पथ से उतरा पाकिस्तान , पथ पर वापस लौटो तो बात बने, केवल झण्डों और डण्डों से तो बात नहीं बनेंगीं , जो झण्डा तुम्हारा है ... असल में वह झण्डा हमारा है
- नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनन्द''
भारत को जानो मेरा भारत महाभारत – Part -1 (Preface – Introductory) भूमिका भाग
भारत में मुगलिया सल्तनत काल को आज के दौर में भले ही एक अलग नजरिये से देखा जाता हो बाबर और हूमांयूं ने इस सल्तनत का साम्राज्य भले ही स्थापित किया हो । मगर जो सच है वह थोड़ा अलहदा और जुदा है ।
अंग्रेजों ने भारत का जो इतिहास लिखा वह काफी टूटा फूटा काल्पनिक और भ्रमात्मक है, यह इतिहास न तो भारत के सच्चे व असल इतिहास से मेल खाता है और न इसका कोई सिर पैर ही है । दुर्भाग्य की बात यह है कि यही अंगेजों द्वारा लिखित अर्जी फर्जी इतिहास हिन्दुस्तानीयों भी को पढाया गया और पाकिस्तानीयों को भी । दोनों देशों की वैमनस्यता के पीछे इस फर्जी बेसिर पैर के कूटरचित इतिहास का बहुत बड़ा हाथ है , हिन्दू मुसलमानों के बीच नफरत की खाई पैदा करने वाला यही भ्रमात्मक इतिहास है ।
दरअसल भारत में मुसलमानों का आगमन या मुस्लिम संस्कृति का प्रारंभ बाबर के भारत में आने के साथ से प्रारंभ नहीं होता, यह बात सरासर गलत और फर्जी है , इसी प्रकार भारत के इतिहास में सर्वाधिक बदनाम किये गये और गद्दार कहे गये राजा जयचंद का असल इतिहास कुछ और ही है , जयचंद बेहद स्वाभिमानी पराक्रमी और देशभक्त ईमानदार राजा था जिसे विदेशी इतिहासकारों ने बदनाम व कलंकित किया एवं गद्दार कह दिया, यह बात राजपूत वंशावलियों से साबित है और इसी में भारत की हिन्दू सल्तनत जाने के बहुत गहरे राज छिपे हैं । इस पूरी कथा को ओर इसकी असल सच्चाई रोंगटे खड़े कर देने वाली है । और इस कहानी में दिल्लीपति महाराजा अनंगपाल सिंह तोमर की दिल्ली गद्दी और फिर महाराजाधिराज अनंग पाल सिंह तोमर की नई राजधानी ऐसाह गढ़ी के स्थापना के रहस्य छिपे हैं , आगे तोमर राजवंश का ग्वालियर साम्राज्य स्थापना और आज दिनांक तक तोमरों को दिल्लीपति पुकारा जाना जैसे अनेक गूढ रहस्य इस पूरी कथा वृतान्त में भारत के असल इतिहास और भारत की दबी कुचली गई संस्कृति में दबे हुये हैं , जाटों , गूजरों की उत्पति एवं राजपूतों से ताल्लुकात के अनेक रहस्य इसमें दबे हैं । हम क्रमवार इन रहस्यों को आपके सामने राजपूतों के असल इतिहास , मूल वंशावलियों , मूल प्राचीन धर्म ग्रंथों के आधार पर आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं ।
वर्ष सन २००५ में हमने यहीं इण्टरनेट पर घोषणा की थी कि हम भारत के असल इतिहास को मूल राजपूत वंशावलियों और प्राचीन ग्रंथादि के आधार पर इण्टरनेट के आधार पर यहॉं प्रकाशित करेंगें । हजारों लोगों ने हमसे मांग भी की और हमारी इस घोषणा का तहे दिल से स्वागत भी किया, जिसमें बहुतेरे आई.ए.एस. , आई पी एस आई एफ एस आदि के साथ शंकराचार्य एवं अतिविद्वान साधु संतादि भी थी । हैरत की बात ये थी भारी संख्या में विदेशी भी थे जो कि जाने माने इतिहास के विद्वान एवं इतिहास लेखक थे ।
हमारी इस घोषणा के बाद हम अपने कार्य को अंजाम देने के लिये ज्यों ही जुटे हमारे म.प्र. का मुख्यमंत्री बदल गया और बिजली कटौती से लेकर प्रशासनिक कमीनापन बेहूदी सरकार और अनसुना रहने वाला मूर्ख शासन, भ्रष्टाचार की अंधी आंधी में कुछ ऐसे फंसे कि हमारे अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट जहॉं के तहॉं थम गये और जो काम पॉंच साल पहले हमें प्रांरंभ करना थे वे जाम और ब्लांक हो गये ।
खैर जो हुआ सो हुआ मध्यप्रदेश की भ्रष्टों की जमात से सीधे टकराते हुये अब यह श्रंखला हम चालू कर रहे हैं और भारत के उपलब्ध असल इतिहास पर प्रकाश डालते हुये केवल अब यह इतिहास अति संक्षिप्त रूप में ही हम आपके सामने ला पायेंगे । लेकिन इस अति अनिवार्य अधूरे काम को एक झलक के साथ पूरा करेंगें और पूरे ५ साल बाद ही सही हम अपना वायदा पूरा करने जा रहे हैं । इस श्रंखला का नाम भारत को जानो मेरा भारत महाभारत रहेगा ।
इस रंखला का यह भाग इण्ट्रो आलेख है यानि परिचयात्मक भूमिका भाग है ...
सनद जारी रहे ......
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