प्रधानमंत्री ने भारतीय पुलिस सेवा के परीवीक्षाधीन अधिकारियों को सम्बोधित किया
प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्ली में 2009 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के परीवीक्षाधीन अधिकारियों को सम्बोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत राज्यों में रहता है, इसलिए हमारे देश के विभिन्न राज्यों में जो भी घटित हो रहा है, उसके बारे में हमारे युवा अधिकारियों को ज्ञान, बुध्दि एवं अनुभवों से अपने आपको लैस करना होगा। इसके साथ ही हमारे देश की एकता एवं अखंडता हमारे लिए प्रमुख चिन्ता का विषय है और यह इस देश की सभी प्रमुख सेवाओं के लिए भी सबसे महत्वपूर्ण विषय होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जहां तक देश की एकता और अखंडता का सवाल है, विकास की उचित दर को बनाये रखने के लिए कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। डॉ0 सिंह ने कहा कि कानून और व्यवस्था के बिना हमारे देश की एकजुटता पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है।
उन्होंने कहा कि विकास के साथ कुछ तनाव भी हैं, क्योंकि विकास के लिए क्षमता का वितरण समान नहीं है। आज जब हम 8 से 9 प्रतिशत प्रति वर्ष की विकास दर से आगे बढ रहे हैं, उसके बावजूद बहुत लोगों को ऐसा लगता है कि वे विकास प्रक्रिया से बाहर छूट गए हैं और जब उनको ऐसा महसूस होता है तो व्यवस्था के खिलाफ उनकी शिकायतें बढ ज़ाती हैं और उनमें से कुछ कानून एवं व्यवस्था को चुनौती देने की कोशिश करते हैं। डॉ0 सिंह ने कहा कि प्रत्येक लोक सेवक के मस्तिष्क में साम्प्रदायिक वायरस से निपटने का जज्बा होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद की बढती समस्या पर भी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे अत्यन्त संवेदनशीलता से निपटने की आवश्यकता है। उन्होंने इन परीवीक्षाधीन अधिकारियों से इस समस्या से निपटने के लिए विश्वसनीय एवं कारगर रणनीतियां तैयार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि नक्सल हिंसा भी एक बड़ी समस्या है, जो केन्द्रीय भारत के उन हिस्सों को प्रभावित कर रही है, जहां भारत की खनिज सम्पदा स्थित है। प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि 10 से 11 प्रतिशत प्रति वर्ष की विकास दर को प्राप्त करने की देश की महत्वाकांक्षा तभी पूरी होगी, जब नक्सल समस्या पर नियंत्रण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्र आज नक्सल समस्या की चपेट में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ सामाजिक एवं आर्थिक कारणों की वजह से जनजातीय क्षेत्र के कुछ लोगों का प्रशासन से मोहभंग हुआ और वे नक्सल प्रौपेगंडा के शिकार बने। डॉ0 सिंह ने कहा कि इस समस्या से कानून एवं व्यवस्था की समस्या और विकास की समस्या दोनों रूपों में निपटने की आवश्यकता है। डॉ0 सिंह ने कहा कि कानून एवं व्यवस्था को लागू कराने वाली व्यवस्था में प्राद्योगिकी एवं तकनीकी का इस्तेमाल होना चाहिए, जिसमें थर्ड डिग्री जैसे उपायों के लिए कोई जगह न हो।
प्रधानमंत्री ने इन परीवीक्षाधीन अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों को निभाने में पूर्ण सफलता की शुभकामना दीं।
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