सेण्‍टर को कर सकते हैं ।

कोर सेण्‍टर में शिकायत किये जाने हेतु वेबसाइट www.core.nic.in  पर लॉगइन करें तथा सीधे Complaint Registration पर क्लिक करें और शिकायत फार्म को भर दें । आपको ऑनलाइन ही आपकी शिकायत दर्ज होने का का शिकायत क्रमांक प्राप्‍त होगा, इस क्रमांक सहित फार्म का प्रिन्टर से प्रिन्ट प्राप्‍त कर लें । यहॉं 72 घण्‍टे के भीतर कार्यवाही सम्‍पादित की जाती है और आपको ई मेल के जरिये सम्‍पादित कार्यवाही से अवगत कराया जाता है । तथा दूसरे पक्ष को 14 दिन के भीतर उपभोक्‍ता की शिकायत दूर करने के निर्देश जारी किये जाते हैं । अन्‍यथा उन्‍हें काली सूची में डाल कर ब्‍लैकलिस्‍ट कर दिया जाता है । मैंने स्‍वयं इस प्रणाली का उपयोग किया था एक बार बी.एस.एन.एल. के विरूद्ध एवं एक बार एक अन्‍य कम्‍पनी के विरूद्ध दोनों बार मेंरी समस्‍या का त्‍वरित निदान हो गया था । हालांकि मैं स्‍वयं पेशे से एडवोकेट हूँ और उपभोक्‍ता फोरम के रास्‍ते से मामले को शुरू कर सकता था लेकिन मेरा मशविरा है कि उपभोक्‍ता फोरम जाने से पूर्व एक बार इस ऑनलाइन प्रणाली को अवश्‍य आजमा लें । केवल 72 घण्‍टे की ही तो बात है , दिक्‍कत क्‍या है इससे आपका समय, पैसा और व्‍यर्थ की न्‍यायालयीन भागदौड़ बच जायेगी । उपभोक्‍ताओं का शोषण करने वाली व उनकी शिकायतों ण्‍वं समस्‍याओं का निराकरण न करने वाली ब्‍लैकलिस्‍टेड कम्‍पनीयों की सूची भी यहॉं उपलब्‍ध है , इस सूची में उल्‍लेखित कम्‍पनीयों से बचकर रहें तथा इनसे कोई सामान या सेवा न लें ।  

हालांकि समस्‍त जिला उपभोक्‍ता न्‍यायालयों को ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा कोर सेण्‍टर की तरह होना चाहिये इससे काफी लाभ प्राप्‍त होगा और या फिर कोर सेण्‍टर में दर्ज होने वाले मामले जिला उपभोक्‍ता अदालतों को निराकृत न होने की सूरत में कोर सेण्‍टर द्वारा स्‍वप्रेरणा से फारवर्ड कर देना चाहिये , जहॉं तक जिला उपभोक्‍ता अदालतों लगने वाले शुल्‍क का सवाल है इसे अन्‍य प्रकार से शिकायतकर्ता से मांग पत्र जारी कर बैंकड्राफ्ट, पोस्‍टल आर्डर, मनीआर्डर, या नकद रूप में वसूला जा सकता है वैसे यह शुल्‍क लगना नहीं चाहिये । जिला उपभोक्‍ता न्‍यायालयों की सुनवाई प्रणाली भी कोर सेण्‍टर की तरह ऑनलाइन होना चाहिये इससे पीडि़त उपभोक्‍ताओं को काफी सुविधा और सहूलियत होगी ।

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

प्रधान सम्‍पादक

 

ग्वालियर 5 मई 09। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार कोई व्यक्ति जो अपने उपयोग के लिये सामान अथवा सेवायें खरीदता है वह उपभोक्ता है । क्रेता की अनुमति से ऐसे सामान/सेवाओं का प्रयोग करने वाला व्यक्ति भी उपभोक्ता है । अत: हम में से प्रत्येक किसी न किसी रूप में उपभोक्ता ही है ।

उपभोक्ता के रूप में हमें कुछ अधिकार प्राप्त हैं । मसलन सुरक्षा का अधिकार, जानकारी होने का अधिकार, चुनने का अधिकार, सुनवाई का अधिकार, शिकायत-निवारण का अधिकार तथा उपभोक्ता-शिक्षा का अधिकार । उपभोक्ता या कोई स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन जो समिति पंजीकरण अधिनियम 1860 अथवा कंपनी अधिनियम 1951 अथवा फिलहाल लागू किसी अन्य विधि के अधीन पंजीकृत है । इसके अलावा केन्द्र सरकार या राज्य सरकार अथवा संघ क्षेत्र का प्रशासन भी शिकायत दर्ज करवा सकता है ।

किसी व्यापारी द्वारा अनुचित/प्रतिबंधात्मक पध्दति के प्रयोग करने से यदि आपको हानि/क्षति हुई है अथवा खरीदे गये सामान में यदि कोई खराबी है या फिर किराये पर ली गई/उपभोग की गई सेवाओं मे कमी पाई गई है या फिर विक्रेता ने आपसे प्रदर्शित मूल्य अथवा लागू कानून द्वारा अथवा इसके मूल्य से अधिक मूल्य लिया गया है । इसके अलावा यदि किसी कानून का उल्लंघन करते हुये जीवन तथा सुरक्षा के लिये जोखिम पैदा करने वाला सामान जनता को बेचा जा रहा है तो आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं ।

उपभोक्ता द्वारा अथवा शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत सादे कागज पर की जा सकती है । शिकायत में शिकायतकर्ताओं तथा विपरीत पार्टी के नाम का विवरण तथा पता, शिकायत से संबंधित तथ्य एवं यह सब कब और कहां हुआ आदि का विवरण, शिकायत में उल्लिखित आरोपों के समर्थन में दस्तावेज साथ ही प्राधिकृत एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिये । इस प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिये किसी वकील की आवश्यकता नही होती । साथ ही इस कार्य पर नाममात्र न्यायालय शुल्क ली जाती है ।

शिकायत कहां की जाये, यह बात सामान सेवाओं की लागत अथवा मांगी गई क्षतिपूर्ति पर निर्भर करती है । अगर यह राशि 20 लाख रूपये से कम है तो जिला फोरम में शिकायत करें । यदि यह राशि 20 लाख रूपये से अधिक लेकिन एक करोड़ रूपये से कम है तो राज्य आयोग के समक्ष और यदि एक करोड़ रूपसे अधिक है तो राष्ट्रीय आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज करायें । वैबसाईट www.fcamin.nic.in पर सभी पते उपलब्ध हैं ।

उपभोक्ताओं को प्रदाय सामान से खराबियां हटाना, सामान को बदलना, चुकाये गये मूल्य को वापिस देने के अलावा हानि अथवा चोट के लिये क्षतिपूर्ति । सेवाओं में त्रुटियां अथवा कमियां हटाने के साथ-साथ पार्टियों को पर्याप्त न्यायालय वाद-व्यय प्रदान कर राहत दी जाती है ।

 

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