जो वरदान, चाहो तुम दे दो
मै मिट्टी, तुम कुम्भकार हो,
जो स्वरूप, चाहो तुम दे दो ॥ 1॥
मैं अचल, तुम चलायमान हो,
जो मुकाम, चाहो तुम दे दो ॥ 2॥
मैं पागल, तुम मन: चिकित्सक,
जो उपचार, चाहो तुम दे दो ॥ 3॥
मैं पूजक, तुम पूजा मेरी,
जो प्रसाद, चाहो तुम दे दो ॥ 4॥
मैं नाशाद, तुम शादशाह हो,
फिरदोश-जहॉ चाहो तुम दे दो ॥ 5॥
मैं श्रद्धा, तुम आस्था मेरी,
जो जीवन,चाहो तुम दे दो ॥ 6॥
मै मनुष्य, तुम देवराज हो,
जो वरदान, चाहो तुम दे दो ॥ 7॥
मै पत्थर, तुम रत्नपारखी,
जो भी नाम, चाहे तुम दे दो ॥ 8॥
मै क्या जानूं, कीमत अपनी,
तुम जानो तुम ही पहचानो,
जो हो भाव, चाहो तुम ले लो,
जो कीमत , चाहो तुम दे दो ॥ 9॥
गोपालदास गर्ग
गणेशपुरा मुरैना म.प्र.
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें