शनिवार, 14 अप्रैल 2007

शिक्षा क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन

शिक्षा क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन
हर्ष भाल*

       नई दिल्ली में राज्यों के शिक्षा मंत्रियों का एक सम्मेलन (10-11 अप्रैल, 2007) आयोजित किया गया था । 11वीं योजना के शुरू होने पर आयोजित इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य अतीत का लेखा-जोखा लेना और भावी योजना बनाना था ताकि शिक्षा तक पहुंच, समानता, गुणवत्ता तथा क्षमता की दृष्टि से शिक्षा क्षेत्र में 11वीं योजना के दौरान यथासंभव अधिकतम प्रगति कर सकें ।

       माननीय प्रधानमंत्री ने हाल ही में कहा है कि न्न अपने देश की जनसंख्या के विस्तृत आकार को हम एक आर्थिक तथा सामाजिक दायित्व के रूप में देखते रहे हैं । तथापि शिक्षित, दक्ष, स्वस्थ जनशक्ति हमारी संपदा है । हमारे समक्ष यह सुनिश्चित करने की चुनौती है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को हम संपदा के रूप में परिणत कर लें । न्न

       हम सार्वभौमीकरण अर्थात ग्लोबलाइजेशन के युग में रह रहे हैं । उदारीकरण तथा निजीकरण को आर्थिक विकास के मूलभूत तत्वों के रूप में माना जा रहा है । तथापि हमारे लिए यह बिल्कुल स्पष्ट है कि यदि हमारी जनसंख्या का 40 प्रतिशत से भी अधिक 6 से 24 आयु वर्ग का है और जबकि राष्ट्रीय विकास में शिक्षा को सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में पहचाना गया है तो शिक्षा प्रदान करने की दिशा में सरकार की भूमिका नगण्य न होकर अहम् होनी चाहिए ।

कुछ मुख्य उपलब्धियां

       मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 10वीं योजना में यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार द्वारा कार्यभार ग्रहण करने के बाद कई विशेष उपलब्धियां अर्जित की हैं ।

v    मानव संसाधन विकास मंत्रालय का योजनागत बजट वर्ष 2003-04 में 7025 करोड़ रुपये था, जिसे बढाक़र वर्ष 2006-07 में 2074.5 करोड़ रुपये किया गया है और अब वर्ष 2007-08 के लिए बजट में 28674 करोड़ रुपये के योजनागत परिव्यय का प्रस्ताव किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 38.2 प्रतिशत की वृध्दि है ।

v    सर्व शिक्षा अभियान तथा मध्याह्न भोजन योजना जैसे पऊलैगशिप कार्यक्रमों के लिए प्रारंभिक शिक्षा हेतु राज्यों को प्रदान की जाने वाली केन्द्रीय सहायता, जो वर्ष 2003-04 में लगभग 4647 करोड़ रुपये थी, वर्ष 2006-07 में बढाक़र लगभग 16893 करोड़ रुपये कर दी गई ।

v    सर्व शिक्षा अभियान तथा मध्याह्न भोजन योजना तथा राज्यों की अपनी योजनाओं के द्वारा प्रारंभिक स्तर पर स्कूल बाह्य बच्चों की संख्या में काफी कमी आई है । वर्ष 2004-05 में प्रारंभिक स्तर पर, सकल नामांकन अनुपात 93.5 प्रतिशत था । प्रारंभिक स्तर पर बुनियादी सुविधाओं तथा शिक्षक-छात्र अनुपात में भी सुधार हुआ है । सर्व शिक्षा अभियान ने 2.40 लाख विद्यालय खोलकर 98,000 शिक्षण कक्षों का निर्माण करके और 7.38 लाख अध्यापकों की नियुक्ति करके सहयोग किया है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में स्वत: ही सुधार होगा ।

v    मार्च, 2007 तक 2180 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संस्वीकृत किए गए, जिसमें वर्ष 2006-07 में संस्वीकृत 1000 नए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय भी शामिल हैं। 88 प्रतिशत कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय काम कर रहे हैं । इस वर्ष आयोजित एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मूल्यांकन से पता चलता है कि इस योजना को सभी राज्यों में उच्च प्राथमिकता तथा राजनीतिक महत्व दिया गया तथा इसे स्कूल बाह्य बालिकाओं को स्कूलों में लाने संबंधी प्रतिबध्दता के साथ एक रिकार्ड समय में शुरू किया गया । समुदाय ने इस कार्यक्रम का काफी स्वागत किया है तथा यह कार्यक्रम निर्धन बहुल विभिन्न क्षेत्रों, जिनमें दूरदराज के दुर्गम क्षेत्र भी शामिल हैं, तक पहुंच गया है ।

v    मध्याह्न भोजन योजना के लिए पोषण संबंधी मानदंडों को 300 कैलोरी से बढाक़र 450 कैलोरी तथा 12 ग्राम प्रोटीन और माइक्रोन्यूट्रिएंट संपूरक कर दिया गया । भोजन पकाने की लागत के मानदंड में संशोधन करके 2 रुपये प्रति बच्चा प्रति स्कूल दिवस कर दिया गया, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र राज्यों के लिए केन्द्रीय सहायता 1.80 रुपये और अन्य राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के लिए यह सहायता 1.50 रुपये है । इसके अतिरिक्त, सुरक्षा और स्वच्छता संबंधी मानदंडों को ध्यान में  रखते हुए कुकिंग शेडों के निर्माण और रसोई उपकरणों की खरीदपूर्ति के लिए केन्द्रीय सहायता प्रदान की गयी ।  वर्ष 2006-07 में हम पूरे देश में 1.94 लाख स्कूलों में किचन शेड़ों के निर्माण के लिए सहायता उपलब्ध करवाई गई ।

v    मंत्रालय ने राज्यों की टिप्पणियों के लिए शिक्षा का अधिकार संबंधी एक मॉडल विधेयक परिचालित किया था । 18 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों ने अपनी टिप्पणियां भेज दी हैं ।

v    17 क्षेत्रीय इंजीनियरी कॉलेज तथा 3 राज्य कॉलेजों को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के रूप मे  परिणत किया गया है तथा इनका वित्त पोषण पूर्णतया केन्द्र द्वारा किया जाता है । राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को सांविधिक दर्जा प्रदान करने संबंधी एक विधेयक संसद में प्रक्रियाधीन है ।

v    वर्तमान में शिक्षा तथा अनुसंधान को बढावा देने के लिए पुणे, कोलकाता तथा मोहाली में तीन भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान संस्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से पुणे तथा कोलकाता के संस्थानों ने काम करना भी आरंभ कर दिया है । तीसरे की इस शैक्षिक वर्ष 2007 से मोहाली में कार्य आरंभ करने की संभावना है । विश्वविद्यालयों में बेसिक विज्ञान अनुसंधान के सुदृढीक़रण पर प्रो. एम.एम. शर्मा कार्य दल की सिफारिशों को कार्यान्वित करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग भी कार्रवाई कर रहा है ।

अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों को आरक्षण

v    जनवरी, 2006 में संविधान के अनुच्छेद 15 को संसद द्वारा लगभग एकमत से संशोधित किया गया ताकि शैक्षिक संस्थाओं में दाखिले में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा सामाजिक तथा आर्थिक रूप से पिछड़े अन्य वर्गों के बच्चों के लिए आरक्षण हो । इस सबंध में मैंने जनवरी, 2006 में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया था कि वे राज्य विशिष्ट विधान बनाएं । उपलब्ध सूचना के अनुसार अब तक छह राज्यों (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड) ने कानून बनाए हैं, जबकि राजस्थान ने इस संबंध में कार्यकारी आदेश जारी किया है ।

v    जहां तक केन्द्रीय संस्थाओं का संबंध है, केन्द्रीय शैक्षिक संस्था अधिनियम (दाखिले में आरक्षण) जनवरी, 2007 में अधिनियमित तथा अधिसूचित किया गया है । माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में यह कहा है कि इस अधिनियम, जहां तक यह अन्य पिछड़े वर्गों के लिए धारा 6 से संबध्द है, को रोकना वांछनीय होगा । सरकार इस मामले को यथाशीघ्र सुलझाने के लिए सभी वैधानिक विकल्पों की जांच कर रही है।

v    राज्य विश्वविद्यालयों को दी जाने वाली योजनागत सहायता को वर्ष 2006-07 से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सहायता के तहत पृथक बजट मद बना दिया गया है। वर्ष 2006-07 में इस शीर्ष के तहत 755 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया था, जिसे वर्ष 2007-08 में बढाक़र 1193 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो एक उल्लेखनीय वृध्दि है । मेरा राज्य सरकारों से आग्रह है कि वे अपने संबंधित विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षिक संस्थाओं के विकास के लिए इस बढे हुए आबंटन को पूरी तरह से प्रयुक्त करने हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के साथ मिलकर कार्य करें।

v    वर्ष 2006 में पारित किए गए केन्द्रीय अधिनियमों के माध्यम से राजीव गांधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, अरुणाचल प्रदेश तथा त्रिपुरा विश्वविद्यालय को राज्य विश्वविद्यालयों से केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के रूप में परिणत किया गया है, जबकि सिक्किम विश्वविद्यालय के रूप में एक नए विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है । इसके साथ अब पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रत्येक राज्य में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय हो जाएगा ।

v    महिला शिक्षा के लिए सहायता राशि बढाने के विचार से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने महिला छात्रावासों के निर्माण के लिए 25 लाख रुपये की उपलब्ध राशि को बढाक़र मैट्रो शहरों में 2 करोड़ रुपये तथा अन्य शहरों में 1 करोड़ रुपये कर दिया है और पिछले वर्ष में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा महिलाओं के छात्रावासों के लिए लगभग 130 करोड़ रुपये खर्च किए गए और चालू वर्ष में इस कार्य के लिए और प्रोतसाहन दिए जाएंगे ।

v    प्रतिभा को आकर्षित करने तथा अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नेट अर्हताप्राप्त पी-एच.डी. छात्रों के लिए मकान किराया भत्ता तथा आकस्मिक खर्चों की वर्तमान प्रतिशतता के साथ-साथ अध्येतावृत्ति की राशि में उल्लेखनीय वृध्दि करते हुए इसे मौजूदा 8,000 रुपये प्रति माह से 12,000 रुपये प्रति माह करने की घोषणा की है । इसके अलावा बाद के वर्षों के लिए अनुसंधान सहयोगियों के लिए भी और वृध्दि करने की घोषणा की गई है । यहां तक कि बिना नेट अर्हताप्राप्त अभ्यार्थियों के लिए भी अध्येतावृत्तियों की मौजूदा राशि में, जो कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 2006 से 5000 रुपये से शुरू की गई थी, 50 प्रतिशत बढोतरी किए जाने का प्रस्ताव है तथा विस्तार बढाने के लिए अब केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के अलावा इसमें उत्कृष्टता प्राप्त कर सकने की क्षमता वाले राज्य विश्वविद्यालयों, उच्च अध्ययन केन्द्र तथा विशेष सहायता कार्यक्रम चलाने वाले सभी विश्वविद्यालयों, एस एण्ड टी (एफ आई एस टी) में अवसंरचना हेतु निधियां प्राप्त करने वाले सभी विभागों तथा राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद अथवा एनबीए से प्रत्यायन प्राप्त एवं कम से कम पिछले पांच वर्षों से पी-एच.डी. कार्यक्रम संचालित कर रहे सभी स्वायत्त कॉलेजों एवं संस्थाओं को भी शामिल किया जाना प्रस्तावित है । यह 1 अप्रैल, 2007 से लागू होगा ।

दूरस्थ शिक्षा

v    मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अक्तूबर, 2006 में साक्षात नामक एक विस्तृत लर्निंग पोर्टल आरंभ किया है । इस पोर्टल के संबंध में कुछ विवरण इस सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत किए जाएंगे । साक्षात आधुनिक प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम प्रयोग करते हुए शिक्षा को प्रत्येक भारतीय, चाहे वह जिस किसी पड़ाव पर हो, की पहुंच में लाने संबंधी हमारी प्रतिबध्दता को पूरा करने की दिशा में एक मुख्य प्रयास है ।

v    एक सांविधिक राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्था आयोग गठित किया गया है, जिसे शैक्षिक संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने से मनाही से संबंधित शिकायतों पर निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है ।

v    मेरे सहयोगी श्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी की अध्यक्षता में गठित समिति ने सच्चर समिति की रिपोर्ट के मद्देनजर अल्पसंखकों की शिक्षा के संबंध में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कर दी हैं । इन सिफारिशों पर विचार किया जा रहा है ।

       हाल ही में राष्ट्रीय विकास परिषद ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के दृष्टिकोण पत्र पर विचार किया है और 11वीं योजना बनाने के लिए इससे संबंधित कार्य इस समय प्रगति पर है । केन्द्र सरकार ने कुछ पहल शुरू कर दी है और 11वीं योजना  कतिपय महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान कर ली है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं

मध्याह्न भोजन का उच्च प्राथमिक विद्यालयों तक विस्तार

v     केन्द्रीय प्रायोजित मध्याह्न भोजन योजना जो अब तक केवल प्राथमिक स्तर के बच्चों तक सीमित थी, का विस्तार शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लाकों के उच्च प्राथमिक स्तर तक किया जा रहा है और इसके पोषण संबंधी तथा निधियन संबंधी मानदंडों को संशोधित किया गया है ।

v    कई दशकों में यह पहली बार हुआ है कि हमें शिक्षक शिक्षा हेतु पर्याप्त धनराशि प्राप्त हुइ है । शिक्षक शिक्षा हेतु परिव्ययय को वर्ष 2006-07 में आबंटित 180 करोड़ रुपये की तुलना में  वर्ष 2007-08 में 500 करोड़ तक बढा दिया गया है। आशा है कि राज्यों को उन जिलों में डीआईईटी अथवा डीआरसी खोलने हेतु जहां ये नहीं हैं, सहायता देने में सक्षम होंगे ।  यह भी उम्मीद करते हैं कि देश में अप्रशिक्षित तथा परा-शिक्षकों की समस्या को दूर करने हेतु एक प्रणालीबध्द तथा प्रासंगिक प्रशक्षण कार्यक्रामों की शुरूआत करने के लिए हम आपको प्रेरित कर पाएंगे । 11वीं योजना सचमुच एक गुणवत्तामूलक योजना होगी । शिक्षकों, विशेषत: माध्यमिक स्तर पर विषयवस्तु विशिष्ट प्रशिक्षण और शिक्षा प्रशासकों हेतु प्रशिक्षण ताकि समस्याओं का प्रणालीबध्द निराकरण किया जा सके, अंतत: 11वीं योजनावधि के मुख्य विषय होंगे ।

v    माध्यमिक शिक्षा के केन्द्रीय योजनागत परिव्यय को वर्ष 2006-07 के 1,087 करोड़ रुपये से बढाक़र वर्ष 2007-08 में 3,164 करोड़ रुपये किया गया है । इसका अधिकांश राज्य सरकारों को माध्यमिक शिक्षा सभी को सुलभ कराने तथा इसकी गुणवत्ता में सुधार करने के लिए राज्य सरकारों को सहायता के रूप में होगा । राज्यों के मुख्य मंत्रियों से यह अनुरोध किया गया है कि वे इस संबंध मे  ्रारंभिक उपाय करें।

तकनीकी शिक्षा का विस्तार

v    मौजूदा पालिटेक्निकों मे मात्र 3.00 लाख की दाखिला क्षमता जो इंजीनियरी कॉलेजों की दाखिला क्षमता से लगभग आधी है, इस तथ्य के मद्देनजर उन विशेष चिह्नित जिलों जिनमें इस समय कोई पॉलिटेक्निक नहीं है, में पॉलिटेक्निक स्थापित करने और विशेष अभिनिर्धारित जिलों में पॉलिटेक्निक संबंधी अवसरंचनात्मक सुविधाओं को सुदृढ करने के लिए एक स्कीम का प्रस्ताव किया गया है। 11वीं योजनावधि के दौरान सामुदायिक पॉलिटेक्निक योजना को सुदृढ बनाने का प्रस्ताव है और इस संबंध में आपके द्वारा दी गई मूल्यवाद सुझाव एक सार्थक योजना तैयार करने में काफी मददगार साबित होंगे।

v    दो और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (तिरुवनंतपुरम और भोपाल) तथा तीन नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आंध्र प्रदेश, बिहार और राजस्थान) स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है। शिलांग में 7वां भारतीय प्रबंध संस्थान स्थापित किया जा रहा है। विजयवाडा और भोपाल में दो नए आयोजना और वास्तुकला विद्यालय शुरू करने का प्रस्ताव भी किया गया है। कांचीपुरम, तमिलनाडु में नया भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (डिजाइन और विनिर्माण) स्थापित किया जाएगा। अन्य 20 भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित करने पर भी विचार किया जा रहा है ताकि उन राज्यों, जिनमें इस समय कोई भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान नहीं है, को प्राथमिकता प्रदान करके सभी राज्यों में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित किए जा सकें। योजना आयोग ने यह सुझाव दिया है कि सार्वजनिक-निजी सहभागिता मोड में ऐसा किया जाए।

v    सरकार ने सिध्दांत रूप से यह भी निर्णय लिया है कि 5 इंजीनियरी कॉलेजों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के स्तर तक स्तरोन्नत करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाए और इन्हें भारतीय विज्ञान तथा इंजीनियरी प्रौद्योगिकी संस्थान का नाम दिया जाए बशर्ते संबंधित राज्य सरकारें इस बात के लिए सहमत हों कि इन संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व वाले संस्थानों के रूप में घोषित करने के प्रयोजनार्थ केन्द्र सरकार को इन संस्थानों का दायित्व सौंपा जाए।

v    युवाओं के लिए तकनीकी शिक्षा की बेहतर संभावना एवं प्रासंगिकता को देखते हुए हमने इसके क्षेत्र का विस्तार करने पर विशेष ध्यान दिया है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने स्वेच्छा से वर्तमान दाखिता क्षमता में 10 प्रतिशत वृध्दि करने की अनुमति प्रदान करने का निर्णय लिया है बशर्ते ये बढार्ऌ गई सीटें बिना कोई टयूशन शुल्क लिए योग्य महिलाओं, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तथा विकलांग विद्यार्थियों को 231 के अनुपात में प्रदान की जाए।

v    यदि हमारे सभी उच्चतर शिक्षा संस्थाओं का नेटवर्क स्थापित किया जाएगा तो इससे उच्चतर और तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में पर्याप्त वृध्दि होगी। मंत्रालय राज्य सरकारों को इन संस्थानों का नेटवर्क स्थापित करने के लिए अनावर्ती लागतों पर कुछ सहायता प्रदान करने पर विचार करेगा बशर्ते राज्य इस संबंध में बेहतर और व्यवहार्य योजनाएं बनाएं और अन्य सभी लागतें वहन करने पर सहमत हों। मंत्री महोदय ने कहा कि सभी राज्य अपने नियंत्रणाधीन संस्थाओं को निर्देश दें कि वे अपने सभी संकाय सदस्यों को त्वरित इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराएं, जिससे संकाय सदस्यों की जानकारी की अद्यतन बनाने में मदद मिलेगी जिससे अंतत: शिक्षण की गुणवत्ता में भी वृध्दि होगी।

v    बंगलौर में जनवरी, 2005 मे राज्यों के उच्चतर शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में बनी सहमति के अनुसरण में विदेशी शिक्षा प्रदान करने वालों को विनियमित करने संबंधी विधेयक का हमारा मसौदा तैयार है। मंत्रालय को आशा है कि संबंधित विधेयक को शीघ्र ही संसद में पेश किया जाएगा। यह भी आशा है कि दूरस्थ शिक्षा परिषद विधेयक को शीघ्र ही अंतिम रूप देकर पेश किया जाएगा(पसूका)

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# राज्य शिक्षा मंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन में मानव संसाधन विकास मंत्री के संबोधन से उध्दृत ।

 

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