दिया अकाउंट खुलाय, फोटो नूतन नये नये डलवाये ।
कछू सखियन ने कह दिया कि नित नये फ्रेण्ड बनाना, उमर पर तुम मत जाना !
प्रेम करो चाहे इश्क लड़ाओ, बने बात तो शादी रचवाओ वरना टाइमपास कराओ ।
वरना टाइमपास कराओ, रोज पकड़ इक बांका बुढ्ढा सा कोई मुर्गा ।
हास्य/ व्यंग्य
फेसबुक पे लड़ी जो अंखियां... अब जल रही सारी सखियां
नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनंद''
फेसबुक पे सखीयन ने जबरन मेरा दिया अकांउण्ट खुलाय,
दिया अकाउंट खुलाय, फोटो नूतन नये नये डलवाये ।
कछू सखियन ने कह दिया कि नित नये फ्रेण्ड बनाना, उमर पर तुम मत जाना !
प्रेम करो चाहे इश्क लड़ाओ, बने बात तो शादी रचवाओ वरना टाइमपास कराओ ।
वरना टाइमपास कराओ, रोज पकड़ इक बांका बुढ्ढा सा कोई मुर्गा ।
बुढ्ढों से इश्क लड़ाने के हैं देख सखी रे फायदे, इश्क मोहब्बत और सेक्स के खूब सिखाते कायदे ।
खूब सिखाते कायदे और बहुत ये प्यार का प्यासा कुनबा, हर बुढ्ढा है रंगीन, जादा कोई थोड़ा ।
सीख सीख नित गुर इश्क के, बनो सेक्स एक्सपर्ट, रात का उनका टाइम पास हो कहते इसको फ्लर्ट ।
कहते इसको फ्लर्ट लाइन कुछ ऐसी मारो, हो हर बुढ्ढा रंगीन, मिजाज सेक्सी उसका होवे ।
फिर ट्रेण्ड हो हर कला में निपुण बन हो सब विद्या प्रवीण, घास फिर नये छोरों को डालो ।
सब छोरों से चेंट चाट कर उनमें से मनमाफिक चुनना, सबका करना टेस्ट परीक्षा पूरी लेना ।
क्या है उसका नाम, जात क्या उसकी होती, करता है क्या काम है औकात क्या उसकी होती ।
अभी तक फिरे कुआरा या कहीं फंसा पड़ा है, अगर मस्त है माल तो अंटे में ले डालो ।
यदि करी हुयी सगाई या शादी उसने, चक्कर ऐसा कुछ डालो कि टूटे शादी और सगाई ऐसा फंदा डालो ।
रहना उसके हर गम में हमदम और दर्द में हो हमदर्द, राहत की सांसों की ऑक्सीजन बन कर देते रहना फर्द ।
उसके रिश्ते सब तुड़वाना, अपना जहाज बढ़ाते जाना है मोहब्बत खो खो का एक खेल ।
यहॉं दिमागों की है मोहब्बत नहीं है दिल से दिल का मेल, खेल दिमागों से खेलो, दिल गया बेचने तेल ।
दिल गया बेचने तेल, शायरी भी बिन दिल की करना, नहीं समझ आये तो कापी पेस्ट उड़ाना ।
कापी पेस्ट उड़ाना, नकल मार तोड़ पचासों दिल, यहॉं दिल तोड़ने की ट्रेनिंग भी जम कर लेना ।
फेसबुक है इक बुक यहॉं फेस हैं जिसमें जाली, औरत बन कर छिपे आदमी हैं सब खल्लम खाली ।
हैं सब खल्लम खाली, औरत आदमी बन हैं आते, अपनी पोस्टों पर खुद ही लाइक कर कमेंट मारते ।
पूरी पूरी रात पूरे पूरे दिन आई डी सैकड़ो आपरेट कराते, कभी कभी पठ्ठे आपस में ही ये टकराते ।
है गिरोह यहॉं संगीन फेसबुक पर यारो, बचकर रहना समझ कर खेलो, बात जरा गंभीर मतलब समझो यारो ।
फर्जी बहुत हैं मक्कार बहुत, ये दिल्ली बंबई वाले, बचना राजस्थान गुजरात से ये हैं मक्करजाले ।
बचना इंदौर भोपाल जबलपुर यहॉं पर फर्जी का है जाल, बिहार झारखंड और उत्तराखंड के नामों से भी होती हैं फर्जी कई प्रोफाइल ।
बचना कुछ पंजाबी कुड़ियों से, बहुत सी हैं धरें फर्जी कई उपनाम, नहीं यहॉं सिंह ठाकुर का मतलब न शर्मा का पंडित, खेल बहुत तगड़ा है भइये, मत गच्चा खा हो जाना न गिलगित ।
यहॉं गिरोह अनेकों कार्य कर रहे ये है अपना एक्सपीरियंस, बात हमारी ध्यान से सुनना कहते नरेन्द्र आनंद ।
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