तो अब क्या यह मान लिया
जाये कि अगला बड़ा और दमदार मुकाबला ‘’आप’’
और ‘भाजपा’’ के बीच होगा
‘’ आप ‘’ के विरोध प्रदर्शन की भोपाल रैली में उमड़ा जन
सैलाब और जिलों में चल रही आप की सक्रिय गतिविधियों से भाजपा की पेशानी पर चिंता
की लकीरें खिंचीं
* कांग्रेस से खतरा
मुक्त हुई भाजपा के लिये ‘’आप’’ ने
बजाया खतरे का अलार्म * भाजपा में ‘’आप’’ के बढ़ते सैलाबी तूफान को लेकर अंदरूनी हाई अलर्ट * भाजपा ने तैयार की रणनीति खेल सकती है राजनीति का तिकड़मी पेच
नरेन्द्र सिंह तोमर
‘’आनंद’’ ( एडवोकेट )
Gwalior Times
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मध्यप्रदेश में कांग्रेस
को मरणासन्न सन्नाटे में धकेलकर तकरीबन जमींदोज व नेस्तनाबूद कर चुकी बेफिक्री व
निशंक तेवरों में जी रही लेकिन केन्द्र सरकार से परेशान और आंतरिक झंझावात और भंवर
में उलझी म.प्र. की भारतीय जनता पार्टी के लिये एक चुनौती के रूप में लगातार आगे
बढ़ रही ‘’आम आदमी पार्टी’’ की निरंतर सक्रियता ने और उसमें
लगातार बढ़ते जा रहे जन सैलाब ने म.प्र. भाजपा की पेशानी पर चिंता की लकीरें खींच
कर , आने वाले वक्त में बड़े मुकाबले और खतरे का अलार्म बजा
कर आगे होने वाली कबड्डी की ताल ठोक दी है ।
राजनीतिक तौर पर इसका दूसरा संदेश यह
जाता है कि म.प्र. की भाजपा सरकार के विरूद्ध आम आदमी पार्टी और कांग्रेस लगभग एक
ही जैसे मुद्दों या एक जैसे सियासी शतरंजी दांव पेंच खेलने जा रहे हैं । और जाहिर
है कि इसका सीध सीधा जमीनी नुकसान भाजपा को कम और कांग्रेस को ज्यादा होगा ।
वर्तमान हालात देखकर लगता है कि यह बहुत ज्यादा संभव है , आने
वाली म.प्र. विधानसभा में कांग्रेस की जगह ‘’आप’’ ले ले , हालांकि आम आदमी पार्टी यह दावा कर रही है
कि वह म.प्र. विधानसभा में 150 से ज्यादा सीटें हासिल करेगी ।
लेकिन अगर जमीनी हकीकत को टटोला जाये
तो आज की तारीख में इस वक्त आम आदमी पार्टी 150 विधानसभा सीटों पर तो नहीं लेकिन
करीब 50 से 80 तक विधानसभा सीटों पर और करीब 6 से 8 लोकसभा सीटों पर बेहद मजबूत
स्थिति में नजर आ रही है ।
दोनों
पार्टीयों में अंदरूनी नूराकुश्ती और रणनीतिक खेमेबाजी शुरू
अगर भाजपा और आम आदमी पार्टी के
अंदरूनी हालातों की बात करें या अंदरखाने जो चल रहा है उस गोपनीय रणनीति की बात
करें तो स्थिति कही अधिक साफ हो जायेगी ।
भाजपा ने भी बदली रणनीति
सुनने में आ रहा है कि भाजपा ने अपना
हाल ही में 15 तारीख तक किया जाने वाला म.प्र. सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार फिलहाल
टाल दिया है । और यह विस्तार बहुत जल्द या जैसा भाजपा के सूत्र बताते हैं , इसी
महीने के अंत तक या मई की 10 या 15 तारीख से पहले हो लेगा , लेकिन
उससे पहले अब बदली गई रणनीति के मुताबिक पहले निगमों और मंडलों में नियुक्तियां
की जायेंगीं , उसके बाद मंत्री मंडल का विस्तार किया जायेगा
। और भरोसेमंद सूत्र यह भी बताते हैं कि आने वाले वक्त में होने वाले खतरे के सारे
स्थान ( सीटें) चिह्नित कर पहचान ली गईं हैं, और तदनुसार ही
अब राजनीतिक व रणनीतिक दांव पेंच व भूमिकायें भाजपा अपनायेगी । और उन सीटों को
कव्हरअप करेगी जहॉं या तो भाजपा जीती नहीं थी या आगे कोई और दमदारी से उस सीट पर
फाइट कर सकता है या जीत सकता है ।
आने वाले
तूफान व सैलाब के प्रति भाजपा व आर.एस.एस. सतर्क
बसपा अगले चुनाव में म.प्र. से समाप्त
हो जायेगी वहीं कांग्रेस बमुश्किल 8 या 10 सीटों पर सिमट जायेगी, जबकि
‘’आप’’ पार्टी के सशक्त विपक्ष या ‘’विकल्प’’ बन कर सन 2018 के म.प्र. विधानसभा चुनावों
में सामने आ सकती है या फिर बहुत जबरदस्त कड़ी फाइट देकर खतरनाक चुनौती बन सकती है,
भाजपा खेमे के अंदर चल रही मथनी से उनके व आर.एस.एस. के राजनीतिक
पंडितों ने पूर्व आगाह कर दिया है । और आम आदमी पार्टी की भोपाल रैली में उमड़े जन
सैलाब ने और कई जिलों चल रही निरंतर राजनीतिक सक्रियता के प्रति सचेत कर, आने वाले तूफान के प्रति आगाह कर दिया है ।
आम आदमी
पार्टी की भी रणनीति में खासे फेाबदल के संकेत
इधर आम आदमी पार्टी में भी कोई कम
रणनीति और राजनीतिक मंथन नहीं चल रहा, वह भी प्रदेश में जान डालने
के लिये प्रदेश की कमान व जिलों की कमान बहुत बड़े फेरबदल के साथ बदल कर अनुभवी
दबंग व दमदार लोगों को फ्रण्ट पर लाने की तैयारी में जुटी है , आने वाले वक्त आम आदमी पार्टी की इस खास राजनीति व रणनीति का खुलासा हो
सकता है । हालांकि वर्तमान प्रदेश व जिला नेतृत्वों से पार्टी के हाईकमान को कोई
शिकायत शिकवा नहीं है, लेकिन खुद आम आदमी पार्टी का ही
प्रदेश नेतृत्व और जिलों का नेतृत्व ऐसी दरकार व मांग कर रहा है , यह भी सोचने की बात है जहॉं सब एक कार्यकर्ता बने रहना चाहते हैं और आम
आदमी बन कर ही पदों पर या बिना पदों के पार्टी के लिये काम करना चाहते हैं और खुद
ही यह मांग करते हैं कि सक्रिय व दबंग व डटे जमे अड़े रहकर सोशल व पॉलिटिकल
एक्सपर्ट चाहिये , कमान और नेतृत्व उनको देकर उनके साथ काम
करना है । जाहिर है इस प्रकार की नीति व रणनीति भाजपा और आर.एस.एस. के लिये
निसंदेह बहुत ज्यादा चिंता का विषय है , क्योंकि अब तक केवल
भाजपा को ही म.प्र. में ग्रास रूट लेवल की पार्टी माना जाता है । लेकिन आप
कार्यकर्ताओं की निरंतर बढ़ती फौज व किसी दमदार नेतृत्व को प्रदेश व जिलों में
सामने लाया जाना बेहद खतरनाक अलार्म है । फिलवक्त आप पार्टी हाई कमान की नजर में
कुछ लोग ऐसे हैं या इस प्रकार का अंदरूनी चयन कार्य चल रहा है । और भाजपा की
रणनीति के हर कदम पर आप की नजर है , वहीं आप की रणनीति के हर
कदम पर भाजपा की नजर है । कुल मिलाकर दोनों का पोसंपा भाई पोसंपा चल रहा है ।
खतरनाक राजनीतिक चूक से बच रहे हैं
दोनों राजनीतिक दलों की राजनीति और रणनीति पर ध्यान दें तो साफिया तौर पर जाहिर हो
जायेगा कि ये दोनों ही दल ‘’कांग्रेस’’ को और कांग्रेस नेताओं को ल तो लक्षित
या टारगेट कर रहे हैं और न उसका कहीं जिक्र तक कर रहे हैं । मतलब साफ है कि इनकी
रणनीति में कांग्रेस आउट ऑफ फोकस और जमीनी चर्चा से बाहर का विषय है । सनद रहे कि यह दोनों दल इस गेम को दिल्ली
विधानसभा चुनावों में खेल चुके हैं और कांग्रेस का सफाया कर चुके हैं , वही रणनीति म.प्र. में अपनाई जा रही है । ‘’नजर
अंदाजी की भी एक जुबां और एक भाषा होती है ‘’
भाजपा
और आर.एस.एस. भी तुरूप के इक्के मैदान में ला सकती है या कहिये कि अब
पूरी तरह से तैयारी में है कि अपनी जंगी राजनीतिक बिसात अब बिछा दे, और
इसका पता आने वाले समय में होने वाली निगम व मंडल की नियुक्तियों सहित होने वाले
मंत्रीमंडल विस्तार में झलकना चाहिये , यदि यह नहीं झलकता है
तो यह मानना चाहिये कि भाजपा यह मान चुकी है कि अब म.प्र. में सरकार बदलेगी और
इसके साथ ही आप पार्टी के बदलावों और रणनीति से भी यह खुलासा आने वाले वक्त में हो
जायेगा कि वह म.प्र. विधानसभा में विपक्ष में बैठने जा रही है या सरकार व सत्ता
में । कुल मिलाकर इतना तो साफ है कि अगला तगड़ा व जंगी मुकाबला ‘’आप’’ और भाजपा के बीच ही म.प्र. में होना है । और उस
‘’विकल्प रिक्ति’’ या ‘’ सब्स्टीट्यूट गैप’’ की पूर्ति हो जायेगी ।
यदि
दोनों ही दल इस रणनीति पर अमल करते नजर आते हैं तो यह भी बहुत ज्यादा संभव है कि
आने वाले कुछ स्थानीय निकायों के चुनावों में भी ये दोनों पार्टीयां ही आमने सामने
टकरा जायें और तब बसपा और कांग्रेस के लिये यह स्पष्ट अलार्म और ताबूत की अंतिम कील
ठोके जाने का स्पष्ट आगाज होगा । हालांकि अभी मुरैना में भी नगर निकाय चुनाव होना है
, लेकिन नगरीय निकाय चुनावों तक यदि ये दोनों दल सुनिश्चित रणनीति के तहत अमल
नहीं करते तो सारी रणनीति को दूरगामी परिणामों अर्थात म.प्र. विधानसभा चुनाव 2018 और
लोकसभा चुनाव 2019 के नजरिये से देखा जाना चाहिये । ज्ञातव्य है कि म.प्र. की भाजपा
सरकार के लिये केन्द्र की मोदी सरकार भी अंदरूनी तौर पर बहुत बड़ी मुसीबत बनकर खड़ी
हुई है और तथाकथित आर्थिक सुधारों के नाम पर भाजपा की राज्य सरकार का बेड़ा गर्क
करने पर तुली है , वहीं जनता का परिवर्तन का मूड भांपते हुये
आम आदमी पार्टी अपने अलग कसीदे पढ़ना शुरू कर चुकी है ।
अरविन्द
केजरीवाल की निजी रूचि ने बढ़ाया आने वाले आगाजी तूफान का खतरा
म.प्र. में आम आदमी पार्टी की भोपाल में
विगत दिवस हुई विरोध प्रदर्शन रैली को और उसमें हुई भीड़ के चित्रों को दिल्ली के मुख्यमंत्री
अरविन्द केजरीवाल द्वारा रिट्वीट किये जाने व म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
के नाम संदेश व उपदेश का ट्वीट किये जाने से सारा मामला राजनीतिक गर्मी पकड़ गया है, साथ यह
भी स्पष्ट हो गया है कि म.प्र. की पल पल की गतिविधि पर आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व
न केवल बहुत गहरी नजर रख रहा है बल्कि , आप के बढ़ते जन सैलाब
व पार्टी कार्यकर्ताओं की सक्रियता से बेहद गंभीर व उत्साहित भी है । निसंदेह केजरीवाल
की म.प्र. में निजी व गहरी रूचि कयामती व कहर ढा कर मंजर बदलने वाली मानी जा सकती है
।
सुप्रीम
कोर्ट का बड़ा फैसला, बिना शादी के साथ रहने वालों जोड़े विवाहित माने जायेंगे
नई दिल्ली :: बिना शादी के साथ
रहने वालों जोड़े विवाहित माने जायेंगे: सुप्रीम कोर्ट
सोमवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने एक
बड़ा फैसला सुनाया है। आज उसने कहा कि यदि कोई अविवाहित जोड़ा मियां-बीवी के रूप
में अगर साथ रह रहा है तो उन्हें कानूनी रूप से शादीशुदा माना जाएगा और और उसे वो
सारे अधिकार मिलेंगे जो कि विवाहित कपल को मिलते हैं यहां तक कि अपने साथी की मौत
के बाद महिला उसकी संपत्ति की हकदार होगी। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह
फैसला एक संपत्ति के मामले में सुनाया है। यह फैसला जस्टिस एमवाय इकबाल और जस्टिस
अमिताव रॉय की बैंच ने लिया है। बैंच ने कहा कि लेकिन दोनों को इस सूरत में यह
साबित करना होगा कि यह फैसला उन्होंने शादी करने के लिहाज से ही लिया है।
साथ
रहने वाले जोड़े माने जायेंगे शादी-शुदा
जिस केस के तहत कोर्ट ने यह फैसला किया
है वो एक संपत्ति विवाद का मामला था जिसमें परिवार का कहना था कि उनके दादा अपनी
पत्नी की मौत के बाद एक महिला के साथ 20 साल से रह रहे थे इसलिए उनकी संपति में
उसका हिस्सा नहीं दिया जा सकता। परिवार वालों का कहना है कि वह महिला उनके दादा की
मिस्ट्रेस थी। जिस पर पीड़ित महिला ने कानून से मदद मांगी और संपति में हिस्सा भी।
कपल को
मिलेंगे सारे पति-पत्नी के हक
जिस पर आज कोर्ट ने सुनवाई की और
पीड़ित महिला को मृतक की कानून पत्नी मान लिया और फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि एक
मर्द और औरत लंबे समय से साथ रह रहे हैं तो समाज उसे भले ही जो उपमा देता हो लेकिन
अगर दोनों के साथ रहने का फैसला शादी के मद्देनजर है तो ऐसे में दोनों विवाहित माने
जायेंगे ।
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