मंगलवार, 10 नवंबर 2020

नरवाई जलाने से नष्ट होती है मिट्टी की उर्वरक क्षमता नरवाई का उपयोग कर जैविक खाद भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट बनाने की सलाह


 कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को फसल काटने के बाद बचे हुए अवशेष (नरवाई) नहीं जलाने की सलाह दी गई है। नरवाई जलाने से एक ओर जहां खेतों में अग्नि दुर्घटना की संभावना रहती है वहीं मिट्टी की उर्वरकता पर भी विपरीत असर पड़ता है। इसके साथ ही धुएँ से कार्बन डायआक्साइड से तापक्रम बढता है ओर वायु प्रदूषण भी होता है।

    मिट्टी की उर्वरा परत लगभग 6 इंच की ऊपरी सतह पर ही होती है इसमें खेती के लिए लाभदायक मित्र जीवाणु उपस्थित रहते हैं। नरवाई जलाने से यह नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति को नुकसान होता है। नरवाई जलाने की बजाए यदि फसल अवशेषों और ड़ठलो को एकत्र कर जैविक खाद जैसे भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाने में उपयोग किया जाए तो यह बहुत जल्दी सड़कर पोषक तत्वों से भरपूर खाद बना सकते है। इसके अतिरिक्त खेत में कल्टीवेटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो की सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश के रूप में बचत की जा सकती है। 

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