बिजली कटौती की धूमधाम और परीक्षाओं की दस्तक
संजय गुप्ता मांडिल- ब्यूरो चीफ मुरैना
मुरैना 17 फरवरी । जहॉं बिजली कटौती की अन्धाधुन्ध मार से त्रस्त होकर लोग अब इसे अपनी आदत में डाल चुके हैं वहीं इसका अघोषित कटौती समय निरन्तर बढ़ता जा रहा है । इधर जहॉं मार्च के शुरू होते ही छात्रों के इम्तहान चालू होने को हैं और वे अपनी तैयारीयों में सिर खपा रहे हैं वहीं बिजली कटौती की बढ़ी टाइमिंग्स ने उनका टेंशन और बढ़ा दिया है । जहॉं साल भर बिजली कटती रहने से पहले ही वे पढ़ाई लिखाई में औने पौने होकर बैठे हैं वहीं अब ऐन इम्तिहान के वक्त धुआंधार बिजली कटौती उनके लिये खासी चुनौती बन गयी है ।
उल्लेखनीय है कि इस वक्त सारे चम्बल अंचल में क्या शहर क्या गॉंव सब जगह रात और दिन की मस्त कटौती जारी है । यह मध्यप्रदेश में शायद पहली बार होगा जब वर्ष के पूरे 365/1/4 दिन बिजली कटौती चली हो । भले ही सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री दावे पर दावे ठोकने में जुटे हों कि बिजली की लाइन में हमने ये किया वो किया, ये कर देंगे वो कर देंगे, मगर जमीनी सच्चाई यह है कि पहले कम कटती थी या बाबू लाल गौर के टाइम में बिल्कुल नहीं कटती थी, पर अब बिजली आती ही नहीं है तो कटेगी कहॉं से ।
कई गॉंव और कई फीडर वर्षों गुजर गये बिजली के दर्शन को तरस रहे हैं, वे भूल ही गये कि बिजली कैसी होती है । कई गॉंवों में तो आजादी के 62 साल बाद आज तक बिजली के खम्भे तक नहीं गड़े हैं, उन्हें नहीं मालुम कि बिजली कैसी होती है, ऐन मुरैना शहर के नजदीक महज 1-2 किलोमीटर में बसे गॉंवों के यह हालात हैं । तो सुदूर अंचल की क्या कहिये ।
कभी भूले भटके आ भी जायेगा बिजली तो वोल्टेज सुभान अल्लाह होते हैं, एक फेज में बकाया दूसरे फेजों के भी वोल्टेज बिना बुलाये आ धमकते हैं तो अन्य फेजों में आ रही बिजली को देख दिये मोमबत्ती भी शरमा जाते हैं । काटो काटो, जम कर काटो, काटे जाओ, उनने भी काटी थी वे भी कट गये, तुम भी कटोगे । जय हिन्द ।
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