मंगलवार, 18 सितंबर 2007

महिलायें शिक्षित होकर अपने अधिकारों को जाने – न्यायाधीश श्री गोयल

महिलायें शिक्षित होकर अपने अधिकारों को जाने न्यायाधीश श्री गोयल

मुरैना 17 सितम्बर2007 // शासन द्वारा संविधान के अन्तर्गत महिला और पुरूष को समान अधिकार प्रदान किए गए हैं । माता पिता की सम्पत्ति में पुत्र के साथ-साथ पुत्री को भी समान अधिकार प्रदान किया गया है । अत: महिलाओं को शिक्षित होकर अपने अधिकारों को पहचान ने की आवश्यकता है ।

       उक्त उद्गार ग्राम करारी में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में न्यायाधीश श्री अरबिन्द कुमार गोयल द्वारा व्यक्त किये गए। उन्होंने महिलाओं और ग्रामीणजनों को अपनी समस्या बिना संकोच के कहने तथा शासन द्वारा प्राप्त सुविधाओं का लाभ लेने के लिए स्वयं आगे आने को कहा । उन्होंने लोक अदालत के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रिलिटिगेशन के अन्तर्गत सर्व प्रथम मामला आपसी सुलह हेतु लोक अदालत खण्ड पीठ की ओर से प्रस्तुत करने को कहा तथा बताया कि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का न्याय शुल्क या कोर्ट फीस पक्षकारों को लगाने की आवश्यकता नहीं है । निराकरण न होने की स्थिति में प्रकरण सीधे न्यायालय की ओर अग्रिम कार्यवाही के लिए भेज दिया जाता है । उन्होंने विधिक प्रक्रियाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए आपसी सुलह के आधार पर प्रकरणों के निराकरण कराने की बात कही ।

       शिविर में प्रारंभ में जागो सखी संगठन की सदस्य श्रीमती आशा सिंह सिकरवार एडवोकेट व राजवाला द्वारा प्रेरक गीतों के माध्यम से संगठन की कार्य शैली से लोगों का परिचय कराया गया तथा महिलाओं के हित में ग्रामीण स्थलों पर किए जा रहे कार्यों के विषय में जानकारी दी गई ।

       जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री एस.के. शुक्ला द्वारा महिलाओं के कानूनी अधिकार तथा घरेलू हिंसा अधिनियम में दिए प्रावधानों से जन साधारण को परिचिज कराया गया तथा नि: शुल्क विधिक सहायता के पात्र हितग्राहियों को न्यायालयीन प्रक्रिया के माध्यम से सहायता प्राप्त करने की जानकारी प्रदान की गई। वरिष्ठ अभिभाषक श्री रामहेत पिप्पल द्वारा भरण-पोषण, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत शासन द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता का उल्लेख करते हुए महिलाओं के आरक्षण संबंधी जानकारी विस्तार से बताई गई ।

 

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