रविवार, 3 जून 2007

ठाकुरों ने कहा-गूजरों की मांग सही, राजपूतों को घोषित करें पिछड़ा वर्ग

ठाकुरों ने कहा-गूजरों की मांग सही, राजपूतों को घोषित करें पिछड़ा वर्ग

जरूरत पड़ी तो देगें गूजरों का साथ, और उतरेंगे सड़कों पर

असलम खान-ब्यूरो चीफ मुरैना

मुरैना 3 जून 2007 ! राजस्थान के गूजरों को राजपूतों का सांकेतिक समर्थन मिलने लगा है, लेकिन इसके साथ ही राजपूतों ने गूजरों से यह भी अपील की है कि वह राजपूतों को पिछड़ा वर्ग में घोषित करने की उनकी मांग का समर्थन करें !

उल्लेखनीय है कि चम्बल के किनारे जिन तीन प्रदेशों उत्तरप्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमाओं को मिलाते हैं वहाँ राजपूत बहुसंख्यक होकर प्रबल भी हैं ! ऐसे में चम्बल के राजपूतों द्वारा राजपूतों को पिछड़ा वर्ग में घोषित करने और गूजरों के आन्दोलन को समर्थन की बात काफी अहमियत रखती है !

लगभग सभी क्षत्रिय राजपूत इन दिनों बदहाली और बेरोजगारी से त्रस्त होकर काफी गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं ! किसी समय भारत पर एकक्षत्र साम्राज्य चलाने वाली दोनों जातियां गूजर और राजपूत आजकल फाकाकशी के दौर से गुजर रहे हैं !

यदि राजपूत समुदाय का समर्थन गूजरों को मिलता है तो कोई शक नहीं कि उनकी ताकत असीम हो जायेगी ! वहीं राजपूत भी सशक्त और अजेय हो जायेंगे !

राजपूतों ने जहाँ गूजरों की मांग को जायज ठहराया है और उनके आन्दोलन को समर्थन का संकेत किया है वहीं राजपूतों को भी पिछड़ा वर्ग में घोषित कर आरक्षण की मांग की है ! इसके साथ ही एक हस्ताक्षर अभियान भी राजपूतों को आरक्षण दिलाये जाने हेतु प्रारंभ किया गया है !

चम्बल के राजपूतों से इस सम्बन्ध में जब ग्वालियर टाइम्स ने चर्चा की तो अधिकांश लोग राजपूतों के आरक्षण दिये जाने पर एकमत नजर आये वहीं गूजरों की लड़ाई को वक्ती जरूरत और हालाती उपज कह कर जायज ठहराया ! साथ ही कुछ लोगों ने यह भी जोड़ा कि आरक्षण समस्या है या निदान, अब यह परीक्षा की घड़ी है, अब निदान को पर्याप्त और उचित दिये जाने की मांग गूजर कर रहे है, तो क्या गलत कर रहे हैं ? आखिर किस पैमाने से उन्हें पिछड़ा वर्ग में ठौर दिया गया और अब किस पैमाने से उन्हें अनुसूचित जन जाति नहीं घोषित किया जा रहा ? आखिर इस वर्ग घोषणा का मापदण्ड क्या है ? तो फिर क्यों नहीं गूजर अनुसूचित जन जाति के हो सकते ? इसी प्रकार राजपूत क्यों नहीं पिछड़ा वर्ग के हो सकते ?

चम्बल के राजपूतों ने कहा है कि सभी राजपूत इस सम्बन्ध में एकराय और एक नीति बना कर अपनी रणनीति बनायेंगे और फिर आन्दोलन की रूप रेखा तय की जाकर संघर्ष करेंगे !

उधर मध्यप्रदेश के दूसरे छोर से यादवों ने भी खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग कर डाली है, पुष्ट सूत्रों के अनुसार अहीर, किरार और जादव आदि समुदाय इन दिनों बैठकें करने तथा अनुसूचित जनजातीय दर्जा पाने की रणनीति बनाने में जुटे हैं !

 

कोई टिप्पणी नहीं :