सोमवार, 9 नवंबर 2009

बिचौला कन्या आश्रम में सुविधाओं का अभाव, अधीक्षक द्वारा की जाती है मनमानी (दैनिक मध्‍यराज्‍य)

बिचौला कन्या आश्रम में सुविधाओं का अभाव, अधीक्षक द्वारा की जाती है मनमानी

श्रीकृष्ण शिवहरे

हमें खेद है मुरैना मध्‍यप्रदेश में चल रही भारी बिजली कटौती के कारण इस समाचार के प्रकाशन में विलम्‍ब हुआ है, फेलुअर विद्युत सप्‍लाई सही होने तक फोटो व समाचार समय पर हम अपडेट नहीं कर सकेंगे, इसके लिये हम क्षमाप्रार्थी हैं, कृपया अपडेट के लिये हमें ई मेल, जवाबी मेल या टिप्‍पणीयां न भेजें बिजली कटौती और कई अन्‍य कारणों से हम समय पर अपडेट नहीं दे पा रहे हैं इस सम्‍बन्‍ध में हम अलग से स्‍पष्‍टीकरण व अपनी मजबूरीयों का अलग से शीघ्र ही समाचार दे रहे हैं नरेन्‍द्र सिंह तोमर ''आनन्‍द'' प्रधान संपादक ग्‍वालियर टाइम्‍स समूह  

मुरैना..आदिमजाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित कन्या आश्रम विचौला में पदस्थ अधीक्षक की मन मानी एवं लापरवाही व भृष्टाचारी के चलते आश्रम में अध्यनरत छात्रायें परेशान है,उन्होने प्रशासन से अधीक्षक के बिरूद्ध कार्यवाही की मांग की है।

जिला मुख्यालय से बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थिति ग्राम बिचौला में संचालित शासकीय पचास सीटर कन्या आश्रम में  करीव दो बर्ष पदस्थ अधीक्षक की कारगुजरियों के चलते शासन के नियम कायदों को ताक पर रख कर अधीक्षक द्वारा खुलेआम धािया उढाई जा रही है। जिस के चलते आश्रम अध्यनरत छात्रायें बेहद परेशासन है। बताया जाता है कि छात्राओं को अधीक्षक द्वारा बाजार से घटिया स्तर की खाद्य सामग्री खरीद कर अच्छी सामग्री का बिल दुकानदार से तैयार करवा कर खाना एवं नास्ता मुहैया कराया जा रहा है जबकि शासन के नियम के मुताबिक प्रात: छात्राओं को नास्ता दोपहर में दाल चावल रोटी मिलना चाहिये साफ सफाई के लिये प्रत्येक छात्रा को सावुन व तेल ,पेस्ट ,सर्फ आदि के लिये प्रति माह प्रत्येक छात्रा के लिये शासन से आदिमजाति कल्याण विभाग मुरैना के माध्यम ये पांचसौ रूपये खर्च हेतु आवंटित होते है इतना ही नही छात्राओं के बिस्तरों की साफ सफाई हेतु अलग से राशि मुहैया कराई जाति है मगर अधीक्षक द्वारा उक्त राशि का ब्यय मात्र कागजों तक किया जाता है जबकि छात्राओं को शासन द्वारा देय सुविधाओं से महरूम रखा जाता है। एक छात्रा ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि अधीक्षक द्वारा माह में दो चार दिन ही खाना बनवाया जाता है और छात्राओं का नास्ते से ही काम चलाना पडता है। जिसकी बजह से मजबूर छात्राओं को घर से ही खाना मंगाना पडता है। बताया जाता है कि उक्त अधीक्षक आश्रम पर न रहते हुए मुरैना में निवास करते है जिससे आश्रम पर  बिलंव से पहुंचते है बस टाईम टेविल से चलते वाले अधीक्षक की कारगुजरियों की जांच कर प्रशासन से उसके बिरूद्ध छात्राओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही की अपेक्षा है।

 

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