बुधवार, 17 जून 2009

चम्बल घाटी संघर्ष समिति द्वारा चम्बल बीहड़ बचाओ आंदोलन के द्वितीय चरण का शंखनाद चिन्नौनी से (दैनिक मध्‍यराज्‍य)

चम्बल घाटी संघर्ष समिति द्वारा चम्बल बीहड़ बचा आंदोलन के द्वितीय चरण का शंखनाद  चिन्नौनी से

चम्बल बीहड हमारी बपौती  है उद्योगपतियों की  नहीं -सूबेदार सिंह

मुरेना 16 जून 09 (दैनिक मध्‍यराज्‍य)  सरनाम त्यागी महामंत्री चम्बल घाटी संघर्ष समिति ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि 14 जून को दोपहर ठीक 12 बजे ग्राम चिन्नौनी चम्बल में एक विशाल केवट एवं किसान सम्मेलन सम्पन्न हुआ इस सम्मेलन की अध्यक्ष अध्यक्ष मण्डल रामजीलाल मलहा, जनपद सदस्य रामहेत मलहा, मानपाल महला, सरमन महला द्वारा की गई। इस सम्मेजलन में लगभ 3000 तीन हजार प्रतिनिधियों ने भाग लिया छतों व पेड़ों पर ढ़कर लोगों ने अपने नेताओं के भाषण सुने। सम्मेलन का संचालन राजाराम सोलंकी इंजीनियर कुम्हेरी द्वारा किया गया।

       सम्मेलन को सर्व श्री सूबेदार सिंह पूर्व विधायक एवं संघर्ष संचालक चम्बल घाटी संघर्ष समिति एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री रक्षपाल सिंह तोमर एडवोकेट बनावारी लाल शर्मा जापथाप, मार्क्सवादी कम्यूनिष्ट पार्टी के नेता श्री अशोक तिवारी, श्री राजेन्द्र सिह सिकरवार पूर्व सरपंच श्री राम किशन प्रजापति, श्री दाताराम गौड़, श्री सरनाम त्यागी, श्री अनार सिंह सिकरवार, पूर्व  जनपद सदस्य श्री रवीन्द्र सिंह सिकरवार, बमनपुरा, श्रीगज सिंह जादौन पूर्व सरपंच श्री बैजनाथ सिंह सिकरवार श्री उदय सिंह सिकरवार भर्रा, श्री राजेन्द्र सिंह सिकरवार सरपंच बर्रेड आदि प्रमुख नेताओं के भाषण हुये।

       श्रीरक्षपाल सिंह ने कहा कि जल जमीन जंगल पर अधिकार वहां के निवासियों का है यह जमीन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों एवं उद्योगपतियों को नहीं दी जा सकती है आप आंदोलन शुरू करें हम भी आपके साथ अम्बाह, पोरसा आदि स्थानों पर आंदोलन शुरू करेंगे।

       श्री बनवारी लाल शर्मा जापथान ने कहा कि चम्बल घार्टी का इतिहास वीरता का रहा है इस दोर के वहदुर लोग आंदोलन से पीछे नहीं हटेगें इस आंदोलन के जाति धर्म की राजनीति करने वाले लोगों को भविष्य में संरक्षण नहीं मिलेगा तथा साम्प्रदायिक्ता का जहर खतम होगाा पूंजीपतियाें को घुसने नहीं देगें जरूरत पडी तो मशीनोंके आगे लेटकर अपनी जान देदेगं ।

श्री अशोक तिवारी ने कहा कि हमलोगों ने बीहड बचाओं आंदोलन शुरू किया था बैगर बैहड जमीन को देना हो तो यहां के नो जवानो को दो वे उद्योग पतियों से ज्यादा कीमत देने को तैयार है।

        श्री सुवेदार सिंह ने कहा कि चम्बल नदी हामरी जीवन रेखा है खेती के बिहड़ी से ककारा , टेंटी अनुपयोगी, सूखी लकड़ी बेचकर  अपना व अपने परिवार का पेट पालते है तथा मवेसी नदी का पानी पीकर तथा घास खाकर जिन्दा है। 6-7 बर्ष से लगातार सूखा पड रहा है। चम्बल नदी ही सबक पाल रही है। अगर ये नदी नहीं होती तो यहां के निवासी कभी के पलायन कर गये होते। अगर अब शासन, एवं उद्योगपति इस की कीमत जमीन से बेदखल यहां के निवासियंो को कर रही है। लोगपलायान के लिये मजबूर होंगे। यहां के निवासियों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराना उनके नसीब में नहीं है। बिहड़ की जड़ी बूटियों से बीमारी का इलाज स्वयं कर लेते है।

        श्री सिंह ने कहा कि हमारी पूर्वज पहिले मवेशी रखते थे। इस कारण पानी व चारे के सहारे यहां बस गये। फिर धीरे धीरे खेती करने लगे। परन्तु बिहड़ कटाव के कारण जमीन बिहड़ बनती गयी तथा गांव उजडते चले गये। चम्बल बिहड़ भूमि हमारी पूर्वज की है। हमारी बपौती की है। उद्योगपतियों की बपौती नहीं है। पहला हक हमारा है।

       श्री सिंह ने कहा कि ऐसा पता लगा है कि भाजपा ने चंदा के रूप में करोड़ों रूपये चुनाव के लिये प्राप्त किये। उसके बदले उद्योगपतियों को पूरा चम्बल नदी का बिहड पट्टे पर गुपचुप चोरी छूपे दे दिया। हमें सुनाया तक भी नहीं गया। इसके अतिरिक्त पर्यावरण एवं बन विभाग की सहमति बिना तथा केन्द्रीय शासन की बिना अनुमति के भूमि पट्टे पर नहीं दी जाकती।  सघर्ष समिति केन्द्रीय शासन से हस्तक्षेप करने तथा पट्टे निरस्त करने के लिऐ अपना पक्ष रखेगी।

       श्री सिंह ने कहा कि क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या है। इस लिये यह भूमि रतन ज्योति पैदा करने तथा अन्य चीजें पैदा करने को देनी है। तो यहां के नौजवानों को जमीन पट्टे पर दे दी जावे। चम्बल घाटी का आंदोलन एक दो दिन का नहीं है। यह जब तक चलता रहेगा तब तक बोरी  बिस्तर उठाकर उद्योगपति यहां से चले नहीं जावेंगे।

       श्री सिंह ने कहा कि केवट ने ही भवगवान राम को बिना उतराई लिये नदी पार कराई थी। आज केवटों पर संकट है। अब हमें इस संकट की घडी में उनका साथ देना चाहिय। अंत में श्री राजेन्द्र सिंह पूर्व सरंपच चिन्नौनी ने आभार प्रगट किया तथा इस भीषण गर्मी में सम्मेलन में पधारने के लिये धन्यवाद दिया तथा सम्मेलन के समाप्ती की घौषणा की।

 

कोई टिप्पणी नहीं :