सोमवार, 10 सितंबर 2007

कीट प्रबंधन हेतु किसानों को सलाह

कीट प्रबंधन हेतु किसानों को सलाह

मुरैना 10 सितम्बर 2007// किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा किसानों को कीट व्याधि से फसलों को बचाने की सलाह दी गई है ।

उप संचालक श्री एन.आर.भास्कर के अनुसार जिले में प्राय: सभी विकास खण्डों में छुटपुट ग्रासहापर का प्रकोप देखा गया है । किसान भाई नियमित रूप से सुबह अपने खेत का  भ्रमण आवश्यक रूप से करें और खेत में बोई गयी फसलों को हिलाडुला कर देखें । इस कीट के अलावा अन्य कीट का प्रकोप भी हो सकता है । जो कीट अभी वर्तमान में दिखाई दे रहा वह फसलों की पत्तियों को काट कर चबाकर खाता है, जिससे पौधों में पत्तियों की संख्या कम हो जाने से पत्तियों में भोजन कम बनने के कारण पौधों की बढ़वार रूक जाती है । किसान भाईयों को सुझाव दिया गया है कि वे अपने खेत में प्रकाश प्रपंच की व्यवस्था करें, जिससे क्षेत्र में लगने वाले समस्त कीटों का भी पता लग सकेगा । जिस क्षेत्र में यह कीट लगा हो वहां पर कोई भी देहिक (सिस्टमिक) जहर का उपयोग कर सकते है । फालीडाल 2 प्रतिशत चूर्ण, मैलाथियान 50 ई.सी.,इन्डोसल्फान 35 ई.सी. मोनोकोटेफास का निर्धारित मात्रा में उपयोग किया जा सकता है । पाउडर रूप में उपयोग की जाने वाली दवा का डस्टर से भुरकाव करें एवं घोल रूप में उपयोग होने वाली दवा को स्प्रेयर पंप के द्वारा फसल पर छिड़काव करें । इस कीट की रोकथाम का सबसे सस्ता उपाय यह है कि पेट्रोमैक्स या लाईट वल्ब जलाकर रखें उस पर यह कीट आकर्षित होता है । पेट्रोमैक्स के नीचे किसी लोहे के बर्तन में पानी एवं मिट्टी का तेल मिलाकर रखें । जिससे यह कीट प्रकाश पर आकर्षित होकर रखे हुए बर्तन में गिरकर नष्ट हो जावेगा । मिट्टी का तेल उपलब्ध न होने पर पानी में नूवान दवा डालकर रखा जावे । अधिक जानकारी के लिए कृषक क्षेत्रीय ग्रा.कृ.वि. अधि. विकास खण्ड स्तर पर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी तथा जिला स्तर पर उप संचालक कृषि एवं आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र मुरैना में संपर्क कर सकत हैं।

 

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