शुक्रवार, 11 मई 2007

वैश्यावृत्ति उन्मूलन में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्यक पालन हों-रामसनेही

वैश्यावृत्ति उन्मूलन में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्यक पालन हों-रामसनेही

संजय गुप्‍ता (मांडिल)

भाग-1

  • उच्च न्यायालय के आदेश पर आधारित जाबालि योजना के सभी घटक लागू हों
  • अब तो हर शहर और हर चौराहे पर होने लगी है वैश्यावृत्ति
  • राई पर प्रतिबन्ध लगे साथ ही राई जैसे फिल्मी प्रदर्शन पर भी
  • अन्य समाज के सैक्स वर्कर को भी मिले जाबालि का लाभ,उन्हें भी बेड़िया बांछड़ा घोषित किया जावे

  मुरैना 10 मई 07 ।  म.प्र में जाबालि योजना के जनक व कर्णधार माने जाने वाले कई उच्च स्तरीय सरकारी और गैर सरकारी पुरूस्कारों से विभूषित राज्य स्तरीय बेड़िया बांछड़ा सलाहकार, विकास मण्डल एवं वैश्यावृत्ति उन्मूलन राज्य स्तरीय समन्वय समिति म.प्र.के सदस्य श्री रामसनेही ने आज यहाँ स्थानीय संस्था आश्रम अभ्युदय आश्रम पर आयोजित पत्रकार वार्ता में पत्रकारों से चर्चा करते हुये बताया कि वैश्यावृत्ति एक गंभीर सामाजिक बुराई है, जो कि हेय मान्य घृणित व त्याज्य है, इससे न केवल लोगों का सामाजिक व नैतिक पतन होता है बल्कि आर्थिक व शारीरिक हानियां भी होतीं हैं ! वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एडस जैसी गंभीर बीमारीयां भारतीय समुदाय के समक्ष यौनजन्य रोग के रूप में सामने आकर चेतावनी दे रहीं हैं !

रामसनेही का कहना है कि वैश्यावृत्ति उन्मूलन और वैश्यावृत्ति समुदाय से जुड़े परिवारों के कल्याण,पुनर्वास व उत्थान हेतु माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने और म.प्र. उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर द्वारा व्यापक निर्देश जारी किये गये हैं ! रामसनेही द्वारा वर्षों से इस सन्दर्भ में छेड़े गये व लड़े जा रहे सामाजिक संघर्ष को न्यायालयीन मान्यता व शक्ति स्वयं रामसनेही द्वारा दायर याचिका पर हुये ग्वालियर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मिली , जिस पर म.प्र. सरकार ने जाबालि योजना का निर्माण किया ! रामसनेही जाबालि योजना के वर्तमान क्रियान्वयन व पालन की स्थिति से अत्यधिक दुखी हैं ! वर्ष 1992 में इस योजना में नियत प्रावधानों और तय चरणों व घटकों का सम्यक पालन जहाँ आज तक नहीं हुआ वहीं राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा खुले मन से संचालित सामाजिक कल्याण की योजनाओं व कार्यक्रमों का भी लाभ निर्दिष्ट समुदाय को नहीं मिला है !

राज्य सरकार द्वारा निर्मित व संचालित जाबालि योजना के मुख्य पाँच घटक व चरण हैं , जिसमें पन्द्रह साल बीतने के बाद अभी तक महज पहला  घटक ही अभी तक अमल में आया है, शेष चार घटक अभी तक वास्तविकता व व्यवहारिक क्रियान्वयन के लिये सम्यक आदेश व परिपत्रादि जारी होने की प्रतीक्षा में प्रारंभ ही नहीं हुये हैं !

जहाँ बच्चों को मिलने वाली शिष्यवृत्ति पिछले पन्द्रह वर्ष में केवल एक बार ही रिवाइज हुयी वहीं उनके पोषण व पालन तथा स्वास्थ्य संरक्षण के लिये भी कोई पर्याप्त सहायता मुहैया नहीं कराई जा रही है ! इसके अतिरिक्त जहाँ इस योजना की समीक्षा करके इसे सिंहावलोकन व पुनर्विलोकन उपरान्त रिवाइज कर वर्तमान हालातों के अनुरूप प्रासंगिक व पर्याप्त मदीय व्यवस्था व समुचित सहायता निर्धारण आदि किया जाना था वह अभी तक नहीं किया गया है !

योजनान्तर्गत दी जाने वाली प्रथम घटक परियोजना की सहायता प्रशासनिक विभागों द्वारा मांग अनुरूप प्रदान न की जा कर स्वेच्छाचारिता पूर्वक मनमाने ढंग से कटौती कर दी जाती है और सहायता भी काफी विलम्ब से प्रदान की जाती है, जिससे इस योजना के लिये कार्य कर रहीं संस्थाओं पर काफी वित्तीय भार हो कर कर्ज लेकर योजना के तहत बच्चों के कल्याण आश्रम का संचालन करना पड़ता है जिससे काफी कर्ज संस्थाओं पर दिनों दिन बढ़ता जा रहा है !

इस समस्या को लेकर विगत माह माननीय राष्ट्रीय महिला आयोग एवं राज्य महिला आयोग की सदस्याओं को ज्ञापन अभ्युदय आश्रम की ओर से भी सौंपा गया था, लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुयी है !

इसी प्रकार इस योजना के तहत होने वाली बैठकें जहाँ नियमित रूप से आयोजित नहीं की जातीं वहीं पूर्व में सम्पन्न बैठकों में लिये निर्णय व इसके पश्चात शासन द्वारा जारी आदेश व परिपत्रों का पालन अभी तक किसी भी विभाग व अधिकारी द्वारा नहीं किया जा रहा है, जिससे वैश्यवृत्ति कुप्रथा का समग्र व सम्पूर्ण उन्मूलन नहीं हो पा रहा है ! तथा विभागीय अधिकारीयों की सकारात्मक व सक्रिय भूमिका के अभाव में समाज से इसका उन्मूलन संभव प्रतीत नहीं होता !

भारत सरकार द्वारा वैश्यावृत्ति उन्मूलन के लिये बनाई गयी राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत मध्यप्रदेश सरकार द्वारा गठित राज्य स्तरीय समन्वय समिति की भी बैठकें भी नियमित व सुचारू रूप से आयोजित नहीं कीं जातीं , पिछले समय में इस समिति के गठन से लेकर अभी तक इसकी महज तीन बैठकें हीं हुयीं है, जबकि इसकी त्रैमासिक बैठक आयोजित की जाना आवश्यक एवं निर्धारित हैं ! इसकी बैठकों का हाल यह है कि पूर्व में हुयी बैठकों में चर्चा किये गये मुददों और निर्णयों को ही ज्यों का त्यों दोबारा कम्प्यूटर से टाइप कर उतार दिया जाता है, तथा इन निर्णयों पर कभी कोई कार्यवाही कभी की ही नहीं जाती !

अनुरक्षण गृहों की लायसेन्स प्रकिया में वर्गीकरण और छूट के सम्बन्ध में अनेक बार निर्णय हुये अनेक आदेश व परिपत्रादि जारी किये गये किन्तु गृह विभाग ने आज तक इस सम्बन्ध में न कोई नीति बनाई न कोई आदेश जारी किये परिणाम स्वरूप वैश्यावृत्ति निरोधक कानून के तहत पकड़े गये और स्वेच्छापूर्वक वैश्यावृत्ति त्यागने वालों के बीच कोई फर्क नहीं है तथा इनके पृथक व समुचित संरक्षण व अनुरक्षण की कोई वर्तमान व्यवस्था नहीं है ! वैश्याओं के स्वास्थ्य चिकित्सा, पुनर्वास व उपचारादि के लिये समुचित व पर्याप्त प्रावधान व व्यवस्था अभी तक नहीं की गयी है, परिणामत: वृत्ति छोड़ने के इच्छुक स्वत: ही निरूत्साहित हो रहे हैं ! उनके परिवारीजन के लिये व उनके बच्चों के लिये वैकल्पिक रोजगार व्यवसाय व पुनर्वास के प्रावधान व दिशा निर्देश अभी तक जारी नहीं किये गये हैं अत: वे अभी तक यथा दयनीय स्थित में जीवन पोषण हेतु बाध्य हैं !

रामसनेही राई नृत्य को एक व्यावसायिक नृत्य बताते हुये इस पर शासन द्वारा प्रतिबन्ध लगाये जाने की मांग की है, उनके मुताबिक यह नृत्य अश्लील भाव भंगिमाओं व अमर्यादित आचरण व व्यवहार से युक्त वासना व कामुकता का न केवल सार्वजनिक प्रदर्शन है बल्कि वैश्यावृत्ति व्यवसाय के लिये प्रारंभिक व कुशलता प्रशिक्षण भी है ,जिसमें वैश्यावृत्ति करने के लिये कामुकता व अश्लीलता का सार्वजनिक प्रदर्शन व प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष आमंत्रण होता है ! जो कि निन्दनीय व प्रतिबन्ध योग्य है ! इसे सरकार लोकनृत्य के दर्जे से तुरन्त हटाये और इसकी लोकनृत्य मान्यता को समाप्त करे !

रामसनेही ने वर्तमान परिवेश व वातावरण में फिल्मों व टी.वी. कार्यक्रमों में परोसी जा रही अश्लीलता को भी राई नृत्य के समकक्ष बताया और कहा कि ऐसे कार्यक्रमों पर भी रोक आवश्यक है इससे युवाओं के चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व निर्माण में कठिनाई आती है और उनमें वैश्यावृत्ति प्रवृत्ति की ओर झुकाव तथा अभिरूचि वृध्दि होती है ! उन्होंने बम्बई की डान्स बारों का उध्दरण करते हुये बताया कि जब सरकार ने डान्स बारों को हानिकारक व वैश्यावृत्ति वृध्दिकारक माना जो कि राई नृत्य का अंश भाग ही था तो सम्पूर्ण राई नृत्य जो कि सारी सारी रात किया जाता है और इससे भी अधिक अभिसारक होता है तो राई को प्रतिबन्धित नहीं किया जाना चिन्ताजनक है , अफसोस जनक यह है कि इसे अभी तक समाज विशेष व जाति विशेष का नृत्य माना जाता है, जबकि वस्तुस्थिति यह है कि किसी न किसी रूप में यह पार्टी, डान्स व सिनेमा या टी.वी. के रूप में लगभग हरघर तक पहुँच चुका है ! जब शिल्पा शेटटी के सार्वजनिक चुम्बन को भारत में अश्लील प्रदर्शन माना जाता है तो राई में इस प्रकार के कृत्य रात रात भर होते हैं अत: इसे भी इसी दर्जे पर तिरस्कृत व प्रतिबन्धित किया जाना चाहिये ! रामसनेही ने पत्रकारों को बताया कि वैश्यावृत्ति की कुप्रथा अब सिर्फ बेड़िया बांछड़ा समुदाय तक ही सीमित नहीं रह गयी है , और अब इस कुत्सित व्यवसाय में अन्य जातियों व समाज के लोग भी इसे बतौर पेशा अपनाने लगे हैं चो वे कालगर्ल हो या कबूतर बाज या सैक्स रैकेटस , जैसा कि पुलिस द्वारा कई मामलों में देह व्यापार में लिप्त अन्य जाति व समुदाय के लोगों को पकड़ा गया है ! लेकिन इस प्रकार पकड़े गये या वैश्यावृत्ति व्यवसाय से जुड़े अन्य जाति समुदाय के लोगों के लिये अभी तक पृथक से कोई पुनर्वास व कल्याण की योजना उपलब्ध नहीं है ! अत: इस प्रकार इन लोगों को कोई संरक्षण पुनर्वास व अनुरक्षण उपलब्ध नहीं है, इन्हें भी या तो बेड़िया बांछड़ा समुदाय का सदस्य घोषित किया जाना चाहिये और इन्हें भी पुनर्वास व कल्याण कार्यक्रमों का लाभ मिलना चाहिये अथवा कोई ऐसी योजना व कार्यक्रम बनाया जाना चाहिये कि इन लोगों को हमारी योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके ! राई नृत्य के समतुल्य समस्त अश्लील व कामुक नृत्यों व प्रदर्शन करने वालों को भी इसी प्रकार योजना का लाभ दिलाने हेतु उपाय किये जाना चाहिये !        

 

क्रमश: जारी अगले भाग में   

 

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