बुधवार, 13 जनवरी 2010

जो वरदान, चाहो तुम दे दो

जो वरदान, चाहो तुम दे दो

मै मिट्टी, तुम कुम्भकार हो,

जो स्वरूप, चाहो तुम दे दो ॥ 1

मैं अचल, तुम चलायमान हो,

जो मुकाम, चाहो तुम दे दो ॥ 2

मैं पागल, तुम मन: चिकित्सक,

जो उपचार, चाहो तुम दे दो ॥ 3

मैं पूजक,  तुम पूजा मेरी,

जो प्रसाद,  चाहो  तुम  दे दो ॥ 4

मैं नाशाद, तुम शादशाह हो,

फिरदोश-जहॉ चाहो तुम दे दो ॥ 5

मैं  श्रद्धा, तुम आस्था  मेरी,

जो जीवन,चाहो तुम दे दो ॥ 6

मै मनुष्य, तुम देवराज हो,

जो वरदान, चाहो तुम दे दो ॥ 7

मै पत्थर, तुम रत्नपारखी,

जो भी नाम, चाहे तुम दे दो ॥ 8

मै क्या जानूं, कीमत अपनी,

तुम जानो  तुम ही  पहचानो,

जो हो भाव, चाहो तुम ले लो,

जो कीमत , चाहो तुम दे दो ॥ 9

 

गोपालदास गर्ग

गणेशपुरा मुरैना म.प्र.

 

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