किसानों की लंबित विद्युत पेनाल्टी माफ-आधी देयक राशि शासन वहन करेगा - मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान
सहकारी कृषि ऋण की दर पांच प्रतिशत, गेहूं पर 100 रूपये बोनस, मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा किसान महापंचायत में 5600 करोड़ रूपये की घोषणाएं, 60 वर्षों में किसानों की उपेक्षा से हालत बिगड़ी - श्री राजनाथसिंह
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने आज किसानों के विद्युत देयकों पर लंबित पेनाल्टी माफ करने तथा लंबित देयकों की आधी राशि शासन द्वारा वहन करने, किसानों को साल में केवल दो बार बिजली का बिल देने, एक हैक्टेयर तक के किसानों को दीनदयाल उपचार योजना का लाभ देने तथा इस वर्ष गेहूं के समर्थन मूल्य के अतिरिक्त सौ रूपये प्रति क्विंटल उपार्जन बोनस देने की घोषणा की। श्री चौहान ने कहा कि आगामी एक अप्रैल से सहकारी कृषि ऋणों की ब्याज दर सात प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत की जायेगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहां जंबूरी मैदान में आयोजित पहली किसान महापंचायत में पूरे प्रदेश से आए एक लाख से अधिक किसानों को सम्बोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने आज किसानों के हित में अनेक घोषणाएं की जिनपर कुल लगभग 5600 करोड़ रूपये व्यय होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा की गई घोषणाएं इस प्रकार हैं :-
- कृषि पंप उपभोक्ताओं के बकाया बिलों के ऊर्जा प्रभार की 50 प्रतिशत राशि की भरपाई शासन करेगा। 10 अश्वशक्ति तक के कृषि उपभोक्ताओं की सरचार्ज की राशि का वहन विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा किया जावेगा।
- अप्रैल 2008 से कृषकों को साल में दो बार 6 माह की बिलों की राशि के अग्रिम भुगतान की सुविधा दी जावेगी।
- अप्रैल 2008 से 500 यूनिट (5 अश्वशक्ति) तक के कृषि पंप उपभोक्ताओं को 75 पैसे प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा। वर्तमान में यह दर 120 पैसा प्रति यूनिट 300 यूनिट खपत (3 हार्स पॉवर) तक एवं 170 पैसा प्रति यूनिट उससे ऊपर की खपत पर है। इसी तरह 5 अश्वशक्ति से अधिक पर यह दरें 110 पैसा प्रति यूनिट होंगी जबकि वर्तमान में यह दर 170 पैसा प्रति यूनिट है। दरें कम करने से सभी श्रेणी के स्थाई कृषि उपभोक्ताओं को लगभग 40 से 50 प्रतिशत तक की बिजली भुगतान में राहत प्राप्त होगी।
- बिजली बिलों से संबंधित विवादित प्रकरणों के समयबध्द निपटारे हेतु शिविरों का आयोजन किया जावेगा।
- कृषि सिंचाई पंपों एवं बसाहटों में घरेलू उपभोक्ताओं को ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत प्रदाय कर रहे फीडरों को अलग-अलग किया जावेगा।
- सिंचाई पंप के कृषि उपभोक्ताओं को नये पंप कनेक्शनों हेतु स्थाई विद्युतीकरण की योजना प्रारंभ की जावेगी। इसके अंतर्गत खंबों के साथ लाईन बिछाई जाएगी।
- कृषकों के खेत पर सिंचाई सुविधा विकसित करने हेतु बलराम तालाब योजना के तहत अनुदान की राशि रूपये 50 हजार से बढ़ाकर रूपये 80 हजार की जायेगी।
- सभी वर्गों के कृषकों को नलकूप खनन एवं नलकूप में पंप स्थापित करने हेतु अधिकतम रूपये 24 हजार की सहायता दी जायेगी।
- कृषि उद्यानिकी तथा मत्स्यपालन हेतु लघु एवं सीमांत कृषकों को डीजल अथवा विद्युत पंप सेट क्रय करने हेतु 50 प्रतिशत अनुदान या अधिकतम रूपये 10000 की सहायता दी जायेगी।
- प्रत्येक जिले में सभी प्रमुख नालों पर श्रंखलाबध्द स्टाप-डेम#चेक डेम का निर्माण कार्य कराया जायेगा।
- इस वर्ष भारत सरकार द्वारा घोषित गेहूं के समर्थन मूल्य 1000 रूपये प्रति क्विंटल पर राज्य शासन द्वारा 100 रूपये प्रति क्विंटल उपार्जन बोनस दिया जायेगा।
- सिंचाई में लाये जाने वाले उपकरणों जैसे स्ंप्रिकलर, ड्रिप सिस्टम, रेनगन आदि पर राज्य शासन द्वारा 30 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा।
- राज्य के सभी 313 विकासखंडों में एक-एक किसान ज्ञान केन्द्र स्थापित किया जयेगा जहां कम्प्यूटर व इंटरनेट के माध्यम से किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक की जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
- राज्य स्तर पर किसानों को कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन व मत्स्यपालन की आधुनिक सलाह एवं समस्या निवारण हेतु एक टोल फ्री दूरभाष प्रणाली स्थापित की जायेगी।
- पांच घनमीटर तक बायोगैस संयंत्रों की स्थापना हेतु भारत सरकार द्वारा दिये जाने वाली अनुदान राशि के अतिरिक्त राज्य शासन की ओर से 2500 रूपये का अतिरिक्त अनुदान दिया जायेगा।
- शत-प्रतिशत बीजोपचार हेतु प्रदेश के कृषकों को बीजोपचार सामग्री पर अनुदान दिया जायेगा।
- प्रदेश की अ श्रेणी मंडियों में प्रतिवर्ष एक उत्कृष्ठ किसान को 35 हार्स पावर का ट्रेक्टर पुरस्कार के रूप में प्रदान किया जायेगा। अन्य वर्ग की मंडियों में भी एक उत्कृष्ठ किसान को 50 हजार रूपये राशि के उपकरण पुरस्कार स्वरूप दिये जायेंगे।
- प्रदेश के पान उत्पादक कृषकों के लिये आधुनिक तकनीक से पान उत्पादन की विशेष योजना तैयार कर 75 प्रतिशत तक अनुदान सहायता दी जायेगी।
- उद्यानिकी फसलों का मूल्य संवर्धन किया जायेगा एवं इसमें लगने वाली अधोसंरचनाओं जैसे शीतगृह, वाशिंग, शार्टिंग, पैकिंग शेड का निर्माण कराया जायेगा।
उद्यानिकी फसलों में सिंचाई हेतु लगने वाले ड्रिप एवं स्ंप्रिकलर की स्थापना के लिये दी जाने वाली शासकीय सहायता को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर सामान्य वर्ग के कृषकों के वर्ग के लिये 70 प्रतिशत और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के कृषकों के लिये 80 प्रतिशत तक किया जायेगा।
- प्रदेश के जो जिले राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के अंतर्गत स्वीकृत नहीं हैं उनके लिये 3 किसान प्रशिक्षण केन्द्र, अन्य राज्यों में किसानों का भ्रमण, उच्च तकनीक के फलोद्यानों का विकास (हाईटेक आर्चड), जैविक खेती को बढ़ावा देना, उद्यानिकी उत्पादों के रख-रखाव हेतु प्लास्टिक क्रेट का वितरण आदि की व्यवस्था की जायेगी।
- बकरी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिये नंदीशाला के अनुरूप उन्नत नस्ल के बकरे प्रदान किये जायेंगे।
- लघु एवं सीमांत पशुपालकों के पास उपलब्ध उन्नत किस्म के दुधारू पशुओं के पशुधन बीमा हेतु राज्य शासन द्वारा 25 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा।
- मध्यप्रदेश सिंचाई अधिनियम के तहत 400 हैक्टेयर या अधिक सैंच्य क्षेत्र वाली सिंचाई योजनाओं से लाभान्वित होने वाले कृषकों से वसूल किये जाने वाले प्रोन्नति अंशदान के प्रावधान को समाप्त किया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस अवसर पर केन्द्र सरकार के किसानों के कर्ज माफ करने, विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में विलंब नहीं करने, राज्य का ए.पी.एल. खाद्यान्न कोटा बढ़ाने तथा राज्य सरकार द्वारा रीवां तथा सागर संभागों के जिलों के लिये मांगे गए 24000 करोड़ रूपये के विशेष पैकेज को स्वीकृति करने की मांग की।
श्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार जिसे कर्ज विरासत में मिला था, सीमित संसाधनों के बावजूद किसानों के हित में लगातार प्रयास कर रही है। इसी उद्देश्य से पहले मुख्यमंत्री निवास में किसान पंचायत आयोजित की गई थी तथा अब यह किसान महापंचायत आयोजित की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शक्कर मिल से किसानों की लंबित राशि का भुगतान एक माह के भीतर सुनिश्चित किया जायेगा।
श्री चौहान ने राज्य के जिन जिलों में तेज ठंड ''पाला'' के कारण फसल क्षतिग्रस्त हुई है उनका सर्वे कराकर पात्र किसानों को राहत राशि वितरित की जायेगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों, छोटी सिंचाई योजनाओं का निर्माण किया जा रहा है। वर्षों से लंबित बाणसागर जैसी सिंचाई-बिजली योजनाओं को पूरा किया गया है। कमी के बावजूद किसानों को राज्य के बाहर से महंगी बिजली खरीदकर रियायती दर पर दी जा रही है। किसानों को उनके निवास पर पटवारी के माध्यम से अब नि:शुल्क खसरे की नकल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
श्री चौहान ने कहा कि एक हैक्टेयर की जोत वाले किसानों के परिवारों को अब दीनदयाल उपचार योजना के तहत प्रति वर्ष 20,000 रूपये की चिकित्सा की पात्रता होगी। गंभीर बीमारी की स्थिति में राज्य सहायता कोष में 1.5 लाख रूपये तक की पात्रता होगी। कृषि यंत्रों से विकलांग होने अथवा विद्युत करंट से क्षति पहुंचने पर भी आर्थिक सहायता दी जायेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को आवासीय संपत्ति के अधिकार पत्र देने की व्यवस्था की जा रही है जिसके आधार पर किसान कर्ज तथा जमानत आदि ले सकेंगे।
श्री चौहान ने कहा कि किसानों की समृध्दि से प्रदेश भी समृध्द होगा।
इसके पूर्व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की 70 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिये कृषि अथवा सहयोगी व्यवसायों पर आश्रित हैं। स्वतंत्रता के बाद पिछले साठ वर्षों में यदि किसानों की हालत सुधारने की कोशिश की गई होती तो किसानों के साथ-साथ देश भी समृध्द हो गया होता। खेती तथा किसानों की उपेक्षा के कारण वर्तमान स्थिति उत्पन्न हुई है कि कुछ राज्यों में किसानों को आत्महत्या करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को कृषि आमदनी बीमा योजना लागू करना चाहिये जिससे किसानों को बाढ़, सूखा आदि से फसल क्षतिग्रस्त होने पर राहत मिल सके।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश की किसान हितैषी सरकार किसानों तथा खेती के हित में प्रशंसनीय कार्य कर रही है
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