बाल विवाह रोकने के लिए  जागरूकता अभियान चलायें
कलेक्टर  ने दिए विवाह समारोहों पर नजर रखने के निर्देश
मुरैना 13 अप्रेल07-  बाल  विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है और इसे रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाकर प्रयास किये  जाने की जरूरत है । अक्षय तृतीया पर बढ़ी संख्या में होने वाले विवाहों में अवयस्क बालक  बालिकाओं के विवाहों का भी आयोजन कर दिया जाता है । इस वर्ष अक्षय तृतीया 20 अप्रेल 2007 को है, इस दिन आयोजित होने वाले सामूहिक  एवं एकल विवाह समारोहों पर कड़ी नजर रखकर बाल विवाहों को रोकने के प्रभावी उपाय किये  जाये ।
       यह निर्देश जिला कलेक्टर ने महिला एवं बाल विकास अधिकारी, राजस्व तथा अन्य संबंधित अधिकारियों  को देते हुए राज्य शासन द्वारा बाल विवाह रोकने के लिए बनाई गई विशेष कार्य योजना पर  प्रभावी अमल करने की हिदायत की है । उन्होंने कहा है कि बाल विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथा  की रोकथाम मात्र शासकीय नीतियों और कानूनों से ही सम्भव नहीं है । इसके लिए जन जागरूकता  अभियान चलाकर सकारात्मक वातावरण तैयार करना भी आवश्यक है । प्रत्येक विकास खंड मुख्यालय  पर बाल विवाह विरोध अभियान के दौरान जन जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाये और इन  शिविरों में जनपद पंचायत के अध्यक्ष, सदस्यों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों  के अलावा स्वयंसेवी संगठनों धार्मिक नेताओं को आमंत्रित किया जाय । शिविरों में आम  नागरिकों को बाल विवाह के दुष्परिणामों और कानूनी सजा के प्रावधानों से अवगत कराया  जाये और बाल विवाह रोकने के लिए अपील की जाय ।
रक्षा सूत्र बांधे जाय
       बाल विवाह विरोध अभियान में प्रत्येक जन की भागीदारी  सुनिश्चित करने के उद्वेश्य से अक्षय तृतीया के पहले प्रत्येक बालिका और बालक से उसके  माता-पिता को रक्षा सूत्र बंधवाया जावे । प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर इस तरह के  कार्यक्रम आयोजित कर माता-पिता को रक्षा सूत्र के माध्यम से यह संदेश भी दिया जाय कि  वे अपनी बालिका अथवा बालक का विवाह कम उम्र में नहीं करेंगे ।
       अक्षय तृतीया के दिन जिला, खंड स्तर और ग्राम पंचायत स्तर पर  जागरूकता रैलियों का आयोजन किया जाय । पुलिस की सहायता से दलों का गठन कर अक्षय तृतीया  एवं अन्य अवसरों पर होने वाले सामूहिक विवाहों पर निगरानी रखी जाय और यह सुनिश्चित  किया जाय कि इन विवाहों में वर की आयु 21 बर्ष से कम औरवघु की आयु 18 वर्ष से कम न हो ।
 
 
 
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