शनिवार, 6 सितंबर 2008

सरकार की पिटाई और मराई मामले में 1014 लोगों पर मुकदमे 14 किरारों ने 40 को पीटा, मरणासन्‍न किया जिसमें 20 पुलिस वाले, प्रशासन का हैरत अंगेज केस

सरकार की पिटाई और मराई मामले में 1014 लोगों पर मुकदमे 14 किरारों ने 40 को पीटा, मरणासन्‍न किया जिसमें 20 पुलिस वाले, प्रशासन का हैरत अंगेज केस

Narendra Singh Tomar "Anand"

मुरैना 6 सितम्‍बर 08, आखिर भैस ने पूंछ उठाई और गोबर कर ही दिया । अरे गोबर क्‍या कर दिया पोंक (लूज मोशन) कर दिया ।

4 सितम्‍बर में अंचल में हुये जनता बनाम सरकार संघर्ष में दोनो जन संग्रामों को सरकारी चश्‍में ने अपने नजरिये से नाप तौल लिया है ।

पहला मामला महाराजपुर के किरारों का है, यहॉं प्रलिस और प्रशासन की कुटाई पिटाई के साथ,द बंधक बनाने और मरणासन्‍न व अचेत करने तक कूटने पीटने का काण्‍ड हुआ सरकारी सूत्रान ने कहा था । यह भी कि बिजली चोरी हो रही थी ।

गॉंव में बिजली थी ही नहीं पर चोरी हो रही थी, खैर इस पर एक व्‍यंग्‍य लिखेंगें । दूसरी बात ये कि बीस बिजली वाले, बीस पुलिस वालों को लेकर चोर किसानों को पकड़ने और जेल में ठूंसने गये थे यानि कुल मिला कर अलीबाबा और 40 चोर यानि गब्‍बर बोले तो कित्‍ते आदमी थे, 40 थे पूरे 40 । अब गब्‍बर फिर पूछे कित्‍ते लोगों ने मारा, अब जवाब आया सरकारी कि 14 लोगों ने हुजूर ।

ससुरी हमारी पूरी जिन्‍दगी गणित पढ़ते पढ़ते बीत गयी, हमेशा टॉप किया, कभी गणित में 98 प्रतिशत से कम अंक नहीं आये, हमने जिन्‍दगी में कई दंगे देखे, कई फसाद भी देखे ससुरा ऐसा गणित आज हमारी समझ में नहीं आया कि 14 ग्रामीण किसान 40 सरकारी आदमीयों को कूट दें, पीट दें और बंधक बना लें तथा मरणासन्‍न तथा अचेत भी कर दें ।

भैया हमारे पल्‍ले तो नहीं पड़ा किसी के पल्‍ले पड़ जायेगा तो बता देना ।

पुलिस पर हथियार भी रहते हैं, ऊपर से बाहर से पुलिस बल भी पहुंचा, प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस व बिजलीवालों सहित कुल मिला कर करीब 550 से ऊपर आदमी थे । फिर भी 14 निहत्‍थे ग्रामीण किसान 40 या 550 को कूट पीट दें, मेरे पल्‍ले नहीं पड़ी ।

मैं इंजीनियरिंग और एम.एससी करके वकील भी हूं, कानूनी तौर पर ऐसे केस पहले झटके में ही अदालत में उड़ जायेंगें यह मुझे पता है, क्‍योंकि प्रमुख आधारिक तथ्‍य सर्वथा अतार्किक व असंभाव्‍यता पर जुड़ा है ।

कोई भी चतुर वकील सिर्फ एक तर्क में ही बात खत्‍म करवा देगा । खैर महाराजपुर मामला आनन फानन में धोखे से कायम हो गया, पिटने वाले पिट गये, कुटने वाले कुट गये और मरणासन्‍न वाले अस्‍पताली मरघट की खटिया पर चित्‍त पड़े हैं ।

मुख्‍यमंत्री से किरारों के सम्‍बन्‍ध की बात अगर सरकार को पता नही लगती तो क्‍या होता, फिर ये होता नीचे दूसरा मामला उसी दिन का समान घटनाक्रम का देखिये, इसमें सरकार की खुपडि़या फोड़ दी, दांत तोड़ दिये और गाड़ी फूंक दी बताई गयी।

महाराजपुर में प्रशासन मुख्‍यमंत्री के किरारों के सामने पोंक गया (लूज मोशन कर गया) वही बानमोर में एक हजार लोगों पर मामले लादे गये, (है मजे की बात् बानमोर घटनाक्रम में एक हजार लोगों के खिलाफ पुलिस प्रकरण दर्ज किये गये हैं । साली समूची बानमोर को ही क्‍यों नहीं धर दिया एफ.आई.आर में साला सब संकट ही खत्‍म हो जाता ।

अब वे संघर्ष शान्‍त कर रहे थे कि एक हजार लोगों के मुखमण्‍डल चीन्‍ह रहे थे, राम जाने । एक हजार चीन्‍ह लिये हैं सैकड़ों थाने में बन्‍द कर पीट कूट डाले । सरकार खिसया खिसिया कर पोंक रहे हैं ।

पिटे कुटे आदमी अपने घर जाकर सिकाई कराते हैं, चोट पर मल्‍हम लगवाते हैं, और मालिशमत्‍ता करवा करू कर हड्डी पसली चेक कराते हैं । कहॉं यार हजार लोगों के मुख मण्‍डल पहचान पहचान कर ढ़ढ़ते फिर रहे हो, अब कुट पिट तो गये ही, हजारों को अदालत ले जाकर का करोगे । वैसे ही फोकट बरी हो जायेंगें । तुम खिसियाये फिर रहे हो, जनता तुम से ज्‍यादा खिसिया जायेगी, और अबकी बार मारेगी तो और ज्‍यादा मारेगी ।

साला चार दिन चम्‍बल का पानी लिये हो, तुम भी बदला बदला नर्राने लगे । पुलिस कायमी कराना, जेल में ठूंसना चम्‍बल में बदला नहीं माना जाता भइये ।

बदला लेना ही है तो, जनसेवा करो प्‍यारे, गरीब की फरियाद सुनो, मजबूर को सहारा दो, रोते के ऑंसू पोंछों । आत्‍मा शान्‍त हो जायेगी, चित्‍त में धीरज आ जायेगा । काहे काे चम्‍बल की धरती पर एक महाभारत और एक घमासान का शिलान्‍यास कर रहे हो, ससुरा मंत्रियों से सीख गये हो पत्‍थर गाड़ना और रिमोटी शिलान्‍यास ।

खैर ये वक्‍त बतायेगा कि क्‍या करना उचित था और आप क्‍या गलत कर बैठे ।

हमें बात जमी नहीं दोस्‍त, पब्लिक पर मुकदमे बाजी जमी नहीं, अपनी ऑंख का टैंट देखो, लोक सेवक हो, लोक सेवक बन जाओ, जनता तुम्‍हारी माई बाप और अन्‍नदाता है, इस पर इतना जुल्‍म न ढाओ कि अबकी बार दांत तोड़ने और सिर फोड़ने के बजाय कुछ और गंभीर कर डाले । जन आक्रोश को स्‍वीकार करो, समस्‍या सुलझ जायेगी । वरना और पिटोगे । जनता की सुनो, जनता की करो, जनता का हुक्‍म मानो, नेता मंत्री ससुरे चार दिना के हैं फिर अंधेरी रात है, अंध भक्ति अच्‍छों अच्‍छों को मरवा डालती है ।

क्‍या साला 14 ने 40 को कूटा 550 को खदेड़ा, बानमोर में एक हजार ने भभ्‍भर किया, बात कुछ हजम नहीं हो रही । पूरे मुरैना जिला को ही क्‍यों नहीं साला ठोक के बन्‍द कर देते । क्‍योंकि भैया हम ज्‍योतिषी भी हैं और ज्‍योतिष कहता है कि नहीं सुधरे तो और कुटोगे ।

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