खेती की तरक्की के लिए क्रान्ति मैदान बनी जम्बूरी
खुशी से दमके किसानों के चेहरे
राजधानी का जम्बूरी मैदान आज एक ऐसे क्रान्ति मैदान में तब्दील था जहाँ खेती  और किसानों की तरक्की के लिए आवाज़ बुलंद की गई। यह किसानों के किसी एकतरफा आंदोलन का  मौका नहीं था,  बल्कि किसानों के साथ एकजुट होकर प्रदेश की सरकार के खेती में खुशहाली  लाने के सामूहिक संकल्प का इज़हार बना। प्रदेश में इस क्रान्ति का सूत्रपात करने के  प्रणेता बने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसान कल्याण की ऐसी अनेक नई इबारतें  इस मौके पर लिखीं जिन्हें समझने के बाद किसानों के चेहरे खुशी से दमक उठे थे। इस ऐतिहासिक  आयोजन को किसान महापंचायत का नाम दिया गया था।
कभी नहीं देखी ऐसी पंचायत
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह जो इस मौके पर खास  मेहमान थे,  खुद को यह कहने से रोक नहीं पाए कि मैने कभी नहीं देखी ऐसी पंचायत। श्री  सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश का सी.एम. रहने के दौरान उन्होंने भी एक बार किसान पंचायत  बुलाई थी लेकिन उसका स्वरुप इतना विशाल नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि अपने जीवन में  और भी कई पंचायतें देखीं लेकिन इसके जैसी कोई नहीं थी।
अतिथि के लिए पहले भाषण और भोजन
भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह ने आज किसान महापंचायत में मुख्यमंत्री श्री  चौहान के एक विनम्र आग्रह को नकार दिया। मुख्यमंत्री शिष्टाचार की आदर्श परंपरा के  अनुसरण में यह चाहते थे कि श्री सिंह अपना भाषण उनके बाद दें। दूसरी ओर श्री सिंह इस  ऐतिहासिक और भव्य आयोजन से इतने अभिभूत थे कि वे इसका श्रेय मुख्यमंत्री को देने और  उन्हें किसानों से भरपूर संवाद का मौका देने के लिए उनके पहले अपना भाषण देने का मन  बना चुके थे। यद्यपि प्रत्यक्ष में उन्होंने दलील यह दी कि मैं आज यहाँ अतिथि हूँ इसलिए  भाषण और भोजन मुझे ही पहले करना चाहिए।
किसान पंचायत सी.एम. की परिकल्पना
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों के समक्ष इस आयोजन  का राज खोलते हुए बताया कि इस तरह प्रभावी और सशक्त संवाद किसानों से करने की परिकल्पना  मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की ही थी। वे खेत और किसानों से अपने लगाव तथा  इस क्षेत्र के अनुभवों को यथार्थ की ज़मीन देकर कृषि विकास को अंजाम देना चाहते थे।
मीडिया को डिस्टर्ब न करें
इस मौके पर उम्मीद से ज्यादा एक लाख के ऊपर जा पहुँची किसानों की मौजूदगी कहीं-कहीं  रेलमपेल में भी तब्दील हो रही थी। मंच के करीब बैठे मीडिया कर्मियों को लोगों की आवाजाही  से कोई व्यवधान न हो इसके प्रति मुख्यमंत्री श्री चौहान सचेत थे। उन्होंने मंच से किसानों  से आग्रह किया कि मीडिया को कृपया डिस्टर्ब न करें क्योंकि उनके माध्यम से ही इस आयोजन  की जानकारी उन और लाखों किसानों तक पहुँचना है जो यहाँ उपस्थित नहीं है।
सुझाव पेटियाँ कई बार खाली हुई
किसान महापंचायत स्थल पर किसानों के लिखित सुझाव प्राप्त करने के लिए लगाई  गई पेटियाँ (बॉक्स) जब ठसाठस भर जाती थीं तो उन्हें फिर से तत्काल खाली कर लगाया जाता  था। यह सिलसिला लगातार चलता रहा। इन सुझाव पेटियों की महत्ता बताते हुए मंच से कहा  गया कि प्रत्येक सुझाव की संबंधित किसान को पावती (रिसीट) तो भेजी जाएगी ही, इन पर मुख्यमंत्री खुद ही गौर  करेंगे और इनके निराकरण का जिम्मा भी उठाएंगे।
अतिथियों का स्वागत 100 किलो की  माला से
किसान महापंचायत के साक्षी बने सभामंच पर उपस्थित सभी अतिथियों को प्रदेश के  किसानों की ओर से 100 किलो वजन की फूलों की माला पहनाकर उनका स्वागत किया गया।  सम्मान के पारंपरिक निर्वाह में उनके सिर पर रंगीन पगड़ियाँ भी बाँधी गई जिन्हें पहनाने  के लिए विशेषज्ञ को लाया गया।
किसानों के हाथों में ब्रोशर, पेम्फलेट्स
किसान महापंचायत में सूचनाप्रद प्रदर्शनियाँ भी लगाई थीं। किसानों ने न सिर्फ  इन्हें देखने में दिलचस्पी दिखाई, बल्कि वहां से उपलब्ध कराए गए साहित्य  को अपने हाथों से सहेजने की तत्परता भी प्रदर्शित की। हर किसान के हाथ में कोई ब्रोशर  या पेम्फलेट था ही।
गेहूँ की बालियाँ न दिखाएं
सभा मंच के सामने बैठे कुछ किसानों ने हाल ही में पड़ी ठंड से तुषार में जकड़  गई फसलों का हाल बताने के लिए इस मौके पर गेहूँ की बालियाँ और चने के झाड़ हवा में लहराए।  कृषि मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने फौरन खड़े होकर उन्हें ढांढस बंधाते हुए कहा कि इस  प्रदर्शन की जरुरत नहीं है, यह पंचायत तो बुलाई ही उन ग़मों को बाँटने  के लिए गई है जिनका अहसास सरकार को है और तकलीफ दूर करने की मुस्तैदी भी आज इसका इलाज  होगा।
 
 
 
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