मुरैना में घरेलू हिंसा को लेकर मामला दर्ज, तीन सैकड़े मामले प्रशासन ने ठोकर पर उड़ाये
विशेष रपट- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द'' एडवाकेट
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मुरैना 23 अक्टूबर 08, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को पूरी तरह ताक पर टांग चुके म.प्र. शासन एवं जिला प्रशासन ने अब घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम को भी बलाए ताक धर दिया है ।
यूं तो शहर मुरैना और अंचल के गॉंवों में लगभग रोज ही हजारों घटनायें अधिनियम की मंशा के अनुसार घटित होतीं हैं, किन्तु भारतीय महिलायें काफी हद तक बर्दाश्त करती हैं और जब पानी सिर से एकदम ऊपर हो जाये और जब यह लगभग साफ हो जायेगा कि अब तो जान चली ही जायेगी तभी भारतीय महिलायें अपना पॉंव घर की देहरी से निकाल कर कानून की शरण में आतीं हैं । यदि अपवाद स्वरूप एक या दो मामलों को छोड़ दिया जाये तो चम्बल घाटी जैसे ग्रामीण परिवेश युक्त शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों में 98 से 99 फीसदी जिनाइन मामले ही आते हैं ।
लगभग तीन सैकड़ा मामले पिछले एक माह के दरम्यान जिला संरक्षण अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग की देहरी तक पहुँचे, वहीं लगभग दौ सैकड़ा मामले इसी दरम्यान पुलिस के पास पहुँचे । यह हैरत अंगेज था और कानून का खुला उल्लंघन भी कि जिला संरक्षण अधिकारी ने न केवल उनके आवेदन ग्रहण करने से मना कर दिया बल्कि दुत्कार कर भी भगा दिया उल्टे बेइज्जत किया सो अलग । बिल्कुल यही हाल पुलिस का रहा ।
किंचित मामले वकीलों की मेहरबानी से अदालत में दाखिल हुये किन्तु अधिनियम की धारा 12 के तहत आवेदन के रूप में नहीं बल्कि साधारण नियमित आवेदनों के रूप में । इनकी संख्या कुल मिला कर चार या तीन रही ।
मैं एडवोकेट होने के नाते भी, और समाजसेवी होने के नाते भी अक्सर उलझे हुये मामले मुझसे ही आ टकराते हैं, वैसे मेरे पास वक्त का काफी अभाव रहता है, सो अत्यधिक आवश्यकता वाले अति गंभीर व एकदम जिनाइन मामलों को ही देख और प्रोसीड कर पाता हूँ ।
जब कुछ बच्चियां घरेलू हिंसा की कहानी मेरे पास लेकर आयीं तो मैं सारी दास्तान सुन कर न केवल भौंचक्क रह गया बल्कि प्रशासन, पुलिस और वकीलों की इस सम्बन्ध में कार्यप्रणाली पर भी हतप्रभ था ।
मेरे पास आयी बच्चियों की संख्या काफी अधिक थी लेकिन मैंने वैभिन्नता के हिसाब से स्वयं डील करने हेतु केवल छह मामले चुने जिसमें से स्थानाभाव और समय अभाव के कारण उदाहरणात्मक तौर पर केवल दो मामले हम यहॉं इस रपट में चर्चा में रखेंगे । इतने से विषय समझ में आ जायेगा और क्या हो रहा है यह सच्चाई भी प्रतिबिंबित हो जायेगी ।
एक मामला एक समाजसेवी कार्यकर्ता का है जो कि स्वयंसेवी संस्थाओं में कार्यरत है और उसका पति भी सामाजिक कार्यकर्ता है और स्वयंसेवी संस्थाओं में कार्यरत है ।
दोनों की शादी भी विचित्र प्रकार से हुयी, फोरजरी, कूटरचना, जालसाजी और न्यायालयीन व्यवस्थाओं की पोल खोलने, प्रशासन और शासन की कारगुजारीयों को नंगा करने वाली खुली दास्तां इस केस में हैं । इस केस में यह भी रोचक और रोंगटे खड़े कर देने वाली बात है कि यह मामला ऐसी स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़ा है, जो दिन रात घरेलू हिंसा के विरूद्ध न केवल जागरूकता अभियान चला रहीं हैं बल्कि घरेलू हिंसा से निबटने के तौर तरीके दूसरों को सिखातीं हैं, कन्या भ्रूण हत्या और अगर मगर बातों पर समाज को जागरूक बना कर समाज की समस्या समाधानों में व्यस्त हैं, यह उनके खुद के भीतर ही घटित हो रही एक कलंकित व दागदार सच्चाई की अजीबो गरीब दास्तां है । हम पीडि़त आवेदका के आवेदन को यहॉं यथावत प्रस्तुत कर रहे हैं । आप इसे पढि़ये, हालांकि यह मामला भारत सरकार द्वारा ऑन लाइन पंजीकृत हुआ है लेकिन इस केस की प्री कोर्ट इन्वेस्टीगेशन रिपोर्ट (यह प्री कोर्ट प्री केस इन्वेस्टीगेशन स्वये मेरे द्वारा सम्पादित हुआ है) आप इस रपट के अगले अंक में पढ़ सकेगें । और इस प्रकरण की कायमी और ठुकराने भगाने और दवाब डालने जैसी सारी कहानी भी हम आपको सुनायेंगे । केस में सरकारी हकीकत के साथ और भी कई राज आपको बतायेंगें । लेकिन रपट के अगले अंक में । नीचे आवेदिका के आवेदन को मूल रूप में पढि़ये ।
आवेदन अन्तर्गत धारा 4(1) एवं धारा 5, घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005
प्रति,
1.माननीय अध्यक्षा महोदया
राष्ट्रीय महिला आयोग,
भारत सरकार, नई दिल्ली
2.श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,
म.प्र. शासन भोपाल म.प्र
3.माननीय अध्यक्षा महोदया
म.प्र. महिला आयोग
भोपाल म.प्र.
4.श्रीमान जिला संरक्षण अधिकारी महोदय/महोदया,
कार्यालय जिला महिला एवं बाल विकास विभाग
जिला मुरैना म.प्र.
5. श्रीमान पुलिस अधीक्षक जिला मुरैना/ थाना प्रभारी महोदय सिटी कोतवाली मुरैना म.प्र.
विषय : घरेलू हिंसा एवं उत्पीड़न से मुझ आवेदिका उमा सारस्वत पत्नी प्रवीण नायडू एवं पुत्री श्री सरदार सिंह सारस्वत से रक्षा करने एवं त्वरित सहायता व राहत दिलाने एवं आरोपी के विरूध्द आवश्यक आपराधिक अभियोजनात्मक कार्यवाही कर दण्डित कराये जाने हेतु आवेदन !
महोदय/महोदय,
विषयान्तर्गत अनुरोध है कि मैं आवेदिका उमा सारस्वत जिसका समस्त विवरण अधिनियम की वांछा के मुताबिक इस आवेदन पत्र के साथ संलग्न प्रपत्र नियम 5 (1)(2) एवं नियम 17(3) के अनुसार भर कर संलग्न है में विवरण उल्लेखित है ! तथा घरेलू हिंसा एवं अन्य उत्पीड़न व आपराधिक घटनाओं का विवरण निम्नवत है -
1- मैं प्रार्थिनी आवेदिका जो कि वर्तमान में आयु 33 वर्ष की है तथा मेरे पिता श्री सरदार सिंह सारस्वत निवासी भगोले वाली गली, कब्रिस्तान रोड, गणेशपुरा मुरैना म.प्र.विद्युत मण्डल के सेवा निवृत्त कर्मचारी हैं जिन पर सेवानिवृत्ति उपरान्त मिलने वाली पेंशन के अतिरिक्त अन्य कोई आय का साधन नहीं हैं ! जिनके द्वारा मुझ प्रार्थिनी को उच्च शिक्षा दिलवा कर सुशिक्षित व सुसंस्कृत बनाया गया है !
2- मैं वर्ष सन 2007 के जुलाई माह में अमित कान्वेन्ट स्कूल मुरैना में पढ़ाती थी ! मेरे घर सत्येन्द्र सिकरवार विद्यार्थी एक अन्य युवक जिसका नाम प्रवीण नायडू के साथ जुलाई 2007 में आये और मुझे सत्येन्द्र सिकरवार विद्यार्थी की संस्था रतन वेलफेयर सोसाइटी में प्रोजेक्ट का काम करने के लिये बुलाया ! इस घटनाक्रम के दौरान मेरा प्रथम परिचय सीहोर निवासी प्रवीण नायडू के साथ हुआ !
3- तालीम नामक परियोजना में मैंने एवं प्रवीण नायडू ने साथ साथ लगभग एक माह तक प्रशिक्षण ग्वालियर जाकर प्राप्त किया जिसके कारण मेरा प्रवीण नायडू से निकट सम्पर्क बढ़ गया !
4- इसके बाद प्रवीण नायडू जो कि स्थायी रूप से इंग्लिशपुरा, विधायक वाली गली, सीहोर म.प्र. का रहने वाला है, मुझे अक्सर फोन लगा कर मुझसे बातें करने और मुझे प्रेम जाल में फंसाने लगा !
5- उसने मुझसे निकटता बढ़ाने और मुझे अपने जाल में फंसाने के लिये स्वयंसेवी संस्थाओं की अनेक बैठकों का आयोजन होने पर मुझसे सदा निकटतर आने और मुझे विश्वास में फंसाने का जाल फैलाया ! वह मुझे रानपुर मुरैना आदि कई जगह तांत्रिकों व बाबाओं के पास ले जाकर मुझे फंसाता रहा !
6- मुझसे प्रवीण नायडू द्वारा बहकाया गया कि वह आलीशान कोठी बंगले का एक मात्र मालिक और कई कार और गाड़ीयां आदि उसके पास हैं तथा पारिवारिक तौर पर वह भारी सम्पत्ति का स्वामी है तथा स्वयंसेवी संस्थाओं में काम केवल शौक पूरा करने के लिये करता है ! उसने मुझसे कहा कि मैं उसे बेहद पसन्द हूँ यदि मैं उससे विवाह कर लूं तो मैं जीवन भर बेहद सुखी व समृध्द रहूंगीं ! विवाह का लालच देकर उसने मुझसे शारीरिक सम्बन्ध बनाने चाहे लेकिन मैंने उसे ऐसा करने से रोक दिया और शर्त रखी कि पहले अपने माता पिता से बात करो और मेरे माता पिता से बात करो फिर शादी करो तभी आगे कुछ सम्भव होगा ! जिससे प्रवीण चिढ़ गया और मुझसे अनेकों बार जिद करके अकेले में मिलने के लिये बुलाने हेतु दवाब डालने लगा ! मेरे सर्वथा इन्कार करने के बाद प्रवीण ने अपने माता पिता से सहमति प्राप्त की तथा मुझे गुमराह करते हुये कहा कि वह विवाह को तैयार है !
7- प्रवीण नायडू ने मुझे गुमराह करते हुये कहा कि तुम्हारे माता पिता विवाह हेतु तैयार नहीं होंगे अत: नोटरी करा के विवाह कर लेते हैं इससे विवाह का फालतू खर्च भी बच जायेगा और नोटरी विवाह होने के बाद तुम्हारे माता पिता को मजबूरी में हमारे विवाह को मंजूरी देना पड़ेगी !
8- उक्त बिन्दु क्रमांक 7 के तारतम्य में प्रवीण नायडू एक नोटरी बनवा कर चुपके से मेरे घर ले आया और मेरे हस्ताक्षर स्टाम्पों पर तथा नोटरी रजिस्टर पर करवा कर ले गया ! नोटरी की प्रति इस आवेदन के साथ संलग्न है ! जिसकी जानकारी मेरे माता पिता को नहीं हुयी और प्रवीण नायडू ने मेरे माता पिता के नाम से जाली हस्ताक्षर स्वयं कर लिये ! तथा गवाह के रूप में संध्या शैली और ज्योति कर्दम के हस्ताक्षर करे हुये मुझे दिखाये !
9- नोटरी होने के दो दिन बाद ही मुझे प्रवीण नायडू फोन से तथा व्यक्तिगत सम्पर्क के जरिये धमकाने लगा और भयभीत कर दवाब डाल कर कहने लगा कि अब तुम कानूनन मेरी पत्नी बन गयी हो, अत: अब मैं तुम्हें जब भी और जहाँ भी बुलाऊंगा तुमको मेरे पास आना पड़ेगा और जो भी मैं कहूंगा वह तुम्हें अब करना पड़ेगा वरना मैं कानूनी कार्यवाही कर दूंगा और तुझे व तेरे माता पिता को बर्बाद कर दूंगा ! इस प्रकार मुझे वह बल एवं छल पूर्वक भयभीत कर एकान्त में बुला कर जबरदस्ती अनुचित व्यवहार करने लगा !
10- 30 जून 2008 को पुन: प्रवीण नायडू ने नोटरी का भय दिखा कर मुझे फोन द्वारा धमकाया और कहा कि तुरन्त मेरे पास आ जाओं और मेरे साथ पत्नी की भांति रहो, क्योंकि नोटरी के कागज में एक स्थान पर तुमने मुझे वचन देंकर हस्ताक्षर किया है अत: तुरन्त न आयी तो मुझे पुलिस से गिरफ्तार करवा कर बुलवा लेगा, ऐसा सुन कर प्रार्थिया अत्यन्त भयभीत होकर घबरा गई और अपने घर वालों को सारी बात बताई, जिससे प्रार्थिया के माता पिता हैरान, परेशान और चिन्तित होकर दु:खी हो गये ! तब प्रार्थिया के पिता श्री सरदार सिंह सारस्वत ने सारे घटनाक्रम के प्रति प्रवीण नायडू से बातचीत की जिस पर प्रवीण नायडू उन्हें भी कानूनी कार्यवाहीयों और पूरे परिवार को गिरफ्तार करवा कर जेल भिजवाने की धमकी देने लगा !
11- तब प्रार्थीया के पिता ने प्रवीण नायडू से कहा कि मेरी लड़की तुम्हारे साथ सुखी व समृध्द रहेगी ऐसा आश्वासन मुझे दो और अपने घर तथा माता पिता आदि की जानकारी मुझे दो जिससे मैं तुम्हारे पिता से बात कर सकूं और मैं तब फिर विधिवत सामाजिक रूप से तुम दोनों का विवाह कर दूंगा ! इसके उपरान्त प्रवीण नायडू ने मेरे माता पिता को मुझे आजीवन सुखी व समृध्द रखने का वचन एवं आश्वासन दिया तथा अपने सीहोर स्थित घर परिवार का पता ठिकाना बताया !
12- मेरे पिता ने सीहोर जाकर प्रवीण नायडू के माता एवं पिता ए.बी. नायडू एवं श्रीमती लक्ष्मी नायडू से बातचीत की जिस पर उन दोनों द्वारा मेरे पिता को आश्वस्त किया एवं विश्वास दिया कि उनका पुत्र हर प्रकार से ठीक स्वस्थ एवं स्वस्थ मनोमस्तिष्क व उत्तम चरित्र का है ! तथा मेरा जीवन विवाहोपरान्त प्रवीण नायडू के साथ पूर्ण सुख शान्ति व समृध्दि के साथ गुजरेगा ! प्रवीण नायडू के माता पिता ने मेरे पिता को यह भी आश्वासन, वचन एवं विश्वास दिलाया कि उनकी समस्त सम्पत्ति का उत्तराधिकारी व स्वामी उनका एकमात्र पुत्र प्रवीण नायडू ही होगा !
13- इसके उपरान्त प्रवीण नायडू एवं उसके पिता ए.बी.नायडू और माता श्रीमती लक्ष्मी नायडू के आश्वासनों से आश्वस्त एवं उनके द्वारा दिये गये विश्वास से विश्वस्त होकर मेरे पिता ने मेरा विवाह प्रवीण नायडू के साथ तय कर दिया जो कि दिनांक 11 जुलाई 2008 को आर्य समाज मन्दिर मुरैना में आर्य समाज पध्दति से होना निश्चित हुयी !
14- मेरा विवाह प्रवीण नायडू के साथ नियत होने के उपरान्त दिनांक 4 जुलाई 2008 को प्रवीण नायडू ने मुझे फोन करके बुलाया जिस पर मैंने कहा कि अब कुछ ही दिनों में हमारी शादी होने वाली है और हम सब शादी की तैयारीयों में व्यस्त हैं, ऐसे में मेरा आ पाना सम्भव नहीं हैं, जिस पर प्रवीण काफी नाराज हो गया और मुझे फोन पर ही डराने धमकाने लगा तथा मुझसे कहा कि हमारी शादी तो पहले ही नोटरी से हो चुकी है और कानूनन तुम मेरी पत्नी हो और तुम्हें अब मेरे पास हर हालत में सब कुछ काम काज छोड़ कर आना पड़ेगा वरना मैं कानूनी कार्यवाही करके तुम्हें जबरन अपने पास बुलवा लूंगा और तुम्हें अब वही करना पड़ेगा जो मैं कहूंगा ! प्रार्थिनी प्रवीण नायडू द्वारा इस तरह डराये धमकाने जाने से भयभीत होकर जब उससे मिलने पहुँची तो वह प्रार्थिनी से गाली गलौज करने लगा और चाकू निकाल कर उसने स्वयं को घायल कर लिया तथा मुझे मारने पीटने लगा और बोला कि पहले मेैं तुझे मार दूंगा यह कह कर वह मेरा गला घोंटने लगा ! तथा बोला कि उसके बाद मैं सुसाइड नोट छोड़ कर आत्म हत्या कर लूंगा ! इसके बाद खुद के गले में फन्दा डालने लगा जिससे प्रार्थिनी काफी भयभीत व आतंकित हो गयी !
15- प्रार्थिनी ने सारे घटनाक्रम से अपने घर वालों को अवगत कराया और घर वालों ने इस घटना पर आपत्ति प्रकट करते हुये प्रवीण व उसके घर वालों से ऐसी सूरत में विवाह रोकने की बात कही ! जिस पर दिनांक 7 जुलाई 2008 को ज्योति कर्दम के घर पर अनेक लोगों की उपस्थिति में प्रवीण नायडू ने सारी घटना पर माफी मांगी और कहा कि वह भावावेश में गलती से बहक कर ऐसा कर बैठा तथा आइन्दा जीवन भर ऐसी गलती वह दोबारा नहीं करेगा तथा मुझे सदा ससम्मान पत्नी के रूप में रखेगा ! उसके द्वारा माफी मांगे जाने एवं भविष्य में ऐसी हरकत पुन: न दोहराने के आश्वासन के बाद मेरे माता पिता ने शादी करने का निर्णय लिया !
16- दिनांक 11 जुलाई 2008 को उपरोक्तानुसार मेरा विवाह प्रवीण नायडू के साथ सम्पन्न हुआ जिसके फोटोग्राफ एवं वीडियो मेरे पास सुरक्षित है ! मेरे विवाह में मेरे पिता ने अपनी सामर्थ्य व क्षमता तथा प्रवीण नायडू व उसकी माता व पिता की संतुष्टि की खातिर काफी नकद राशि, सामान आदि दिया व भोज एवं व्यवस्था आदि के लिये काफी धन राशि व्यय किया ! दिये गये सामान, नगद राशि एवं किये गये व्ययों की सूची इस आवेदन के साथ संलग्न है !
17- दिनांक 11 जुलाई 2008 को मेरा विवाह प्रवीण नायडू के साथ होने के उपरान्त मैं प्रवीण नायडू के घर आ गयी ! शादी के बाद मुझे पता चला कि प्रवीण नायडू दूसरे तीसरे दिन शराब पीकर घर में आता था तथा मुर्गा माँस आदि खाता था यह जानकारी शादी से पहले प्रवीण ने मुझसे छुपाई थी ! शराब पी कर आने के बाद वह मुझसे जबरदस्ती करता तथा मेरी मार पीट कर मुझसे पशुवत व्यवहार करता ! मुझसे छोटी छोटी बातों पर झगड़ा करता और मुझे मारता पीटता ! मुझसे कहता कि तू मेरी अब पत्नी है तुझे मेरा हर हुक्म मानना पड़ेगा मैं जो भी चाहूंगा वह तुझे करना पड़ेगा मैं जो भी चाहूंगा वह करूंगा ! इस प्रकार वह मुझे पीटता और ताने देकर मानसिक यातनायें देता !
18- दिनांक 23 अगस्त 2008 को प्रवीण नायडू ने मेरे साथ बहुत अधिक मारपीट की, मेरा गला घोंटा तथा मुझसे कहा कि तेरे बाप ने विवाह में मोटरसाइकिल और टी.वी. नहीं दिया है जा जाकर अपने बाप से कह और टी.वी. तथा मोटरसाइकिल लेकर आ ! जिससे दुखी होकर प्रार्थिया सारी रात रोती रही !
19- दिनांक 2 अक्टूबर 2008 को मैं अपने माता पिता के पास गणेशपुरा में आ गयी ! दिनांक 9 अक्टूबर 2008 को जब मैं अपने मायके में थी तब प्रवीण ने फोन किया और कहा कि अपने घर गोपालपुरा में चोरी हो गयी है और चोर गैस का सिलेण्डर चुरा ले गये हैं साथ ही पड़ौसी के घर में भी चोरी हो गयी है ! प्रवीण ने मुझसे कहा कि उमा तुम तुरन्त यहाँ आ जाओ ! इसके बाद जब मैं गोपालपुरा स्थित अपने साझा निवास पर पहुँची तो देखा वहां कोई चोरी नहीं हुयी थी तथा प्रवीण ने मुझसे झूठ बोला था ! उसने मुझसे कहा कि उसने वैसे ही झूठ बोला था जिससे मैं वहाँ पहुँच जाऊं ! 9 अकटूबर 2008 को ही शाम तथा रात को प्रवीण नायडू ने मेरे साथ मारपीट की मुझसे मोटरसाइकिल व टी.वी. लाने का उलाहना देने लगा ! और मुझे घायल करने के बाद खुद के सिर में ताला चाबी मार कर खुद को लोहूलुहान कर लिया तथा मुझे आत्महत्या की धमकी देने लगा ! जिससे प्रार्थिनी अत्यन्त दुखी एवं भयभीत हो गयी ! तथा सारी रात रोती रही !
20- दिनांक 10 अक्टूबर को प्रवीण नायडू ने मेरे साथ भारी मार पीट की और मुझे लातें तथा घूंसे मारें व धक्का मार कर पटक दिया ! मुझसे कहा कि मोटर साइकिल और टी.वी क्यों नहीं अपने बाप से लेकर आयी ! इसके बाद जमीन पर फर्श पर खचेर खचेर कर घसीट घसीट कर पटक पटक कर मारा ! उसने मेरा गला दबा कर घोंट दिया जिससे मेरी सांस फूल गयी और दम घुट गया ! फिर मुझे लातें मार मार कर मरणासन्न कर दिया ! और मुझे मरा समझ कर भाग गया तथा पास में रहने वाले मनोज कुलश्रेष्ठ के घर में घुस गया ! जिसके पीछे भागते हुये मैं भी पहुँच गयी वहाँ प्रवीण नायडू ने मुझे फिर से मारा पीटा !
21- मैंने मनोज कुलश्रेष्ठ के यहाँ से अपने घर माता पिता के पास फोन लगाया तब मेरे माता पिता ने नरेन्द्र व कल्ली को मुझे लेने पहुूंचाया जिनके साथ में बदहवास अवस्था में ही अपने घर रात 9 बजे पहुँची !
22- दिनांक 10 अक्टूबर को ही रात 10 बजे प्रवीण नायडू मेरे घर गणेशपुरा पहुंच गया और वहाँ ढाई घण्टे तक जमकर झगड़ा किया, और मुझे तथा मेरे माता पिता को ऊंची ऊंची आवाज में गाली गलौज करता रहा ! इसके बाद उसने चश्मे तथा ईंटों से अपना सिर फोड़ लिया एवं आत्महत्या की धमकी देने लगा ! तब मैंने मनोज कुलश्रेष्ठ को फोन लगा कर सारी बात बताई तब सत्येन्द्र सिकरवार विद्यार्थी और मनोज कुलश्रेष्ठ मोटरसाइकिल लेकर आये और प्रवीण नायडू को बिठा कर ले गये ! इससे मैं व मेरे माता पिता तथा सारा परिवार भयभीत व आतंकित हो गये !
23- दिनांक 12 अक्टूबर 2008 को रात 10 बजे फिर प्रवीण नायडू मेरे घर पहुँचा और जबरदस्ती मेरे पिता को धक्का मार कर घर मे घुस गया ! तथा ऊंची ऊंची आवाज में अश्लील गाली गलौज करते हुये मेरे साथ मार पीट करने लगा तथा जबरदस्ती खींच खचेर कर उसने मेरी पिटाई लगायी और मुझसे कहा कि जायेगी कैसी नहीं तुझे यहीं जान से मार दूंगा ! तब नरेन्द्र और कल्ली उसे पकड़ कर सड़क पर छोड़ कर आये !
24- श्रीमान जी तब से निरन्तर प्रवीण नायडू मेरे घर के आसपास चक्कर लगाता है और गाली गलौज करके धमकी दे कर जाता है उसका कहना है कि वह मुझे जबरदस्ती जबरन बलपूर्वक खचेरता हुआ लेकर जायेगा तथा यदि मैं नहीं गयी तो वह मेरी हत्या कर देगा तथा फिर खुद आत्महत्या करके सुसाइड नोट में मेरे परिवार व मेरे माता पिता को फंसा देगा ! जिससे प्रार्थिनी व उसके माता पिता एवं सारा परिवार भयभीत एवं आतंकित हैं !
अत: उपरोक्तानुसार आवेदन प्रस्तुत कर आदरणीय श्रीमान से निवेदन है कि प्रार्थिनी व उसके परिवार की प्रवीण नायडू के अत्याचारों से रक्षा करने की व्यवस्था करें तथा आरोपी के विरूध्द आवश्यक आपराधिक अभियोजनात्मक कार्यवाही कर दण्डित कराने की कृपा करें प्रार्थिनी को प्रवीण नायडू द्वारा हत्या करने की आशंका है तथा प्रार्थिनी के माता पिता व परिवार को प्रवीण नायडू द्वारा झूठे प्रकरणों में फंसाने का अंदेशा है ! अत: साथ ही प्रवीण नायडू के खिलाफ प्रतिबन्धात्मक आदेश एवं प्रार्थिनी का सारा सामान एवं वस्तुयें प्रवीण नायडू के कब्जे से वापस दिलाने, घरेलू हिंसा रूकवाने सम्बन्धी आदेश दिलाने की कृपा करें ! प्रार्थिनी को भरण पोषण्ा हेतु समुचित खर्च भी अनावेदक प्रवीण नायडू एवं उसके माता पिता से दिलाये जाने की कृपा की जाये !
प्रार्थिनी आपकी आजीवन आभारी रहेगी !
धन्यवाद !
प्रार्थिनी
उमा सारस्वत (नायडू)
पत्नी प्रवीण नायडू
पुत्री श्री सरदार सिंह सारस्वत
फोन नंबर 07532-223337
वर्तमान पता-
भगोले वाली गली, कब्रिस्तान रोड, गणेशपुरा मुरैना म.प्र.
साझा गृहस्थी का पता -
द्वारा भागीरथ शर्मा पुत्र रामेश्वर शर्मा,
कटारे वाली गली, बाल निकेतन रोड, गोपालपुरा मुरैना म.प्र.
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