गुरुवार, 6 अगस्त 2009

राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर

राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर

·                    डॉ. डी.एस.चंदेल

·                    रजिस्ट्रार,राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय

 

 

      राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की स्थापना 19 अगस्त 2008 को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय अध्यादेश 2008 के अन्तर्गत हुई थी । इस विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु कई वर्षों से प्रयास किये जा रहे थे । इसी संदर्भ में माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान , माननीय श्री अनूप मिश्रा मंत्री म.प्र. शासन, माननीय श्री नरेन्द्र सिंह जी तोमर प्रदेश अध्यक्ष एवं अन्य स्थानीय सांसदों गणमान्य अतिथियों की उपस्थित में इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई ।

       राजा मानसिंह तोमर की साहित्य एवं संगीत के प्रति अगाध श्रध्दा थी । उनके कार्यकाल में ग्वालियर में संगीत विद्यालय की स्थापना की गई , जो शायद भारत वर्ष का पहला संगीत विद्यालय था। राजा स्वयं भी संगीतज्ञ एवं कवि थे व संगीत की ध्रुपद शैली के प्रणेता भी ।  राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 विधानसभा द्वारा 11 फरवरी 2009 को पारित हुआ । इस अधिनियम के अन्तर्गत विश्वविद्यालय के संचालन के लिये प्रथम कुलपति, आचार्य पं. चित्तरंजन ज्योतिषी को विश्वविद्यालय स्थापना के लिये शीघ्र समस्त कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिये गये हैं । इस अधिनियम के अन्तर्गत बीस सदस्यों वाली एक साधारण परिषद् होगी , जिसके अध्यक्ष माननीय मुख्यमंत्री जी होंगे ।  विश्वविद्यालय की एक कार्य परिषद और विद्या परिषद भी होगी  जो कि विश्वविद्यालय का संचालन करेगी । इस विश्वविद्यालय का क्षेत्र संपूर्ण मध्यप्रदेश होगा।

       वर्तमान में विश्वविद्यालय के अन्तर्गत 24 महाविद्यालय संबध्दता प्राप्त हैं और इसके लिये जो पाठयक्रम हैं उनको निर्धारित करने के लिये विभिन्न विद्वानों की बैठकें संपन्न हो चुकी हैं । इस अधिनियम के अन्तर्गत संगीत संकाय, नृत्य संकाय, कला संकाय और अन्य संकाय जो परिनियम के अधीन होंगे का गठन किया गया है । यह भी निर्णय लिया गया कि नाटय संकाय को भी इसमें शामिल किया गया ।

      भोपाल में संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा, श्री मनोज श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग,       श्री राम तिवारी संचालक संस्कृति विभाग, पं चित्तरंजन ज्येतिषी कुलपति जी की उपस्थिति में विश्विद्यालय के समग्र विकास पर चर्चा हुई । शैक्षणिक पदों का सृजन अन्य सुविधाओं पर विशेष रूप से चर्चा हुई और एक संबध्द कार्यकम के अन्तर्गत इसको पूर्ण करने का निर्णय लिया गया । इस विश्वविद्यालय में सभी संकायों में शोधकार्य, स्नातकोत्तर पाठयक्रम, स्नातक स्तर के पाठयक्रम , पोस्ट ग्रेज्युएट डिप्लोमा एवं शार्ट कोर्स भी होंगे।

विश्वविद्यालय का उद्देश्य -

1-     संगीत एवं कला संबंधी विद्या तथा ज्ञान का अभिवर्धन तथा उसका प्रसार और भारतीय समाज के विकास में रचनात्मक भूमिका सुनिश्चित करना ।

2-     छात्रों तथा अनुसंधनकर्ता विद्वानों में संगीत एवं कला के क्षेत्र में सुधारों के संबंध में बुध्दि-कौशल का विकास करके संगीत एवं कला तथा संबंधित क्षेत्र में समाज की सेवा करने के उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना ।

3-     संगीत से संबंधित ज्ञान की अभिवृध्दि के लिये अभिभाषणों, सेमीनारों, परिसंवादों और अधिवेशनों को आयोजित करन  और संगीत एवं कला संबंधी प्रक्रिया को सामाजिक विकास का प्रभावशाली उपकरण बनाना ।

4-     परीक्षायें आयोजित करना और उपाधियां तथा अन्य विद्या संबंधी विशिष्टताएं प्रदान करना ।

5-     ऐसे समस्त कार्य करना जो विश्वविद्यालय के समस्त उद्देश्यों या उनके से किसी भी उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिये आनुषंगिक, आवश्यक या सहायक हैं ।

6-     विश्वविद्यालय का और गवेषणा, शिक्षा और शिक्षण के ऐसे केन्द्रों क, जो विश्वविद्यालय के उद्देश्यों को अग्रसर करने हेतु आवश्यक है, प्रशासन तथा प्रबंधन करना ।

7-     संगीत एवं कला संबंधी ज्ञान या विद्या की ऐसी शाखाओं में, जैसा कि विश्वविद्यालय उचित समझे, शिक्षण हेतु उपबंध करना और गणवेषण के लिये संगीत एवं कला के ज्ञान की अभिवृध्दि तथा प्रसार के लिये उपबंध करना ।

8-                              अध्येतावृत्तियां, छात्रवृत्तियां, पुरस्कार तथा पदक संस्थित करना तथा प्रदान करना ।

 

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