मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010

संस्कारित आचरण की शिक्षा आवश्यक-मुनि संभव सागर

संस्कारित आचरण की शिक्षा आवश्यक-मुनि संभव सागर

बानमोर..मिलन वाटिका में जैन समाज की ओर से एक धर्मसभा का आयोजन किया गया। जिसमें संत शिरोमणी आचार्य विधासागर जी महाराज एवं उनके शिष्य मुनि संभव सागरजी महाराज तथा भाव सागर जी महाराज द्वारा प्रवचन दिये गये। धर्म सभा को संबोधित करते हुये जैन मुनि संभव सागर जी महाराज ने कहा कि जीवन की डोर धर्म में निहित है,धर्म ही व माध्यम है जिसके द्वारा संस्कार एवं आचरण की शिक्षा दी जाती है। धर्म सभा में मुनी अनुभव सागर महाराज ने सस्कार ने पाठ शालाओं को श्रेयश्कर बताया जहा बच्चों को नैतिकता का बौध कराया जाता है। उन्होने कहा कि पालकों को अपने बच्चों को पाठशालाओं में भेजना चाहिऐ जिससे वर्तमान में पनप नही टीवी संस्कृति से छुटकारा मिल सकें। सभा को भाव सागर महाराज ने भी संबोधित किया धर्म सभा में प्रमुख रूप से राजेन्द्र प्रशाद जैन, सुरंगजैन, राजाराम जैन, परषोत्तम जैन, जगदीश जैन, मनोजजैन, शेखर जैन, नत्थीजैन, अशोक जैन,पवन जैन, पारश जैन,सहित अनेक जैन बन्धु उपस्थित थे।

 

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