सोमवार, 28 जनवरी 2008

जैण्डर बजटिंग से महिला सशक्तीकरण को नई दिशा मिलेगी

जैण्डर बजटिंग से महिला सशक्तीकरण को नई दिशा मिलेगी

जैण्डर बजट पर प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न

मुरैना 28 जनवरी 2008 // भारतीय संविधान में लिंग पर आधारित समानता के प्रति प्रतिवध्दता व्यक्त की गई है राज्य शासन ने वित्तीय वर्ष 2007-08 से जैण्डर बजटिंग की व्यवस्था लागू कर लिंग पर आधारित असमानता को दूर करने और महिलाओं को विकास की मुख्य धारा से जोडने की पहल की है जैण्डर वजिटिंग से महिलाओं के सशक्तीकरण को नई दिशा मिलेगी

       यह जानकारी आज जिला पंचायत के सभागार में सम्पन्न जैण्डर बजट की प्रशिक्षण कार्यशाला में दी गई । कार्यशाला का आयोजन मध्य प्रदेश महिला संसाधन केन्द्र आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी द्वारा किया गया । इस कार्यशाला में खेल एवं युवक कल्याण, वाणिज्य उद्योग एवं रोजगार , लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, नगरीय प्रशासन एवं विकास, स्कूल शिक्षा, पंचायत, आदिम जाति कल्याण, सामाजिक न्याय , उच्च शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, अनुसूचित जाति कल्याण तथा ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों को जैण्डर आधारित बजट व्यवस्था के संबंध में जानकारी दी गई। वित्त विभाग म.प्र. शासन की सलाहकार एवं बुमेन पावर कनेक्ट दिल्ली की सुश्री कांता सिंह तथा म.प्र. प्रशासन अकादमी के महिला संसाधन केन्द्र की संचालक डा. प्रतिभा राजगोपाल ने जैण्डर बजटिंग की अवधारणा, लक्ष्यों , प्रक्रियाओं और तौर तरीकों पर विस्तार से प्रकाश डाला ।

       कार्यशाला में बतायागया कि विश्व में आस्ट्रेलिया प्रथम देश है जहां जैण्डर के प्रति उत्तरदायित्व को ध्यान में रखते हुए जैण्डर बजट व्यवस्था का विकास किया गया । भारत में मध्य प्रदेश ने इस दिशा में पहल की है और देश में सबसे पहले 13 विभागों में जैण्डर बजट व्यवस्था को लागू किया है । इस व्यवस्था के अन्तर्गत महिला और पुरूष को समान रूप से बजट का लाभ मिल सकेगा और योजनाओं एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन  में महिलाओं की बराबर भागीदारी और लाभ सुनिश्चित हो सकेगा ।

       कार्यशाला में प्रशिक्षण के अलावा समूह चर्चा का आयोजन भी किया गया, जिसमें जैण्डर बजट पर जिज्ञासाओं का समाधान तथा सुझावों का आमंत्रण किया गया । कार्यशाला में स्पष्ट किया गया कि लोक व्यय की आयोजना एवं क्रियान्वयन में महिला पुरूष जैण्डर आधारित प्रतिबध्दताओं को ध्यान में रखते हुए बजट व विकास गतिविधियों का संचालन किया जाना है । महिला को महत्वपूर्ण इकाई मानते हुए बजट का प्रावधान व क्रियान्वयन किया जाना है । साथ ही सभी प्रकार के आंकड़ों में महिलाओं की स्थिति को पृथक से सूचीबध्द किया जाये । इसके लिए माइक्रो (जमीनी)  तथा मेक्रों (नीतिगत) दोनों स्तरों पर आपसी प्रवाह की धारा बहना बहुत जरूरी है । महिलाओं की गरिमा, अधिकार, समानता व सशक्तिकरण की अवधारणा पर ही जैण्डर बजटिंग का क्रियाकलाप आधारित है । प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर्स ने बताया कि अब तक जैण्डर-निरपेक्ष बजट सामान्य रूप से संचालित होता है जिसकी प्रक्रिया में परिवर्तन किया है । योजनाओं के निर्धारण के साथ ही बजट प्रावधान भी जैण्डर आधारित दृष्टिकोण से किया जायेगा ।

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