''मीडिया पूरी संजीदगी के साथ ग्रामीण पत्रकारिता को प्रोत्साहित  करे''
ग्रामीण पत्रकारिता विषय पर जनसंपर्क विभाग की कार्यशाला सम्पन्न
ग्वालियर 16 मार्च 08 । भारत की आत्म गांवों में बसती  है । गांव में ऐसे विविध आयाम हैं जो संचार माध्यमों में जगह पाकर समाज को नई दिशा  दे सकते हैं । गांवों की उपेक्षा, मीडिया के अधूरेपन का परिचायक  है । गांव न केवल अखबारों के पन्नों पर प्रमुखता से काबिज हो बल्कि दूरस्थ अंचल में  काम करने वाले ग्रामीण पत्रकारों को भी साधन, सुविधा,  स्वाभिमान व पूरी सुरक्षा मिले । यह  अखबार, सरकार व समाज की साझी  जिम्मेदारी है । 
       यह निष्कर्ष जनसंपर्क विभाग द्वारा ग्रामीण पत्रकारिता पर आयोजित कार्यशाला  में दिन भर चले चिंतन मंथन से निकल कर सामने आया । आज राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं  संचार संस्थान में सम्पन्न हुई इस कार्यशाला में अखबारों के संपादकगण व वरिष्ठ संवाददाता,  इलैक्ट्रोनिक मीडिया के प्रतिनिधि, ग्रामीण पत्रकारिता  के विशेषज्ञ व शोधार्थी, जनसंपर्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण,  संवादमित्र तथा ग्वालियर एवं चंबल सभाग के दूर दराज से आये ग्रामीण पत्रकारों  ने हिस्सा लिया ।
       भोपाल से आये अपर संचालक जनसंपर्क श्री आर.एम.पी. सिंह ने गांवों से सतत संपर्क  का महत्व प्रतिपादित करते हुये कहा कि राम ने जब दूरस्थ गांवों की ओर रूख किया था तब  वे व्यक्ति मात्र थे । उन्होंने ग्रामीणों व वनवासियों से घुलमिलकर तत्कालीन समाज की  कठिनाईयों को समझा और तब की संचार प्रणाली का उपयोग कर वे अपनी बात को जन-जन तक पहुंचाने  में सफल रहे । राम जब आताताइयों का खात्मा करके अयोध्या लौटे तब वे व्यक्ति से भगवान  बन गये । उन्होंने कहा गांवों में जंगल, वन्य प्राणी पुरा संपदा  आदि का जो विनाश हमें दिखाई दे रहा है उसके लिये कहीं न कहीं हम भी दोषी हैं,  क्योंकि इन सबके महत्व को समझाने में हमने ठीक ढंग से कोशिश नहीं की  है । श्री सिंह ने कहा कि हम सभी को ग्रामीण पत्रकारों को प्रशिक्षित कर उन्हें सशक्त  बनाना है । ग्रामीण पत्रकारिता को प्रोत्साहित करने के लिये विभाग ने संवाद मित्र योजना  शुरू की है । उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा कि इस कार्यशाला से ग्रामीण पत्रकारिता  के संबंध में प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर वर्क प्लान तैयार करें, ताकि उसे शासन को भेजा जा सके ।
       वयोवृध्द पत्रकार श्री कीर्तिदेव शुक्ल ने सुझाव दिया कि संपादकगण इस बात पर  ध्यान दें कि दूरस्थ अंचल से आने वाली ग्रामीण परिवेश की खबरें भले ही विलंब से छपें  परंतु रूकें नहीं । उन्होंने आज की कार्यशाला को ग्रामीण पत्रकारिता के प्रोत्साहन  के लिये नीव की संज्ञा दी । 
       आचारण के संपादक डॉ. रामविद्रोही ने कहा कि ग्रामीण पत्रकारिता को अखबारों  में प्रमुखता से जगह देने में कोई समस्या नहीं है । इसके लिये प्रतिबध्दता की आवश्यकता  है । ग्रामीण पत्रकारों को समकालीन वातावरण से भाषा, भाव,  लाघव और हुनर से सुस्सजित करने की जरूरत है । उन्होंने गांवों को समझने  के लिये लोकयात्रा पर जोर दिया ।
       नई दुनिया के संपादक श्री राकेश पाठक ने कहा हालांकि अखबारों के विविध संस्करण  होने से आंचलिक पत्रकारों की खबरों को जगह तो मिलने लगी है, फिर  भी शहरी पत्रकारिता की अपेक्षा ग्रामीण पत्रकारिता एक चुनौती और जोखिम भरा काम है ।  इसलिये ग्रामीण पत्रकारों को सुरक्षा के साथ विशेष प्रोत्साहन देने की जरूरत है । उन्होंने  कहा कि खबर अपना स्थान खुद नियत करती है, इसलिये ग्रामीण पत्रकार  अच्छी खबर लिखने के लिये अपने आपको पारंगत करें ।
       नवभारत के संपादक डॉ. सुरेश सम्राट ने कहा कि इसे हम खुले मन से स्वीकार करते  हैं कि अखबार, रेडियो, दूरदर्शन,  स्वयंसेवी आदि संस्थायें, इलेक्ट्रानिक मीडिया  जितनी संजीदगी गांव की रोमांचकारी खबरों में दिखाते हैं उतनी संजीदगी ग्रामीणों के  दुख-दर्द वाली खबरों के लिये दिखाई नहीं देती । उन्होंने ग्रामीण पत्रकारों का आह्वान  किया कि वे आंचलिक पन्ने का भरपूर उपयोग कर गांवों की कठिनाईयों व समस्याओं को उजागर  करें । साथ ही प्रेरणादायी आयामों को भी सामने लायें ।
       वरिष्ठ पत्रकार श्री देवश्री माली ने कार्यशाला के विषय का प्रवर्तन करते हुये  इसे छटपटाते हुये विषय की संज्ञा दी । उन्होंने कहा कि यह तथ्य और पीड़ा हम सब आपस में  शेयर तो करते हैं कि मीडिया से गांव दूर होता जा रहा है लेकिन गांव, गरीब और उनकी समस्याओं को उजागर करने में उतनी रूचि मीडिया नही लेता है ।
सांध्य समाचार के प्रधान संपादक डॉ. केशव पाण्डेय ने  ग्रामीण पत्रकारों के लिये पुरस्कार, पाठयक्रम व प्रोत्साहन नीति तय करने  पर जोर दिया । जागरण के संपादक श्री संजय बेचेन ने दूरस्थ ग्रामों को मीडिया संस्थान  द्वारा गोद लेने और उसके लिये प्रतिबध्दता के साथ काम करने का सुझाव दिया । वरिष्ठ  पत्रकार श्री अवध आनंद ने ग्रामीण अंचल से आने वाली चिट्ठी पत्रियों के जरिये उभरती  ग्रामीण पत्रकारिता को सम्मानित बनाने, श्री महेश झा ने ग्रामीण  पत्रकारिता में केमरे की भूमिका, सांध्यवार्ता के वरिष्ठ पत्रकार  श्री धर्मेन्द्र भदौरिया ने ग्रामीण खबरों को ऊपर लाने व ग्रामीण सूचना तंत्र को मजबूत  करने की बात कही । ग्वालियर हलचल के संपादक श्री प्रदीप माण्डरे ने ग्रामीण स्तर पर  भी कार्यशाला आयोजित करने तथा श्री आलोक पंडया ने स्थानीय व आंचलिक चैनलों पर ग्रामीण  क्षेत्र को उभारने का सुझाव दिया । श्री अपूर्व शिन्दे ने आंचलिक पृष्ठ की व्यवस्था  ''गांव के पन्नो'' तक बढ़ाये जाने की बात  कही । विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के श्री जयंत तोमर ने ग्रामीण पत्रकारों को  रमन मेगसेसे पुरस्कार से सम्मानित पी सांई नाथ जैसी लगन अपनाने को कहा । वरिष्ठ पत्रकार  श्री राकेश अचल ने कार्यशाला का संचालन किया और बीच-बीच में ग्रामीण पत्रकारिता से  संबंधित आधारभूत जानकारी प्रदान की ।  चस्का  एफ.एम. चेनल के स्टेशन हैड श्री सुरेन्द्र माथुर ने कहा कि ग्रामीण पत्रकारिता के लिये  सुशिक्षित संवाददाताओं की जरूरत है । ग्वालियर टाइम्स डॉट कॉम वेबसाइट के प्रधान संपादक  श्री नरेन्द्र सिंह तोमर आनन्द ने कहा कि ग्रामीण अंचल की समस्याओं व मानव अधिकार  के मामलों पर फोकस करने की जरूरत है । शोधार्थी श्री राहुल त्रिपाठी ने पत्रकारिता  में स्थानीयता बोध को बढ़ावा देने की बात कही । संवादमित्र श्री राम कुमार सिकरवार ने  संवाद मित्र के कार्यों पर प्रकाश डाला ।    
कार्यशाला के द्वितीय सत्र में प्रश्न मंच कार्यक्रम  हुआ इसकी अध्यक्षता सांध्यवार्ता के संपादक श्री धर्मेन्द्र भदौरिया ने की । इस सत्र  में श्री अवध आनंद, श्री देवश्री माली, श्री अरूण तोमर,  श्री जयंत तोमर आदि ने ग्रामीण पत्रकारिता से संबंधित प्रश्नों का उत्तर  दिया । प्रश्न मंच में मुरैना से आये श्री यदुनाथ तोमर, चंबलवाणी  के श्री सुमन सिकरवार, राष्ट्रीय सहारा के श्री अरविन्द चौहान  ने अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया । 
कार्यशाला के प्रारंभ में संयुक्त संचालक जनसंपर्क श्री  सुभाष चंद्र अरोड़ा ने कार्यशाला की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि गांव का अर्थ  केवल किसान से नहीं समग्रता से लिया जाना चाहिये । ग्रामीण पत्रकारिता पर यह जो सिलसिला  शुरू हुआ है । उसमें स्थानीय संपादकगण व एन.जी.ओ. सहित सभी के सहयोग से अच्छे परिणाम  सामने आयेंगे । कार्यशाला के द्वितीय सत्र का संचालन श्री जावेद खान ने किया । कार्यशाला  के अंत में आभार प्रदर्शन सहायक संचालक जनसंपर्क श्री डी.डी. शाक्यवार ने किया ।
फोटो प्रदर्शनी भी लगी 
ग्रामीण जीवन को गहराई व संदेवना के साथ अंकित करने  वाले छायाचित्रों की आकर्षक प्रदर्शनी भी कार्यशाला स्थल पर लगाई गई । प्रदर्शनी में  यदुनाथ तोमर,  संजय माडिल, अतर सिंह डण्डोतिया, रूपेश श्रीवास्तव  सहित शासकीय एजेन्सी के छायाचित्रों का प्रदर्शन किया गया ।
आनन्द से अनंग भये ठाकुर साहब 
ग्वालियर टरइम्स डॉट कॉम के प्रधान सम्पादक नरेन्द्र  सिंह तोमर आनन्द को समाचारपत्रों में नरेन्द्र सिंह तोमर अनंग छापा गया है, मुरैना  में लोग अब ठाकुर साहब को आनन्द जी के साथ अनंग जी भी कहना शुरू कर दिये हैं । दरअसल  जनसम्पर्क कार्यालय के कम्प्यूटर में हुयी जरा सी गड़बड़ ने आनन्द को अनंग कर दिया  । 
मुरैना में बार एसोसियेशन के कुछ वकीलों ने खबर का मजा  लेते हुये नरेन्द्र सिंह तोमर आनन्द के दोबारा जवान होने पर बधाईयां देते हुये देर  रात तक तोमर को जवान हो जाने का अहसास कराया । 
उल्लेखनीय हे कि अनंग कामदेव का दूसरा नाम है ।   

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