रविवार, 11 मई 2008

•पारदर्शिता और भ्रष्‍टाचार निवारण के नाम पर अंचल में ठगी का कारोबार

भ्रष्‍टाचार मिटाने की योजना में भ्रष्‍टाचार, ई शासन प्रणाली पहले चरण में ही अवसान पर

नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द''

·        पारदर्शिता और भ्रष्‍टाचार निवारण के नाम पर अंचल में ठगी का कारोबार

  • क्‍या हवा में चलेंगे ई ज्ञान सूचना केन्‍द्र, करोड़ों लुटाने के बाद भी अंचल में सेवायें उपलब्‍ध नहीं

भाग -1

आपने ई शासन प्रणाली या ई गवर्नेन्‍स या ई ज्ञान सूचना सेवा केन्‍द्र, कॉमन सर्विस सेण्‍टर जैसे नाम अवश्‍य ही सुन रखे होंगे । इन दिनों चम्‍बलांचल में तथाकथि‍त सेवा केन्‍द्रों की स्‍थापना के नाम पर बाहर की संस्‍थाओं ने गरीब बेरोजगारों को सुनहरे सब्‍ज बाग दिखा कर करोड़ों रूपये बटोर लिये हैं और रकम जमा करने के पॉंच महीने बाद भी इन केन्‍द्रों और इनकी सेवाओं का कोई अता पता नहीं हैं । पैसा जमा करने वाले बेरोजगार इन दिनों न केवल दर बदर की ठोकरें खा रहे हैं बल्कि उनकी शिकायत सुनने वाला भी कोई नहीं है ।

एक संस्‍था ने जनवरी माह से लगातार अखबारी विज्ञापन देकर बेरोजगारों को सुनहरे सब्‍जबाग दिखाना शुरू किये और चन्‍द माह के भीतर करोड़ो रूपये वसूल डाले । उनकी योजना के मुताबिक चम्‍बलअंचल में ई ज्ञान केन्‍द्र खोले जाने के लिये उन्‍हें म.प्र.शासन द्वारा अधिकृत किया गया है और एवज में वे बाकायदा म.प्र. के इलेक्‍ट्रॉनिकी विभाग के एक पत्र और जिला पंचायत मुरैना के एक पत्र की छायाप्रतियां जनता में बांटते फिर रहे हैं । लोग इन पत्रों को देख कर भ्रम में फंस कर उनकी लुभावनी बातों में फंस कर उन्‍हें रकम दे बैठते हैं और बड़ी खूबसूरती से ठग लिये जाते हैं ।

हमने सारे मामले की पड़ताल की तो कई रहस्‍य प्‍याज के छिलकों के मानिन्‍द खुलते चले गये और बेरोजगारों को ठगे जाने तथा तथाकथित यूचना केन्‍द्रों की सच्‍चाई खुद ब खुद सामने आ गयीं । हमारी तहकीकात के मुताबिक रोचक तथ्‍य यह है कि तथाकथित संस्‍था जो कि चम्‍बल अंचल में ई ज्ञान केन्‍द्र खेले जाने का दावा कर के बेरोजगारों से अनाप शनाप धन हड़पने में लगी है और म.प्र. शासन द्वारा स्‍वयं को अधिकृत बता रही है उसकी असलियत यह है कि अव्‍वल तों सूचना सेवा केन्‍द्र स्‍थापना हेतु ई ज्ञान केन्‍द्र नामक कोई परियोजना न तो म.प्र. शासन की ही है और न भारत सरकार की । और न ही ई ज्ञान केन्‍द्र नामक कोई योजना ही भारत शासन की ई गवर्नेन्‍स प्रणाली का हिस्‍सा है ।

इसी प्रकार ई गुमटी के नाम पर बरगलाये जा रहे लोगों को यह जानकर हैरत होगी कि ई गवर्नेन्‍स प्रणाली में ई गुमटी नामक कोई योजना वर्तमान में अस्तित्‍व में ही नहीं है ।

ई गुमटी व ई ज्ञान नामक परियोजनायें म.प्र. की पिछली दिग्विजय सिंह सरकार द्वारा किसी जमाने में चलाईं गयीं थीं जो कि बुरी तरह फ्लाप होकर वर्षो पहले ठप्‍प होकर बन्‍द हो गयीं थीं । आज वर्षो बाद इन योजनाओं को ई गवर्नेन्‍स की आड़ में चालू करने की कोशिश न केवल उपहास की स्थिति निर्मित कर रही है बल्कि म.प्र. के भ्रष्‍टाचार के महामहिमों की उखड़ती सत्‍ता पर उनके पुन: काबिजी और नियंत्रण की कोशिशों की भी रोचक दास्‍तां बयां करती है ।

 

क्रमश: जारी अगले अंक में ...........

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