सोमवार, 20 अक्टूबर 2008

परिसीमन का साया : माया तेरे तीन नाम, परसा, परसू, परसराम, ध्‍वस्‍त गणित चौंकाने वाले होगें परिणाम

परिसीमन का साया : माया तेरे तीन नाम, परसा, परसू, परसराम, ध्‍वस्‍त गणित चौंकाने वाले होगें परिणाम 

श्रंखलाबद्ध आलेख करवट-6

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

पिछले अंक से जारी ...

यूं अब विधानसभा चुपाव काफी नजदीक आ गये हैं और चुनावी सागर की जल तल में जमी काई भी काफी हद तक छंट गयी है । कुछ राजनीतिक दलों की निगाहें (सभी की नहीं) लगे हाथ होली बाद होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी लगी हुयीं हैं । और वे अपनी तैयारी में लोकसभा चुनावों की तैयारी को भी शामिल कर चल रहे हैं ।

वैसे लोकसभा का चुनाव अभी परिदृश्‍य से परे है और जनता यानि मतदाता के मनोमस्तिष्‍क में लोकसभा चुनावों का कोई कीड़ा नहीं रेंग रहा अत: हम अभी इस आलेख में लोकसभा चुनावों को अपने जिक्र व चर्चा से परे रख कर केवल विधानसभा चुनावों के परिदृश्‍य व आलोक में ही इस आलेख को लिखेंगे व पढ़ेंगे । कतिपय जगह कतिपय राजनीतिक दलों की लोकसभा चुनाव सम्‍बन्‍धी बातों का आलेख में कहीं जिक्र आये भी तो उसे महज विधानसभा चुनावों के परिप्रेक्ष्‍य में ही ग्रहण करें ।

जहॉं राजनीतिक दल इस समय अपने अपने लठ्ठ भांजने में लगे हैं वहीं हवाई तलवारें भी आसमान चूमने लगीं हैं । एक दूसरे पर आरोप प्रत्‍यारोपों का दौर शुरू हुये हालांकि अर्सा गुजर गया है । लेकिन अभी पार्टियों के लोकल प्रत्‍याशी घोषित न होने से आरोपों की यह बौछारें उच्‍च स्‍तरीय ही हैं अभी स्‍थानीय स्‍तर पर इनका अभ्‍यास युद्ध प्रारंभ नहीं हुआ है ।

राजनीतिक दल जिन्‍होंने अपने प्रत्‍याशी घोषित कर दिये हैं, उनका चुनाव प्रचार प्रारंभ हो गया है । हालांकि अभी चुनाव आयोग ने चुनाव का ऐलान करके सबको अपनी अपनी पॉंत जमाने का औपचारिक रंग दे दिया है और कई दल और कई नेता अपनी अपनी बिसात बिछाने में लग बठे हैं ।

वर्तमान परिदृश्‍य में किसके क्‍या हाल हें इस पर एक सरसरी नजर डाल ली जाये तो विषय विस्‍तार को समझना आसान रहेगा ।

पहले आईये चम्‍बल घाटी से ही शुरू करते हैं यहॉं बहुजन समाज पार्टी ने अपने सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्‍याशी घोषित कर दिये हैं वहीं किंचित विवादों के चलते लगे हाथ लोकसभा का प्रत्‍याशी भी धोषित कर दिया है । भाजशपा ने अभी केवल तीन विधानसभा में ही प्रत्‍याशीयों का चयन किया है जिसमें अभी तक घोषित केवल दिमनी विधानसभा का प्रत्‍याशी हुआ है । सपा के प्रत्‍याशीयों का चयन अंतिम रूप में हैं और शीघ्र ही घोषित कर दिया जायेगा । वहीं लोक जन शक्ति पार्टी के प्रत्‍याशीयों की सूची भी घोषित की जा चुकी है । अन्‍य छिटपुट पार्टीयां भी प्रत्‍याशी चयन की कवायद में जुटी हैं 1 व्‍यापक व बृहद प्रभावी पार्टीयां कांग्रेस और भाजपा की चयन सूचीयां अभी कॉंट छॉंट और रद्दोबदल के दौर में हैं जो कि दीपावली के बाद क्रमवार घोषित होंगीं जिसमें स्‍पष्‍टत: मुरैना व दिमनी विधानसभा अंतिम समय तक रोकीं जायेंगीं । इन विधानसभाओं पर संभवत: सबसे आखिरी सूची में ही कांग्रेस व भाजपा अपने प्रत्‍याशी घोषित करेंगें ।

जहॉं कुछ विश्‍लेषक अबकी बार दिमनी विधानसभा को सर्वाधिक संवेदन शील सीट मान कर चल रहे हैं वहीं भारी हिंसा व उपद्रव की आशंका भी जता रहे हैं । आईये अब देखते हैं कि वस्‍तुस्थिति क्‍या है ।

वस्‍तुत: मुरैना विधानसभा सीट अभी कई पेचो खम में फंसी है अव्‍वल तो बहुजन समाज पार्टी ने अपना पिछला प्रत्‍याशी दोहरा कर परशुराम मुद्गल को मुरैना सीट पर उतारने की धोषणा की है वहीं पिछली बार परशुराम मुद्गल के मुकाबले ब्राह्मण समाज के अन्‍य कद्दावर नेता बलवीर सिंह डण्‍डोतिया को मुरैना लोकसभा का टिकिट का लोभ देकर मौन कर दिया है, यहॉं उल्‍लेखनीय है कि ब्राह्मण समाज को परशुराम मुदगल की पिछली पराजय का कारण बलवीर डण्‍डोतिया प्रतीत होते हैं और ब्राह्मणों का तर्क है कि बलवीर डण्‍डोतिया ने ब्राह्मणों के वोट काट लिये थे वरना परशुराम विजयी होता ।

उधर भाजपा में वर्तमान विधायक एवं मंत्री रूस्‍तम सिंह के अलावा जिन अन्‍य नामों पर मशक्‍कत हो रही है उनमें नगर पालिका पार्षद अनिल गोयल अल्‍ली, लक्ष्‍मीनारायण सिंह हर्षाना, तथा रामस्‍वरूप गुप्‍ता, और रामसेवक गुप्‍ता आदि हैं । अब भाजपा किसे प्रत्‍याशी बनायेगी ये वक्‍त बतायेगा ।

मुरैना सीट पर ही कांग्रेस में राकेश गर्ग, सोवरन सिंह मावई और दिनेश गुर्जर तथा रघुराज सिंह कंसाना पंक्ति में हैं । सपा का मुरैना टिकिट अभी विचाराधीन है । भाजशपा से पंजाब केसरी के पत्रकार गुप्‍ता, डॉ माहेश्‍वरी, और मनोरमा जैन स्‍कूल संचालिका कस्‍तूरबा स्‍कूल, उल्‍लेखनीय हे कि मनोरमा जैन समाजवादी पार्टी से भी टिकिट मांग रहीं हें ।

दिमनी विधानसभा से सपा द्वारा मोती सिंह गुर्जर, भाजशपा ने शिवचरण उपाध्‍याय, और बसपा ने रवीन्‍द्र सिंह तोमर तथा लोक जन शक्ति पार्टी द्वारा प्रेम कुमार जाटव को अपना प्रत्‍याशी बनाया है कांग्रेस व भाजपा के प्रत्‍याशी यहॉं अभी घोषित होने बाकी हैं ।

जौरा और सुमावली के क्षेत्र नये परिसीमन में कुछ बदल कर जातीय गणित यहॉं परिवर्तित हुये हैं । वैसे जातीय गणित तो लगभग हर विधानसभा सीट पर बदल गये हैं ।

जहॉं मुरैना विधानसभा सीट पर यदि भाजपा वर्तमान रूस्‍तम सिंह को टिकिट देती है तो भाजपा में एक वजनदारी कायम नजर आती है या फिर किसी एकदम नये व अविवादित चेहरे को लाने पर ही भाजपा का बेड़ा पार संभव नजर आता है । किन्‍तु वर्तमान में जिन प्रत्‍याशीयों के नाम भाजपा में उछल रहे हैं मुझे नहीं लगता कि विश्‍लेषणत्‍मक तौर पर वे भाजपा को कोई सकारात्‍मक नतीजा दे पायेंगें । जहॉं रूस्‍तम सिंह के शहरी वोट अबकी बार कुछ कम होंगे तो ग्रामीण वोट बढ् जायेंगे । रूस्‍तम सिंह ने ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री रहते भले ही समूचे मध्‍यप्रदेश और समूचे मुरैना जिला में कोई काम न करवाया हो किन्‍तु मुरैना विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्र विशेषकर गूजर बाहुल्‍य क्षेत्रों में बहुत काम करवाया है और इन क्षेत्रों को मंत्री ने चकाचक करवा दिया है, वहीं शहर मुरैना के कुछ विशिष्‍ट क्षेत्रों में भी मंत्री ने खासा काम कराया है । इन क्षेत्रों के मतदाता भाजपा सरकार से भले ही चिढ़े हुये हों लेकिन रूस्‍तम सिंह पर रीझे और मेहरबान हैं । इस हिसाब से रूस्‍तम सिंह भाजपा के आज भी वजनदार प्रत्‍याशी आंके जाते हैं ।

वहीं दूसरी ओर भाजपा के न्ररपालिका पार्षद अनिल गोयल अल्‍ली को शहर का वैश्‍य वर्ग काफी अधिक संख्‍या में समर्थन देगा वहीं ग्रामीण क्षेत्र में भी वैश्‍य समुदाय का समर्थन उन्‍हें मिल जायेगा लेकिन यदि इसी क्रम में यदि भाजशपा यदि पंजाब केसरी के पत्रकार गुप्‍ता को टिकिट देकर प्रत्‍याशी बना बैठी तो अनिल गोयल अल्‍ली को जमानत बचाने के भी लाले पड़ जायेंगे । क्‍योंकि अल्‍ली को भाजपा के पारम्‍परिक वोट के अतिरिक्‍त अन्‍य समाज शायद ही वोट दे । जबकि रूस्‍तम सिंह के मामले में जातीय रूझान केवल मुरैना ग्रामीण क्षेत्र तक सीमित है और शहरी मतदाता में हर जाति के वोट उन्‍हें मिलना आसान है । लक्ष्‍मीनारायण हर्षाना इस सारी दौड़ में अभी काफी पीछे छूट रहे हैं लेकिन उन्‍हें गुर्जर मतों और कुछ शहरी वैश्‍य मतों के सहारे अपनी दमदारी नजर आ रही है ।

भाजपा के ही अन्‍य नेता रामसेवक गुप्‍ता पूर्व विधायक एवं रामस्‍वरूप गुप्‍ता की स्थिति अभी कमजोर नजर आ रही है, लम्‍बे समय की निष्क्रियता से उन्‍हें अभी आउटडेटेड माना जायेगा तो उपयुक्‍त होगा ।

बहुजन समाज पार्टी के विवादित नेता परशुराम मुद्गल पिछली बार हुयी गलतियों को अब दोहराने के मूड में नहीं हैं और अबकी बार पूरा जोर जान लगाकर मुरैना विधानसभा के परिणामों को पलटने की कवायद में लगे हैं । हालांकि बसपा नेता मुद्गल पर कई अपराध कराने और उनमें लिप्‍त होने के आरोप बरकरार हैं साथ ही पुलिस के दलाल के रूप में उनकी छवि बिगड़ी हुयी है लेकिन उनके नजरिये से सारे विश्‍लेषण और गणित को सामने रखें तो मुरैना विधानसभा के परिणामों में वे करिश्‍माई बदलाव कर भी सकते हैं । लेकिन यह बदलाव कांग्रेस प्रत्‍याशी के ऊपर निर्भर करेगा कि कांग्रेस किसे अपना प्रत्‍याशी बनायेगी । यदि कांग्रेस सोवरन सिंह मावई को पुन: रिपीट करती है और भाजपा भी रूस्‍तम सिंह को मैदान में रखती है तो यह स्थिति बिल्‍कुल पिछले वर्ष सन 2003 के विधानसभा चुनाव के मानिन्‍द होगी । बस फर्क यह होगा कि अबकी बार मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा न होकर त्रिकोणीय संघर्ष होगा और कांग्रेस, बसपा या भाजपा में से कोई भी जीत सकता है किन्‍तु जीत का अन्‍तर काफी कम होगा । वैसे सम्‍भव है कि इस त्रिकोणीय मुकाबले में रूस्‍तम सिंह ही विजयी हो जायें क्‍योंकि जहॉं राजपूत वोटों को अबकी बार बसपा प्रत्‍याशी परशुराम मुद्गल खींचने की जुगाड़ में हैं तो जाटव समाज के वोट बसपा के विरूद्ध अबकी बार पड़ने की संभावनायें उन्‍हें कमजोर भी करतीं हैं । ऐसा नहीं कि जाटव वोट केवल मुरैना विधानसभा में ही बसपा के खिलाफ जायेंगे बल्कि समूचे चम्‍बल क्षेत्र में ही जाटव समाज बसपा क खिलाफ वोटिंग करेगा ऐसा ऐलान जाटव समाज द्वारा किया गया है, इसके पीछे प्रमुख कारण डॉ. पी.पी. चौधरी की हत्‍या, फूल सिंह बरैया की बगावत और अनीता हितेन्‍द्र चौधरी की बसपा के खिलाफ खुली ऐलाने जंग है । इस गणित पर बसपा को अबकी बार भरी संख्‍या में जाटव वोटों के वोट बैंक से हाथ धोकर अन्‍य वर्ग व जातियों का नया वोट बैंक बनाना होगा । यह एक खास वजह है जिससे बहुजन समाज पार्टी को भारी नुकसान समूची चम्‍बल घाटी में संभव है । लेकिन यदि बसपा तकनीकी तौर पर अन्‍य वर्ग जातियों व समाजों का नया वोट बैंक यदि इस दरम्‍यान उपजा लेती है तो बेशक यह करिश्‍मा होगा । और वाकई बसपा की दाद देनी पड़ेगी । वैसे यह मुझे मुश्किल जान पड़ता है, कयोंकि किसी भी पार्टी का नया वोट बैंक मुरैना जिला में केवल दिमनी विधानसभा से ही उपज सकता है क्‍योंकि वर्षो बाद यह सीट आरक्षित से सामान्‍य हुयी है और पूरी तरह फ्रेश है यहॉं जिस पार्टी की भी फतह होगी भविष्‍य में समूचे मुरैना जिला पर उसका ही वोट बैंक होगा । क्‍योंकि दिमनी विधानसभा सीट जहॉं अम्‍बाह एवं गोहद विधानसभा सीटों पर सीधा सीधा प्रभाव डालेगी (निकटवर्ती एवं तोमर राजपूत बाहुल्‍य सीटें) वहीं आगामी लोकसभा चुनाव में मुरैना लोकसभा सीट पर भी प्रत्‍यक्ष पकड़ व प्रभाव रखेगी ।

लेकिन यह बहुजन समाज पार्टी का दुर्भाग्‍य कहिये कि फिलवक्‍त बहुजन समाज पार्टी ने यहॉं उत्‍तरप्रदेश से आयातित प्रत्‍याशी दे दिया है सो बहुजन का नया जनाधार व बोट बैंक केवल उसी दशा में संभव होगा जब कांग्रेस और भाजपा किसी कमजोर प्रत्‍याशी को यहॉं से खड़ा कर इस सीट को थाल में सजा कर बहुजन समाज पार्टी को दें दें । 

 

क्रमश: जारी अगले अंक में ......

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