शनिवार, 24 जनवरी 2009

24 घंटे के दरम्याँ 18 घंटे कटी बिजली...

मुरैना 24 जनवरी, क्रुद्ध जनता द्वारा कई बिजलीघरों में तोडफोड और आगजनी की घटनाओं के बाद भी चंबल की बिजली सप्लाई में कोई सुधार नहीं आया है । ज्ञातव्य है कि इस समय चंबल के शहरी क्षेत्रों में प्रातः 5 बजे से सायँ 4 बजे तक फिर सायँ 7 बजे से रात 8 बजे तक और ग्रामीण क्षेत्रों में वैसे तो 65 फीसदी गाँवों में बिजली है ही नहीं लेकिन जहाँ है वहाँ दो या तीन दिन बाद ही दो या तीन घंटे ही बिजली पहुँचती है ।
बिके अखबार, अधिकारीयों की तारीफ में फर्जी कशीदे
समाचार पत्रों को विज्ञापनों का लालच रहता है यह जगजाहिर है और इस पर ग्वालियर में संपन्न पत्रकारों की कार्यशाला में अखबारों की काफी छीछालेदर हो चुकी है । लेकिन अब जो सड.कों पर बात है वह पत्रकारिता के लिये शायद सबसे शर्मनाक और कलंक्य है कि अधिकारीयों से साप्ताहिक हफ्ता वसूली । अभी तक पत्रकार अधिकारीयों से मासिक वसूली करते थे तो चलो बात ठीक थी आखिर पत्रकारों की बीवीयों को भी लाली लिपिस्टक चाहिये होती थी लेकिन अब हफ्ता वसूली तक डाउनफाल का भी कारण है कि कुछ समाजसेवी बंधु बीवीयों के इतर और भी कई लैलाऔं के फेर में मजनूं के रोल में हैं तो लैला के लिये भी लाली लिपिस्टक चाहिये कि नहीं । सो भईया अब मासिक से साप्ताहिक तक तो आना ही था न ।
अखबार लिखता है कि (इन प्रायोजित खबरों के लिये कित्ता पा गये ये तो वही बता सकते हैं, वैसे हमें पता है) लोग हीटर जलाते हैं सो लाइन लाँसेस होता है (मित्रो जो इँजिनियरिंग के छात्र रहे हों वे जानते हैं कि लाइन लास दर असल फीडेड इनपुट और रिसीव्ड या गैन्ड आउटपुट में अंतर अर्थात बीच रास्ते में गुम हुयी ऊर्जा के अर्थ हेतु प्रयुक्त होता है, जिसमें लीकेज, लूज जंपर्स के कारण हीट कन्वर्जन में व्यय फालतू ऊर्जा आदि आती हैं) लेकिन हमारे पत्रकार महोदय ने लाइन लासेस की नयी डेफिनेशन रच दी है, उनके मुताबिक अब रिसीव्ड आउटपुट का उपभोक्ता द्वारा उपयोग करना भी लाइन लासेस हैं । मुझे लगता है कि इंजीनियरिंग छात्र अब तक जो पढते आ रहे हैं सरासर गलत पढते रहे हैं, हमारे पत्रकार महोदय की नवरचित डेफिनेशन उन्हें पढाई जाना चाहिये यानि कोर्स काँटेण्ट बदलना चाहिये और हमारे पत्रकार महोदय को इसे पढाने के लिये हेड आँफ न्यू डेफिनेशन्स नियुक्त कर देना चाहिये । वैसे एक मुकम्मल बात ये है हे बिक चुके दोस्त कि हीटर तो आज कडाके की ठंड और बर्फीले कोहरे के कारण इक्के दुक्का लोग जला रहे हैं, लेकिन पिछले चार साल में भरी गर्मी सहित साल का एक वो दिन तो बता दे जिस दिन बिजली कटोती नहीं हुयी हो और तसल्ली से जनता को बिजली मिली हो । हाँ मेरे बिके अखबार के बिके पत्रकार आपकी जनरल नालेज में थोडा इजाफा और कर दें , भोपाल शहर पूर्णतः बिजली कटोती मुक्त है वहाँ तो हीटर नामक जंतु का आपके अनुसार होगा ही नहीं । न वहाँ लाइन लाँस होगा न बिजली चोरी होती होगी । खैर राम राज है भाई । लिखे जाओ अर्जी फर्जी प्रायोजित । जय हिन्द जय भारत ।।

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