मुरैना अपराध डायरी : किस्सा ए लैला मजनूं , एक नादर्ज अपराध ख् एक कूटरचित और फर्जी अटल ज्योति योजना का
सच तो आखिर सच है, कब तक और कहॉं तक दबाया जायेगा, , और यूं ही खत्म नहीं हो गई हुकूमत और सल्तनत ए कांग्रेस
अटल ज्योति बनाम म.प्र. का कलंक , एक घोर व संगीन आपराधिक जुर्म, फर्जी योजना और उसमें हुये फर्जीवाड़े, मिथ्या घोषणा करने , मिथ्या व असत्य कृत्य अमूल्य व बहुमूल्य संपत्ति अर्जित करने पर दर्ज हो सकती है शिवराज सिंह पर और भाजपा नेताओं सहित बिजली अधिकारीयो व अन्य सरकारी अफसरो पर एफ.आई.आर.
• अटल कटौती जो कि म.प्र. की जनता पर आफत का परकाला बन चुकी , पर कांग्रेस करती रही फर्जी नौटंकी व सतही दिखावा , वरना चाहती तो शिवराज सिंह चौहान सन 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही अपनी प्रायवेट लिमिटेड कम्पनी सहित जेल में होते
• धरना प्रदर्शनों और आंदोलनों के बजाय सीधे मैदान में उतरकर कांग्रेस को दर्ज करानी थी एफ.आई.आर. , मगर नहीं कराई , संदेह के घेरे में कांग्रेस के नेता वरना सन 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले सन 2008 में ही म.प्र. में सरकार बदल जाती
मुरैना अपराध डायरी – प्रथम किश्त
• नरेन्द्र सिंह तोमर ‘आनन्द’’ , एडवोकेट Gwalior Times Worldwide News & Broadcasting Services www.gwaliortimes.in
इसमें तो खैर कोई शक ही नहीं तथाकथित ‘’अटल ज्योति’’ नामक योजना पूरी तरह से सार्वजनिक रूप से बोला कहा गया एक सरासर सफेद झूठ , मिथ्या अवलंबन, मिथ्या साक्ष्य रचना, कूटरचना , जालसाजी , जनता के साथ छल एवं धोखाधड़ी कर जनता की अमूल्य व बहुमूल्य संपत्ति ( वोट) को हासिल करना, ‘’अटल ज्योति नामक योजना के कूटरचित दस्तावेज ‘’ तैयार करना, एक दिखावटी कार्यक्रम आयोजन कर जनता को छल कपट पूर्वक आपराधिक षडयंत्र रच कर बरगलाना , फुसलाना और उससे प्राप्त वोट का उपयोग करना तथा उससे सत्ता हासिल कर सत्तानशीं हो जाना ।
भारतीय दण्ड विधान ( आई.पी.सी.) के तहत ये सब कृत्य घोर व गंभीर प्रकृति के संगीन व गैर जमानतीय अपराध हैं , और जहॉं इनमें जमानत बमुश्किल होगी तो वहीं इनकी सजा आजीवन कारावास से कम किसी हाल में नहीं है ।
ऐसे किसी भी कार्य में किसी भी प्रकम पर , चाहे वह ऐसी कूटरचित फर्जी योजना की घोषणा कराने, बनाने या उसे जालसाजी कर लागू करने के दिखावटी या कृत्रिम सम्मेलन या कार्यक्रम या किसी आयोजन में उपस्थित किसी भी व्यक्तिे को जो इस पूरे प्रकम पर कहीं भी दखल या मौजूदगी रखता हो , आई.पी.सी. की धारा 34 या 120 बी के तहत स्वयं ही मुल्जिम बन जाता है
25 नवंबर 2013 को शाम से ही मतदान के बाद से ही म.प्र. में बिजली का वितरण, संवितरण प्रभावित हो गया था और अटल ज्योति नामक योजना का कूटरचित व फर्जी होना एवं प्रदेश की जनता के साथ एक बड़ी जालसाजी होने का एक साक्षात साक्ष्य व सबूत बन गया था ।
लेकिन उसके बाद जो म.प्र. में बिजली ने कहर ढाया वह कहर आज तक नहीं थमा , अब तो म.प्र. का आलम यह है कि अघोषित बिजली कटौती के साथ साथ घोषित बिजली कटौती भी भरी भीषण गर्मी में बदस्तूर जारी है गांया कुल मिलाकर घटित अपराध आज दिनांक तक और इस वक्त तक बदस्तूर जारी है ।
इस सम्बंध में बेहद व्यापक , रोचक व मजेदार तथ्य यह है कि , महज दो साल के या पौने दो साल के अल्पकार्यकाल में ही म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो बार तथाकथित सी.एम. हेल्प लाइन की घोषणा कर डाली , एक बार एक मोबाइल नंबर जारी किया गया , दूसरी बार 181 के नाम से पुरानी हेल्पलाइन को खत्म कर नई हेल्पलाइन शुरू की गयी । सी.एम. हेल्पलाइन 181 वैसे तो लगती ही नहीं , अगर बार बार प्रयास करते रहें और लग भी जाये तो करीब 70 फीसदी शिकायतों को दर्ज करने से इंकार कर दिया जाता है । यदि भूले भटके कोई शिकायत दर्ज भी कर ली गई तो अव्वल तो वह कभी निराकृत की ही नहीं जायेगी , हमारी सूचना के अनुसार करीब 90 फीसदी दर्ज शिकायतें आज दिनांक तक अनिराकृत हैं ।
अब जरा शिकायतों के निराकरण पर या फर्जी सरकारी जवाबों पर भी गौर फरमाया जाये तो आईये पहले वह अपराध आपको बताते हैं जो सरकारी क्षेत्र के कर्मचारी या अफसर या सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनी के लोग करते हैं , और किसी शिकायत के निराकरण में सरासर झूठ व फर्जी , मिथ्या असत्य उत्तर देते हैं । पहली बात यह कि किसी लोकसेवक द्वारा ( भले ही महज टेलीफोन से, ई मेल से या एस.एम.एस. या अन्य इलेक्ट्रानिक माध्यम द्वारा केवल मौखिक सूचना ही प्राप्त हुई हो) सूचना या इत्तला का दर्ज न किया जाना घोर व संज्ञेय प्रकृति का गैर जमानती अपराध है , इस सम्बन्ध में आई.पी.सी. सहित , सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 , एवं भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सन 2008 में दिया गया स्पष्ट प्रावधान वर्णिीत एवं उपलब्ध है, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि ‘’ सूचना या इत्तला या एफ.आई.आर. दर्ज करने में असफल व्यक्ति को तत्काल सेवा से बर्खास्त कर , जेल में भेजा जाये ‘’ कुल मिलाकर आपको हर हाल में किसी भी सूचना या इत्तला या एफ.आई.आर. को दर्ज करना ही होता है , चाहे आप उससे पूरी तरह से असहमत हों, और स्वयं उसे असत्य मानते हों ।
आई.पी.सी. में किसी सूचना का लोकसेवक को ( पुलिस को या ऊपर से कार्यवाही कर रहे इस प्रक्रम की कार्यवाही कर रहे विभाग या अधिकारी को) न देना , सूचना या जानकारी का लोप करना, इत्तला छिपाना , अपराध हैं और पुलिस द्वारा ऐसे मामलों में एफ.आई.आर. दर्ज करना अनिवार्य है । इसी प्रकार किसी लोकसेवक द्वारा अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान गलत व भ्रामक इत्तला देना, असत्य सूचना देना, असत्य व मिथ्या जानकारी भेजना या देना , लोकसेवक का कर्तव्य निर्वहन करते हुये असत्य व अशुद्ध लेखन या असत्य व अशुद्ध अंकन , असत्य कथन या बयान या घोषणा अपराध हैं व पुलिस द्वारा इस अपराध की भी एफ.आई.आर. दर्ज करनी अनिवार्य है ।
अपराध डायरी का यही अपराध जारी रहेगा मुरैना अपराध डायरी के अगले अंक में
इससे अगला अपराध–इसी डायरी में पढि़ये एक नादर्ज आपराधिक मामला, एक महाघोटाला और फर्जीवाड़ो का बाप महाफर्जीवाड़ा ...... और रातों रात शहर के बीचों बीच से गायब हो गई भारत सरकार की करोड़ों रूपये की इमारत, योजना और अमला सहित सैकड़ो महिलायें
सच तो आखिर सच है, कब तक और कहॉं तक दबाया जायेगा, , और यूं ही खत्म नहीं हो गई हुकूमत और सल्तनत ए कांग्रेस
अटल ज्योति बनाम म.प्र. का कलंक , एक घोर व संगीन आपराधिक जुर्म, फर्जी योजना और उसमें हुये फर्जीवाड़े, मिथ्या घोषणा करने , मिथ्या व असत्य कृत्य अमूल्य व बहुमूल्य संपत्ति अर्जित करने पर दर्ज हो सकती है शिवराज सिंह पर और भाजपा नेताओं सहित बिजली अधिकारीयो व अन्य सरकारी अफसरो पर एफ.आई.आर.
• अटल कटौती जो कि म.प्र. की जनता पर आफत का परकाला बन चुकी , पर कांग्रेस करती रही फर्जी नौटंकी व सतही दिखावा , वरना चाहती तो शिवराज सिंह चौहान सन 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले ही अपनी प्रायवेट लिमिटेड कम्पनी सहित जेल में होते
• धरना प्रदर्शनों और आंदोलनों के बजाय सीधे मैदान में उतरकर कांग्रेस को दर्ज करानी थी एफ.आई.आर. , मगर नहीं कराई , संदेह के घेरे में कांग्रेस के नेता वरना सन 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले सन 2008 में ही म.प्र. में सरकार बदल जाती
मुरैना अपराध डायरी – प्रथम किश्त
• नरेन्द्र सिंह तोमर ‘आनन्द’’ , एडवोकेट Gwalior Times Worldwide News & Broadcasting Services www.gwaliortimes.in
इसमें तो खैर कोई शक ही नहीं तथाकथित ‘’अटल ज्योति’’ नामक योजना पूरी तरह से सार्वजनिक रूप से बोला कहा गया एक सरासर सफेद झूठ , मिथ्या अवलंबन, मिथ्या साक्ष्य रचना, कूटरचना , जालसाजी , जनता के साथ छल एवं धोखाधड़ी कर जनता की अमूल्य व बहुमूल्य संपत्ति ( वोट) को हासिल करना, ‘’अटल ज्योति नामक योजना के कूटरचित दस्तावेज ‘’ तैयार करना, एक दिखावटी कार्यक्रम आयोजन कर जनता को छल कपट पूर्वक आपराधिक षडयंत्र रच कर बरगलाना , फुसलाना और उससे प्राप्त वोट का उपयोग करना तथा उससे सत्ता हासिल कर सत्तानशीं हो जाना ।
भारतीय दण्ड विधान ( आई.पी.सी.) के तहत ये सब कृत्य घोर व गंभीर प्रकृति के संगीन व गैर जमानतीय अपराध हैं , और जहॉं इनमें जमानत बमुश्किल होगी तो वहीं इनकी सजा आजीवन कारावास से कम किसी हाल में नहीं है ।
ऐसे किसी भी कार्य में किसी भी प्रकम पर , चाहे वह ऐसी कूटरचित फर्जी योजना की घोषणा कराने, बनाने या उसे जालसाजी कर लागू करने के दिखावटी या कृत्रिम सम्मेलन या कार्यक्रम या किसी आयोजन में उपस्थित किसी भी व्यक्तिे को जो इस पूरे प्रकम पर कहीं भी दखल या मौजूदगी रखता हो , आई.पी.सी. की धारा 34 या 120 बी के तहत स्वयं ही मुल्जिम बन जाता है
25 नवंबर 2013 को शाम से ही मतदान के बाद से ही म.प्र. में बिजली का वितरण, संवितरण प्रभावित हो गया था और अटल ज्योति नामक योजना का कूटरचित व फर्जी होना एवं प्रदेश की जनता के साथ एक बड़ी जालसाजी होने का एक साक्षात साक्ष्य व सबूत बन गया था ।
लेकिन उसके बाद जो म.प्र. में बिजली ने कहर ढाया वह कहर आज तक नहीं थमा , अब तो म.प्र. का आलम यह है कि अघोषित बिजली कटौती के साथ साथ घोषित बिजली कटौती भी भरी भीषण गर्मी में बदस्तूर जारी है गांया कुल मिलाकर घटित अपराध आज दिनांक तक और इस वक्त तक बदस्तूर जारी है ।
इस सम्बंध में बेहद व्यापक , रोचक व मजेदार तथ्य यह है कि , महज दो साल के या पौने दो साल के अल्पकार्यकाल में ही म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो बार तथाकथित सी.एम. हेल्प लाइन की घोषणा कर डाली , एक बार एक मोबाइल नंबर जारी किया गया , दूसरी बार 181 के नाम से पुरानी हेल्पलाइन को खत्म कर नई हेल्पलाइन शुरू की गयी । सी.एम. हेल्पलाइन 181 वैसे तो लगती ही नहीं , अगर बार बार प्रयास करते रहें और लग भी जाये तो करीब 70 फीसदी शिकायतों को दर्ज करने से इंकार कर दिया जाता है । यदि भूले भटके कोई शिकायत दर्ज भी कर ली गई तो अव्वल तो वह कभी निराकृत की ही नहीं जायेगी , हमारी सूचना के अनुसार करीब 90 फीसदी दर्ज शिकायतें आज दिनांक तक अनिराकृत हैं ।
अब जरा शिकायतों के निराकरण पर या फर्जी सरकारी जवाबों पर भी गौर फरमाया जाये तो आईये पहले वह अपराध आपको बताते हैं जो सरकारी क्षेत्र के कर्मचारी या अफसर या सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनी के लोग करते हैं , और किसी शिकायत के निराकरण में सरासर झूठ व फर्जी , मिथ्या असत्य उत्तर देते हैं । पहली बात यह कि किसी लोकसेवक द्वारा ( भले ही महज टेलीफोन से, ई मेल से या एस.एम.एस. या अन्य इलेक्ट्रानिक माध्यम द्वारा केवल मौखिक सूचना ही प्राप्त हुई हो) सूचना या इत्तला का दर्ज न किया जाना घोर व संज्ञेय प्रकृति का गैर जमानती अपराध है , इस सम्बन्ध में आई.पी.सी. सहित , सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 , एवं भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सन 2008 में दिया गया स्पष्ट प्रावधान वर्णिीत एवं उपलब्ध है, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि ‘’ सूचना या इत्तला या एफ.आई.आर. दर्ज करने में असफल व्यक्ति को तत्काल सेवा से बर्खास्त कर , जेल में भेजा जाये ‘’ कुल मिलाकर आपको हर हाल में किसी भी सूचना या इत्तला या एफ.आई.आर. को दर्ज करना ही होता है , चाहे आप उससे पूरी तरह से असहमत हों, और स्वयं उसे असत्य मानते हों ।
आई.पी.सी. में किसी सूचना का लोकसेवक को ( पुलिस को या ऊपर से कार्यवाही कर रहे इस प्रक्रम की कार्यवाही कर रहे विभाग या अधिकारी को) न देना , सूचना या जानकारी का लोप करना, इत्तला छिपाना , अपराध हैं और पुलिस द्वारा ऐसे मामलों में एफ.आई.आर. दर्ज करना अनिवार्य है । इसी प्रकार किसी लोकसेवक द्वारा अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान गलत व भ्रामक इत्तला देना, असत्य सूचना देना, असत्य व मिथ्या जानकारी भेजना या देना , लोकसेवक का कर्तव्य निर्वहन करते हुये असत्य व अशुद्ध लेखन या असत्य व अशुद्ध अंकन , असत्य कथन या बयान या घोषणा अपराध हैं व पुलिस द्वारा इस अपराध की भी एफ.आई.आर. दर्ज करनी अनिवार्य है ।
अपराध डायरी का यही अपराध जारी रहेगा मुरैना अपराध डायरी के अगले अंक में
इससे अगला अपराध–इसी डायरी में पढि़ये एक नादर्ज आपराधिक मामला, एक महाघोटाला और फर्जीवाड़ो का बाप महाफर्जीवाड़ा ...... और रातों रात शहर के बीचों बीच से गायब हो गई भारत सरकार की करोड़ों रूपये की इमारत, योजना और अमला सहित सैकड़ो महिलायें
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