मंगलवार, 20 नवंबर 2007

शुक्रवार को ठप्‍प हुआ बी.एस.एन.एल. नहीं हुआ आज मंगलवार तक चालू

शुक्रवार को ठप्‍प हुआ बी.एस.एन.एल. नहीं हुआ आज मंगलवार तक चालू

अंचल की ब्राडबैण्‍ड इण्‍टरनेट सेवायें ध्‍वस्‍त, रूक गये सरकार के समाचार

म.प्र. शासन का सूचना प्रसारण तंत्र ठप्‍प किया बी.एस.एन.एल. ने

शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं 

किस्‍सा ए बी.एस.एन.एल.भ्रष्‍टाचार बनाम अंधेरगर्दी विद गुण्‍डागर्दी

किश्‍तबद्ध रिपोर्ताज भाग- 3

 

मुरैना 20 नवम्‍बर 2007 । बौखलाये भ्रष्‍टाचार संचार निगम लिमिटेड उर्फ बी.एस.एन.एल. ने अंतत: मुरैना की ब्राडबैण्‍ड सेवाये तथा टेलीफोनिक व मोबाइल सेवायें शुक्रवार को यानि 16 नवम्‍बर को पूर्णत: ठप्‍प कर दीं । हालांकि समूचे मध्‍यप्रदेश में बी.एस.एन.एल. की यह नेटवर्क जानबूझ कर ध्‍वस्‍त की गयी, आपने हमारे इस रिपोर्ताज की पहली और दूसरी किश्‍तें अगर पढ़ीं होंगी तो आप जान व समझ सकते हैं कि ऐसा क्‍यों हुआ । वैसे हर महीने मध्‍यप्रदेश में यह आमतौर पर होता है (सबूत हमारे पास हैं) चम्‍बल यानि मुरैना में तो होता ही है ।

 

बी.एस.एन.एल. के खिलाफ पहली और दूसरी रिपोर्ताज किश्‍तों मात्र से बिलबिलाये बौखलाये भ्रष्‍टाचार संचार निगम अनलिमिटेड के कारिन्‍दे यह सब करेंगें यह हम जानते थे और इसकी तैयारी हमारे पास पहले से ही थी । सो अभी मजा और लेंगें ।

 

मजे की बात यह है कि बी.एस.एन.एल. का कहर मुरैना वालों पर जम कर टूटा है, पिछले शुक्रवार यानि 16 नवम्‍बर से मुरैना में इण्‍टरनेट और ब्राडबैण्‍ड सेवायें पूरी तरह से ध्‍वस्‍त और ठप्‍प हैं । लोग शिकायतें कर रहे हैं, पर कोई सुन नहीं रिया है । साला कान में तेल नहीं पूरा कोल्‍हू डाल कर बैठे हैं । मजा आ रिया है, देश में लोकतंत्र है, भ्रष्‍टाचारीयों के बाप का राज है ।

 

हालांकि हमारे इस रिपोर्ताज की पहली और दूसरी किश्‍तों में मात्र आने वाले तूफानिया रिपोर्ताज की महज भूमिका मात्र थी और ऐसा खासा कुछ नहीं था पर फिर भी हिल गये, हिल क्‍या कँप गये । अरे अभी तो आगाज है, बहुत कुछ है आगे अभी से हिलोगे तो कैसे बात बनेगी जानी । इब्‍तदाये इश्‍क है रोता है क्‍या आगे आगे देखिये होता है क्‍या । गब्‍बर की भाषा में कहें तो कालिया तेरा जो होगा सबको पता है, मगर धीरे धीरे घिस घिस कर होगा । मजे ले लेकर होगा । पाप का घड़ा धीरे धीरे फूटे, यह एक नया स्‍टायल है ।

 

वे समझे कि म.प्र. शासन का सूचना प्रसारण विभाग हमें मदद कर रिया है और इण्‍टरनेट सुविधा दे रिया है, सो भईया उड़ा दिया सरकार का इण्‍टरनेट, गोया चार दिन हो गये म.प्र. सरकार शिकायत पे शिकायत ठोके जा रही है कोई सुनवायी नहीं हो रही (सबूत हमारे पास हैं), ब्राडबैण्‍ड इण्‍टरनेट के वे कामर्शियल उपभोक्‍ता हैं, बिल भुगतान भी अप टू डेट है, फिर भी जूझ रहे हैं, जूझ क्‍या रहे हैं संघर्ष कर रहे हैं । जो संघर्ष हमने किया और जो कहानी हमारे साथ चली अब उनके साथ चल रही है, अरे वे तो सरकार हैं उनका ये हाल है तो सोचो हमारा क्‍या होता होगा, हम तो महज आम आदमी थे एक साधारण पब्लिक के आदमी - पूरी तरह । साल भर का उडवान्‍स दे बैठे थे, सो साल भर रोये और तीन महीने पहले ही डिसकनेक्‍ट होकर शिकायत शिकवा कर रो गा कर बैठ गये । अब तो सरकार से पंगा है । खैर अपने विनोद त्रिपाठी दैनिक भास्‍कर वाले की लैंग्‍वेज में कहें तो जय हो आपकी ।

 

अखबार वाले परेशान हैं, सरकार के यानि जिला प्रशासन और कमिश्‍नर चम्‍बल तक के समाचार मिलना बन्‍द हो गये, राज्‍य सरकार के एरिया रिलेटेड खबरें मिलना बन्‍द हो गयीं, सरकारी खबरें अखबारों में छप नहीं पा रहीं, ससुरा सरकार का ई मेल और इण्‍टरनेट ठपप पड़ा है ।

 

वैसे लगे हाथ उनके इस मुगालते को दूर कर दें, फिर भी हम रोज अपडेट कर रहे हैं, और किसी सरकारी सेवा या कनेक्‍शन या सुविधा का कभी भी हम उपयोग नहीं करते, भ्रष्‍टाचार निवारण के लिये हम कभी भ्रष्‍टाचार नहीं करते । हम सरकार की मदद करते हैं वह भी अपने खर्च पर अपने पैसे से, हम सरकारी यानि जनता के धन को छूना या इस्‍तेमाल हराम मानते हैं, सो भईया हमने तो उनका एक पल भी इस्‍तेमाल नहीं किया, फालतू उन्‍हें तंग कर रहे हो फालतू पंगा ले रहे हो, और बकौल शिव पुराण किसी निर्दोष पर दोषारोपण ब्रहमहत्‍या के समान है, सो काहे को ब्रहमहत्‍यारे बन रहे हो, अब ये पहेली है तुम्‍हारे लिये कि फिर कहॉं से हमें इण्‍टरनेट मिल रिया है । वैसे किश्‍तें पढ़ते जाओ खुद ही जान जाओगे कि 'हरि रक्‍खे तो मारे कौन, और हरि मारे तो रक्‍खे कौन'

आततायी तो हर युग में हर काल में पैदा होते है, सत्‍ता, धन, पद, सम्‍पत्ति, प्रभाव और बल के अभिमान से चूर हो उनके कृत्‍य अनवरत रहते हैं सतयुग से त्रेता, द्वापर और कलयुग तक सभी आतताईयों ने अपने अपने प्रदर्शन किये और अपने अस्तित्‍व व रूतबा बोध का अहसास आम जनमानस को हमेशा कराया, आप भी कर रहे हैं तो आप अपनी जगह सही हैं, अपने लिहाज से आप ठीक कर रहे हैं, हम अपने लिहाज से ठीक कर रहे हैं, आतताईयों का अंत अपने लिहाज से ठीक होता है । अपना सूत्र वाक्‍य है 'यदा यदा हि धर्मस्‍य ग्‍लानिर्भवति भारत.......''

 

                        

 

क्रमश: जारी अगले अंक में .........

 

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