मंगलवार, 1 मई 2007

पेयजल समस्या के निराकरण हेतु कन्ट्रोल रूम स्थापित

पेयजल समस्या के निराकरण हेतु कन्ट्रोल रूम स्थापित

 

मुरैना 30 अप्रेल07- पेयजल समस्या से संबंधित आवेदन पत्र प्राप्त करने ओर उनका त्वरित निराकरण करवाने के लिए कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी कार्यालय मुरैना में कन्ट्रोल रूम स्थापित किया गया है । इस कन्ट्रोल रूम के प्रभारी सहायक मान चित्रकार श्री शिवचरण लाल शर्मा रहेंगे तथा उनके सहायक के रूप में श्री राजेन्द्र सिंह यादव और श्री देवेन्द्र शिरोमणि पदस्थ रहेंगे । कन्ट्रोल रूम के दूरभाष क्रमांक 233393 पर पेयजल संबंधी शिकायतें दर्ज कराई जा सकती है । इसके अलावा पेयजल समस्याओं के अनुश्रवण हेतु जनपद पंचायत कार्यालयों में उपयंत्रियों के बैठने के दिन भी निर्धारित कर दिये गये हैं ।

       यह जानकारी कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में आज सम्पन्न पेयजल व्यवस्था की समीक्षा बैठक में दी गई । इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री सभाजीत यादव, कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी श्री ओ.पी.गुप्ता तथा जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और विभागीय अधिकारी उपस्थित थे ।

       बैठक में बताया गया कि जिले में स्थापित 10 हजार 791 हैंडपंपों और 103 नल जल योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था है । स्थापित हैंडपंपों में से 10 हजार 70 चालू हैं तथा बंद 721 हैंडपंपों में से 180 सुधार योग्य हैंडपंपों की सुधार प्रक्रिया जारी है । इसी प्रकार 103 नल जल योजनाओं में से 61 बंद योजनाओं और 32 स्थल जल योजनाओं मे से बंद 21 योजनाओं को चालू कराने के प्रयास किये जा रहे हैं । ग्रामीण बसाहटों एवं शालाओं मे 3 करोड़ 19 लाख रूपये के व्यय से 633 हैंडपंपों का खनन कराया गया तथा 5 लाख रूपये के व्यय से 25 छतीय वर्षा जल संरचना निर्मित कराई गई ।

       मुरैना नगर में 65 नलकूप और 505 हैंडपंपों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति की जा रही है । सबलगढ़, कैलारस और जौरा के नगरीय क्षेत्रों में ग्रीष्मकाल में पेयजल समस्या उत्पन्न हो सकती है। कलेक्टर ने इसके लिए अभी से एहतिहाती कदम उठाने के निर्देश दिये । उन्होंने कहा कि गर्मी के दिनों में कहीं भी पेयजल की किल्लत नहीं आनी चाहिए । उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में ग्रीष्मकाल में पेयजल संकट उत्पन्न होना संभावित हैं, उन्हें चिन्हित कर लिया जाय और नए श्रोत विकसित कर अथवा परिवहन के जरिये पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जाय ।

       बैठक में बताया गया कि जिले में पशुचारा की कोई किल्लत नहीं आयेगी । वर्तमान में 20 लाख टन चारा उपलब्ध है । कलेक्टर ने पशुचारा के निर्यात पर लगाये गये प्रतिबन्धात्मक आदेश का कडाई से पालन कराने के निर्देश दिये । उन्होंने जलाभिषेक अभियान के दौरान सभी पुलियों पर छोटी जलसंरचना बनाने तथा नगरीय क्षेत्र में शासकीय भवनों पर रूफ वाटर हारवेस्ंटिग के कार्य कराने की ताकीद की । उन्होंने कहा कि भवन निर्माण की अनुमति में रूफ वाटर हारवेस्ंटिग जरूरी की जाय । साथ ही जल जन्य बीमारियों से बचाव के लिए पानी की टंकी की नियमित सफाई और जल शुद्वीकरण के लिए व्लींचिंग अथवा क्लोरीनाइजेशन आवश्यक रूप से किया जाये ।

 

 

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