मंगलवार, 18 दिसंबर 2007

सरफरोशी की तमन्‍ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है

19 दिसम्‍बर रामप्रसाद विस्मिल जयन्‍ती पर विशेष

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले........

सरफरोशी की तमन्‍ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है

 

भारत  के स्‍वतंत्रता संग्राम के अमर नायकों में जिन चुनिन्‍दा महामानवों का जिक्र आता है उसमें एक अव्‍वल नाम अमर शहीद रामप्रसाद विस्मिल का भी है । काकोरी ट्रेन डकैती जैसा वीरता पूर्ण दुस्‍साहसी कार्य केवल भारतीय रण बाकुरों की टोली स्‍व. रामप्रसाद विस्मिल के नेतृत्‍व में ही कर सकती थी । भारत के इन महान वीरों के तेज और शौर्य का ही प्रभाव था कि ब्रिटिश सत्‍ता का न केवल सिंहासन हिला बल्कि उसके राज्‍य का कभी न डूबने वाला सूरज भी अंतत: अस्‍त हो गया ।

''सरफरोशी की तमन्‍ना अब हमारे दिल में है.............'' जैसे महान क्रान्ति गीत के रचयिता स्‍व. विस्मिल मुरैना जिला की अम्‍बाह तहसील के ग्राम बरवाई के रहने वाले थे । तोमर राजपूत परिवार में जन्‍मे इस तेजस्‍वी बालक ने बिटिश सत्‍ता के सिंहासन को जिस तरह हिला दिया उससे भारत का बच्‍चा बच्‍चा वाकिफ है ।

आज 19 दिसम्‍बर को इस अमर शहीद की जयन्‍ती है , चम्‍बल घाटी की ओर से हम इस वीर योद्धा को सादर नमन कर अपनी सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं । धन्‍य है वो धरा जिस पर जन्‍मे विस्मिल जैसे वीर, पूज्‍य और वन्‍दनीय है वह मातृभूमि जहॉं जान निछावर करने वाले लाल जन्‍मे, धन्‍य हैं वे रक्‍त दानी और प्राणों का बलिदान करने वाले भारतीय नौजवान जिन्‍होंने अपने सुख ऐश्‍वर्य और जीवन का दान देकर हमें आज का भारत दिया । जय हिन्‍द

 

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