उच्च न्यायालय द्वारा ग्वालियर,शिवपुरी और श्योपुर नगर को आवारा पशु मुक्त बनाने के आदेश
नगर निगम तथा नगर पालिका को चार सप्ताह के अन्दर प्रस्तुत करना होगा पालन प्रतिवेदन
ग्वालियर 7 अगस्त/08। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ग्वालियर खण्डपीठ की डिवीजन बैंच के माननीय न्यायमूर्ति श्री सुभाष सम्वतसर एवं माननीय न्यायमूर्ति श्रीमती इन्द्रानी दत्ता ने आवेदक रामलाल सोनी द्वारा भेजे गये पत्र के आधार पर पंजीबध्द जनहित याचिका क्रं 497/2008(पी.आई.एल.) में दिनांक 5.08.2008 को पारित आदेश में कमिशनर, नगर निगम, ग्वालियर एवं चीफ म्यूनिसिपिल आफीसर नगर पालिका, श्योपुर एवं शिवपुरी को आदेश दिये हैं कि सार्वजनिक स्थानों, सड़कों और गलियों में कोई आवारा पशु व अन्य जानवर घूमते न पाये जायें और यदि पाये जायें तो उन्हैं तत्काल हटाया जावे। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिये हैं कि नगर-निगम/नगर पालिकाओ द्वारा ऐसे अधिकारी नियुक्त किये जावें जो पूजा स्थलों के बाहर बिकने वाली घास पर रोक लगायें ताकि वहां पर आवारा पशुओं /जानवर इक्टठा न हो सकें।
माननीय न्यायालय द्वारा चार सप्ताह के अन्दर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करेन का आदेश उपरोक्त नगरनिगम एवं नगरपालिकाओं को दिये गये हैं। उक्त निर्णय में माननीय न्यायालय द्वारा इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है कि नगरनिगम नगर पालिका अधिनियम की धारा -355 में सार्वजनिक स्थान एवं सड़को पर आवारा घूमने वाले पशुओं को पकड़ने और उनका निराकरण के अधिकार कमिश्नर नगरपालिका अधिकारी को प्राप्त हैं, परन्तु उसके बाबजूद पूरे शहर में बड़ी संख्या में आवारा जानवर गाय, बैल, गधे, सुअर और कुत्ते सार्वजनिक स्थानों पर और सड़कों पर घूम रहे हैं और सड़को पर आवारा पशुओं की भीड़ लगी हुई हैं, जिससे नागरिकों और वाहनों के आने- जाने में बाधा तो उत्पन्न हो ही रही हैं, बल्कि आम जनता क जीवन भी संकटान्नापन्न हो रहा हैं, परन्तु शहर को ऐसे आवारा पशुओं से मुक्त कराने का कोई ठोस प्रयास नगरनिगम/नगरपालिओं द्वारा नहीं किया जा रहा हैं।
विदित हो कि यह याचिका रामलाल सोनी, निवासी ग्वालियर द्वारा भेजे गये पत्र को जनहित याचिका मानकर दायर की गई थी।
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