मंगलवार, 9 सितंबर 2008

राष्ट्रपति ने शिक्षक समुदाय से ज्यादा पेशेवर रवैया, प्रतिबध्दता और समर्पण दिखाने का आह्वान किया

राष्ट्रपति ने शिक्षक समुदाय से ज्यादा पेशेवर रवैया, प्रतिबध्दता  और समर्पण दिखाने का आह्वान किया

राष्ट्रपति ने शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार वितरित किए

       हमारे जीवन को आकार देने और निर्देशित करने में शिक्षकों की महती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने कहा कि 'शिक्षक हमारी शिक्षा पध्दति के हृदय में हैं। शिक्षकों की शिक्षा का पुनरूध्दार तथा शिक्षण व्यवसाय के प्रति आदर को प्रोत्साहित किये बिना शिक्षा से संबंधित हमारी चुनौतियों से निबटने का कोई उचित तरीका नहीं है।' विज्ञान भवन में आज शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार-2007 देते हुए श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने कहा कि एक अच्छा शिक्षक वही है जो ज्ञान को इस तरह से बांटे जिससे कि विषय की बुनियादी बाते विद्यार्थियों के दिमाग में घुलमिल जाये। राष्ट्रपति ने कहा कि एक बढिया शिक्षक अच्छे से पढाता है, परंतु एक श्रेष्ठ शिक्षक विद्यार्थी में मानवीय मूल्यों को इस तरह से डालता है जो जीवन भर दिशानिर्देशक की तरह याद रहता है।

       श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने यह भी कहा कि हम सदियों से जिस ज्ञानयुक्त समाज में रह रहे हैं भारत को उसका भी लाभ उठाना चाहिए।  उन्होंने कहा कि इसके लिये ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो सक्षम, अन्वेषी तथा कार्य की बेहतर पध्दति की तलाश के बारे में सोचने वाले हों। एक शिक्षक प्रशिक्षुओं की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से ज्ञान के निर्माण की सुविधा विकसित कर सकता है। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उनकी ऐसी सोच है कि शिक्षा पध्दति में बदलाव के लिये शिक्षक समुदाय को बेहतर पेशेवर रवैया, प्रतिबध्दता और समर्पण दिखाना चाहिए।

       इस अवसर पर राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए केन्द्रीय विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता राज्य मंत्री श्री एम.ए.ए.फातमी ने देश में शिक्षा का स्तर बढाने के लिए भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में प्रकाश डाला तथा पूरे भारत में सभी संभव तरीके से इसके प्रसार के बारे में बताया। उन्होंने शिक्षक समुदाय की सराहना करते हुए कहा कि न सिर्फ विद्यार्थी बल्कि हमारा पूरा समाज देश की निस्वार्थ सेवा करने वाले हमारे शिक्षकों का सम्मान करता है। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती डी.पुरनदेश्वरी देवी ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे।

       प्रतिभाशाली विद्यालय शिक्षकों को सार्वजनिक मान्यता देने के लिये भारत के राष्ट्रपति द्वारा हर साल 5 सितम्बर को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। इस साल कुल मिलाकर 320 शिक्षकों को नामांकित किया गया है। इनमें से 82 महिला शिक्षिका हैं। 9 शिक्षकों को संस्कृत श्रेणी में तथा 5 को मदरसा में पढाने के लिये नामांकित किया गया है। 13 शिक्षक विशेष वर्ग से चुने गये हैं यानि इनमें वे शिक्षक आते हैं जो या तो विकलांग हैं या फिर सम्मिलित शिक्षा को प्रोत्साहित कर रहे हैं। पुरस्कार के अंतर्गत चांदी का एक पदक, 25 हजार रूपये और प्रमाण पत्र जाता है।

राष्ट्रपति का पूरा अभिभाषण इस प्रकार है-

       हमारे द्वितीय राष्ट्रपति डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृणन की जयंती भारत में हर वर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनायी जाती है। इस दिन हम महान विद्वान और शिक्षाविद तथा इस महान पेशे का सम्मान करते हैं। इस अवसर पर हम शिक्षकों की भूमिका और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान की सराहना भी करते हैं। इस दिन, हम रा­ष्ट्र के अपने उन शिक्षकों को नमन करते हैं जो वर्ष दर वर्ष शहरों, नगरों, गाँवों और धूल भरे रेगिस्तानों, तटीय क्षेत्रों और हमारे उच्च पर्वतों पर स्थित स्कूलों में कष्ट सहकर विद्यार्थियों को पढाते हैं। मैं प्रशंसनीय और नि­ष्ठापूर्ण कार्यों के लिए पुरस्कार विजेता सभी शिक्षकों को बधाई देती हूँ।

       शताब्दियों से भारत शिक्षण और विद्वतापूर्ण परम्परा वाली सभ्यता के रूप में जाना जाता है। हजारों वर्ष  पूर्व जब विश्व के अन्य हिस्सों में व्यवस्थित शिक्षा के महत्व को लोग जानते भी नहीं थे, उस समय हमारे गुरूकुलों में शिक्षक छोटे बच्चों को ज्ञान देने के साथ-साथ उनकी मनोवृत्ति, अभिरुचि और योग्यता का अवलोकन करते थे। हमारी परम्परा में शिक्षकों को बहुत ऊंचा स्थान दिया गया है, क्योंकि वे विद्यार्थियों को अज्ञान के अंधेरे से निकाल ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं और साथ ही उन्हें आजीविका कमाने में सहायक कुशलताओं मे भी निपुण बनाते हैं।

       हजारों वर्ष पूर्व भी हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली न केवल अपने समय से बहुत आगे थी बल्कि हमारे विश्वविद्यालयों की ख्याति भी पूरी दुनिया में फैली हुई थी। पाश्चात्य जगत में विश्वविद्यालयों की स्थापना से शताब्दियों पहले ही नालंदा, विक्रमशिला और नागार्जुनकोण्डा जैसे विश्वविद्यालय शिक्षा के ऐसे केन्द्र थे, जिनमें विदेशों से विद्यार्थी पढने क़े लिए आया करते थे।

       शिक्षा की इस महान परंपरा को जारी रखना अब हमारी जिम्मेदारी है। हमारे शिक्षक अक्सर बेहद विषम परिस्थितियों में रहकर यह जिम्मेदारी निभाते हैं। वे नई पीढी क़ो दुनिया से मुकाबला करने के लिए तैयार करके, व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की अमूल्य सेवा करते हैं। हम सभी को याद रखना चाहिए कि शिक्षा नैतिक मूल्य प्रदान करने वाला ऐसा माध्यम है, जो सामाजिक बदलाव लाता है। वह शिक्षक ही होता है जो बाहरी दुनिया का परिचय करवाता है और युवा विद्यार्थियों के विचारों को सँवारता है।

       निस्संदेह  श्रेठ शिक्षक इस प्रकार से ज्ञान प्रदान करता है कि विषयों  की बुनियादी बातें विद्यार्थियों के मन की गहराई में बैठ जाती हैं। एक अच्छा शिक्षक अच्छी तरह पढाता है लेकिन एक बेहतर शिक्षक बच्चों में ऐसे मानवतावादी मूल्यों का संचार करता है जो जीवनभर उनका मार्गदर्शन करते रहते हैं। ये मूल्य कौन से हैं ? मेरा मानना है कि वे हैं, ईमानदार बनना और ईमानदारी से काम करना, माता-पिता, बुजुर्गों और सभी का सम्मान करना तथा यह सीखना कि प्रत्येक व्यक्ति के अलग-अलग विचार होते हैं और विचारों की इस भिन्नता को आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए। यदि यहाँ उपस्थित सभी शिक्षक अपने विद्यार्थियों में इन सिध्दान्तों को डाल दें तो हम सहनशीलता की भावना और अनेकता में एकता के बीच फलफूल रहे अपने लोकतंत्र और राष्ट्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक लम्बा कदम बढा सकते हैं। यह तभी संभव है जब सच्चे अर्थों में विकसित मानवीय मूल्यों से युक्त पीढी हमारे रा­ष्ट्र को ताकतवर बनाए।

       भारत को वर्तमान ज्ञानपूर्ण समाज का लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए ऐसे लोगों की जरूरत है जो योग्य हों, नवान्वेषी  हों और जो कामकाज के बेहतर और उन्नत तरीके ढूंढने की आकांक्षा रखते हों। एक शिक्षक विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी के जरिए ज्ञान हासिल करने के काम को आसान बना सकता है, जैसा कि एक पुरानी कहावत में विद्यार्थी कहता है:

       मुझसे कहोगे तो मैं भूल जाऊँगा,

       मुझे दिखाओगे तो शायद मैं याद रखूँ,

       मुझे शामिल करोगे तो मैं समझ जाऊँगा।

       सक्रिय भागीदारी में जिज्ञासा, खोज, वाद-विवाद, प्रयोग और ऐसा चिन्तन शामिल होता है जिससे विचार पैदा होते हैं, जो बाद में व्यवहार में उतारे जाते हैं। निरंतर सीखने वाला शिक्षक उस दीपक की भांति होता है जिसकी लौ दूसरों को भी प्रदीप्त करती रहता है। डब्ल्यू.वी.यीट्स ने सही कहा है, न्नशिक्षा पानी भरना नहीं है बल्कि एक आग को सुलगाना है । न्न एक शिक्षक को युवा मन में इस प्रकार से जिज्ञासा जगानी चाहिए कि उसमें जीवनभर ज्ञान हासिल करने की भूख पैदा हो और वह दुनिया को और सौहार्दपूर्ण स्थान बनाने की अभिलाषा से भर जाए । इसके अलावा, ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में निरंतर बढ रही स्पध्र्दा का सामना करने के लिए नई पीढी क़ो शिक्षा द्वारा पूरी तरह लैस करना चाहिए और उन्हें जीवन की सबसे निचले स्तर की सच्चाइयों से वाकिफ करवाना चाहिए ताकि वे सहृदय बनें और कमजोर वर्गों के अपने भाई-बंधुओं के लिए उनके मन में सहानुभूति पैदा हो ।

       शिक्षक, शिक्षा प्रणाली का केन्द्र होते हैं। शिक्षकों के ज्ञान को पुन: सशक्त बनाने और शिक्षण कार्य के प्रति सम्मान पैदा किए बिना शैक्षिक चुनौतियों से निपटने का और कोई व्यावहारिक उपाय नहीं है । गांधी जी ने ठीक कहा है, न्न विद्यार्थियों और शिक्षकों - दोनों के मस्तिष्क को अवरूध्द नहीं करना चाहिए । न्न शिक्षकों का कौशल बढाने के लिए निरंतर प्रयास किया जाना चाहिए । मुझे बताया गया है कि 11वीं योजना में शिक्षक ज्ञान के ढांचे को मजबूत बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, इन प्रयासों का पूरी तरह अमल में लाना चाहिए । सरकार ने, संसाधनों के आदान-प्रदान और सहयोगी अनुसंधान को बढावा देने के लिए, इलैक्ट्रोनिक डिजिटल ब्रॉडबैंड नेटवर्क के जरिए सभी ज्ञानपूर्ण संस्थाओं को आपस में जोड़ने हेतु राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की एक महत्वपूर्ण सिफारिश को भी स्वीकार कर लिया है । इसी प्रकार, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ने शिक्षकों और शिक्षा प्रशासकों के कौशल विकास के अवसर उपलब्ध करवाए हैं । आज, मैंने शिक्षकों के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल का शुभारंभ किया है । इसका मकसद ज्ञान अर्जित करने, सर्वोत्तम प्रयोगों और अनुभवों को आपस में बांटने और शिक्षकों के मजबूत नेटवर्क के निर्माण के लिए एक मंच प्रदान करना है । मैं शिक्षकों का आह्वान करती हूं कि वे अपने अध्यापन कौशल और पध्दति को नवीनतम बनाने के लिए इस पोर्टल का सार्थक इस्तेमाल करें ।

       शिक्षकों के शिक्षा कार्यक्रमों में सुधार लाने और उन्हें मजबूत बनाने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में उत्तम शिक्षा उपलब्ध करवाने की भी जरूरत है । हमारे ग्रामीण विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं और गुणी अध्यापकों की अनुपलब्धता रहती है । मुझे खुशी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नवोदय विद्यालय ग्रामीण प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य को पूरा कर रहे हैं । इसके अलावा, रिहायशी इलाकों की कमजोर वर्ग की कन्याओं को उत्तम शिक्षा प्रदान करने के लिए शैक्षिक तौर से पिछड़े प्रखंडों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की स्थापना की गयी है ।

       सर्व शिक्षा अभियान, सबके लिए प्राथमिक शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है, इसमें पिछड़े वर्गों के बच्चों की शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है । अनेक प्रयासों के फलस्वरूप, पढार्ऌ बीच में छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में काफी कमी आई है । शिक्षा की गुणवत्ता सुधारते हुए माध्यमिक विद्यालयों के लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान नामक एक कार्यक्रम आरम्भ किया जा रहा है । शिक्षकों के ज्ञान में सुधार और क्षमता निर्माण सहित अनेक प्रयासों के जरिए आसपास के स्कूलों की गुणवत्ता में तेजी लाने के लिए प्रत्येक ब्लॉक में, कम से कम एक विद्यालय की स्थापना करते हुए, 6000 नए उच्च गुणवत्ता वाले मॉडल स्कूल खोलने की योजना है ।

       सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों से हमारे स्कूलों का शिक्षा और शिक्षण माहौल बदलने की संभावना है । संचार माध्यमों विशेषकर कम्प्यूटर और टेलीविजन के लगातार इस्तेमाल से स्कूलों और घरों में आपसी बातचीत के इलेक्ट्रोनिक माहौल का निर्माण होगा । इसके लिए स्पध्र्दात्मक और व्यक्तिगत शिक्षण के स्थान पर सहकारी और सहयोगी शिक्षण की जरूरत पड़ेगी । भविष्य में कक्षाएं सहयोग, सृजन, अन्वेषण और समाधान पर आधारित होंगी ।

       मुझे उम्मीद है कि हमारा शिक्षण समुदाय शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए अधिक दक्षता, निष्ठा और समर्पण से कार्य करेगा । शिक्षण, केवल पाठ तैयार करना या सामूहिक परिणाम हासिल करने के लिए बनी बनाई जानकारी देना ही नहीं है । इसमें बच्चों में विचारशीलता पैदा करने और सीखे गए विषयों को आजमाने की प्रक्रिया भी शामिल होनी चाहिए । इसलिए, मैं चाहूंगी कि शिक्षकों को न्नसूचना न्न प्रदान करने की पारंपरिक भूमिका के स्थान के न्ननिष्कर्षक  और न्न मार्गदर्शक न्न की भूमिका निभानी चाहिए। मैं यह भी कहना चाहूंगी कि वे यह भी सुनिश्चित करे कि विद्यार्थियों का विश्व-नागरिक बनाते समय हमारी महान सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रहे ।

       एक बार फिर, मैं पुरस्कार विजेता शिक्षकों को अपनी बधाई और शिक्षक समुदाय को शुभकामनाएं देती हूं तथा उनके कार्यों के सफल होने की कामना करती हूं ।

 

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