गुरुवार, 17 जनवरी 2008

भारत में तकनीकी शिक्षा का विकास

भारत में तकनीकी शिक्षा का विकास
तकनीकी शिक्षा मानव संसाधन विकास का एक सबसे जटिल अंग है और यह लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए पर्याप्त क्षमता भी रखती है। शिक्षा के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की क्षमता को महसूस करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति, एनपीई, 1986 और प्रोग्राम ऑफ एक्शन, पीओए, 1986 ने बदलते समाजिक-आर्थिक परिवेश के अंतर्गत चुनौतियों का प्रभावी रूप से सामना करने के लिए तकनीकी शिक्षा को मान्यता देने और नवीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। तकनीकी शिक्षा के लिए अखिल भारतीय परिषद, एआईसीटीई पूरे देश में तकनीकी शिक्षा पध्दति के समन्वित विकास की योजना के अंतर्गत तकनीकी शिक्षा प्रणाली और संबंधित मामलों में ऐसी शिक्षा के गुणात्मक विकास को बढ़ाने और इसके लिए प्रतिमान और मानकों को बनाने के संदर्भ में संसद के 1987 के अधिनियम 52 के अंतर्गत सांविधिक अधिकार प्राप्त कर चुकी है।
परिषद तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में नियमन, प्रतिमान और मानकों का पालन, क्षमता निर्माण, मान्यता, प्राथमिकता के क्षेत्र में आर्थिक मदद, पाठ्क्रमों की देखरेख और मूल्यांकन, इक्विटी और गुणवत्ता को प्रदान करने वाली कई योजनाओं पर कार्य कर रही है।
पिछले कुछ वर्षो में भारतीय तकनीकी शिक्षा प्रणाली के क्षेत्र की क्षमता में महत्वपूर्ण वृध्दि हुई है। 31 जुलाई, 2007 के अनुसार, एआईसीटी द्वारा स्वीकृत संस्थानों में छात्रों की संख्या में महत्वपूर्ण वृध्दि हुई है। वर्ष 2007-08 के अकादमिक वर्ष में, परिषद 96,551 छात्रों की अतिरिक्त क्षमता प्रदान करने वाले करीब 456 नए संस्थानों को स्वीकृति दे चुकी है।
हमारे प्रयासों और प्रक्रियों में विश्वास जताते हुए वाशिंगटन के प्रमुख संस्थान एआईसीटीए-एनबीए को अंतरिम सदस्यता की स्वीकृति दे चुके हैं।
एआईसीटीई अधिनियमन के दो दशकों के बाद, परिषद का मानना है कि आज देश में तकनीकी शिक्षा में गुणवत्ता, सार्थकता और प्रभाव लाने और इसकी इक्विटी और क्षमता को बढ़ाने के लिए पर्याप्त विचार-विमर्श, और सलाह की आवश्यकता है। इसी आधार पर, एआईसीटीई ने एक योजना तैयार की और इसके अंतर्गत 17 और 18 दिसम्बर, 2007 को वह नई दिल्ली के पूसा स्थित राष्ट्रीय कृषि और विज्ञान परिसर के सिमपोसियम सभागार में ''भारत में तकनीकी शिक्षा का विकास'' विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रही है। इस सम्मेलन का उद्धाटन और माननीय केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री अर्जुन सिंह करेगें। उच्चतर शिक्षा के लिए राज्य मंत्री श्रीमती डी पुरंदेश्वरी भी इस अवसर पर अपने विचार प्रकट करेगी। योजना आयोग के सदस्य प्रो0 बी. मंगेरकर उदघाट्न सत्र के मुख्य अतिथि होंगे। इसके अलावा इस सम्मेलन में, उच्चतर शिक्षा विभाग के सचिव श्री आर पी अग्रवाल, यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. सुखदेव थोरट भी अपने विचार प्रकट करेगें। सम्मेलन में देशभर के तकनीकी विश्वविद्यालयों और संस्थानों के वरिष्ठ व्यक्तित्व भी भाग लेगें।
इस सम्मेलन में सात मुख्य विषयों पर तकनीकी सत्रों के दौरान विचार-विमर्श किया जाएगा। इस सम्मेलन का उदेश्य तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना और उससे संबधित क्षेत्र में निर्धारित दीर्घकालीन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में कदम उठाना है।

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