बुधवार, 4 जुलाई 2007

उड़ के बादल काले काले जाने चले जाते हैं कहॉं, खेल रहे हैं ऑंख मिचौली

उड़ के बादल काले काले जाने चले जाते हैं कहॉं, खेल रहे हैं ऑंख मिचौली

अब तक तरसा रहे बादलों ने अब फिर जमाया आसमान पर डेरा

कभी कभी धूप तो कभी छॉंव बस यूं आया है मानसून  

मुरैना 4 जुलाई ! जहाँ देश के अनेक हिस्से भारी बरसात से जलमग्न होकर बाढ़ की विभीषता की चपेट में हैं वहीं ग्वालियर चम्बल और निकटस्थ धौलपुर राजस्थान में पानी अभी तक नहीं गिरा है , एकाध दिन हल्की फुल्की फारमेलिटी निभा कर बादलों ने बेरूखी दिखा दी ! यानि एकाध दिन चन्‍द बौछारें गिरी और पानी आया फिर गिरा कुछ ऐसे फुर फुर  और फिर हो गया फुर्र ।

हालांकि बादलों की लुका छिपी आसमान में पिछले दो तीन दिन से बरकरार है किन्तु आज सुबह से ही काले बादलों ने चम्बल पर डेरा डाल रखा है ! उम्मीदन आज कुछ पानी बरसेगा ! आसमानी रूख देखते, संभव है कि भारी वर्षा हो जाये !

वरना अभी तक तो लोग चम्बल में मुकेश भाई का गाना गुनगुना रहे थे - उड़ के बादल काले काले जाने चले जाते हैं कहाँ ?

भईया जब ऊपर वाला समाचार लिख रहे थे तो आसमान में घनघोर घटायें छायीं थीं , मगर छपते छपते फिर बादल गायब हो गये  और चटक धूप निकल आयी । बस कुछ ऐसा ही चल रहा है चम्‍बल में ।

अगर हालत चन्‍द दिनों तक ऐसे ही बरकरार रहे तो कोई शक नहीं कि ग्‍वालियर चम्‍बल अंचल को सूखा ग्रस्‍त घोषित करना पड़े । और बाढ़ राहत के सरकारी इंतजामात के साथ ही ग्‍वालियर चम्‍बल में सूखा राहत कैम्‍प खोलने पड़ जायें ।

 

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