शनिवार, 14 अप्रैल 2007

मलेरिया नियंत्रण में जिला कलेक्टर व्यक्तिगत रूप से रूचि लें

मलेरिया नियंत्रण में जिला कलेक्टर व्यक्तिगत रूप से रूचि लें

केन्द्रीय स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ0 अंबुमणि रामदास ने आज यहां, देश के मलेरिया संक्रमित जिलों के कलेक्टरों की बैठक का उद्धाटन किया । इस मौके पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री नरेश दयाल, स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक श्री आर के श्रीवास्तव और स्वास्थ्य मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे ।

स्वास्थ्य मंत्री श्री रामदास ने कहा कि कलेक्टर जिला प्रशासन का स्तंभ होता है। उन्होंने कहा कि रोग नियंत्रण समेत कोई भी कार्यक्रम कलेक्टर को ही पहल और उसके प्रयासों के कारण सफल होता है । उन्होंने कहा कि हमने इसी वजह से कलेक्टरों को जिला स्वास्थ्य समिति का अध्यक्ष बनाया है । ताकि मलेरिया के नियंत्रण में सही समय पर फंड जारी किया जा सके । श्री रामदास ने कहा कि उन्हें कलेक्टरों की नेतृत्व क्षमता और जिम्मेदारियों पर जोर देने की जरूरत नहीं है, लेकिन उन्हें मलेरिया नियंत्रण मामले में व्यक्तिगत रूचि लेकर जिले के स्वास्थ्य तंत्र को और मजबूत बनाना चाहिए । मंत्री महोदय ने कहा कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि मलेरिया रोधी कार्यक्रम इस वजह से सफल रहे हैं क्योंकि इनमें कलेक्टरों ने अपना समर्पित सहयोग दिया ।

श्री रामदास ने कहा कि मलेरिया पर नियंत्रण और स्वास्थ्य स्तर में सुधार ठीक उसी तरह महत्वपूर्ण है जिस तरह कि गरीबी उन्मूलन और सतत विकास । मंत्री महोदय ने कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि मलेरिया नियंत्रण पर पिछले कुछ सालों के दौरान कुछ सफलता मिली है लेकिन 21वीं सदी के ऐसे समय में जब तकनीकी और चिकित्सा के क्षेत्र में हम इतने आगे बढ चुक़े हैं , इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में लोग मलेरिया जैसे उपचार योग्य रोग से ग्रसित हैं और मर रहे हैं । श्री रामदास ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता समिति, उप केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और जिला स्वास्थ्य केन्द्रों को बिना शर्त धनराशि जारी की जा रही है । मंत्री महोदय ने कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदायगी के आधारभूत ढांचे में खामियों से निपटने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला स्वास्थ्य केन्द्रों के लोगों को तैनात किया जा रहा है । श्री रामदास ने कहा कि राज्यों और जिलों को इस सहायता का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल करना चाहिए ताकि मलेरिया संक्रमित क्षेत्रों में रह रहे वंचित लोगों को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा सकें ।

श्री रामदास ने कहा कि हमने अपनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में मलेरिया से होने वाली मौतों में 2010 तक कमी लाने और मलेरिया के फैलने पर प्रभावी नियंत्रण पाने का लक्ष्य रखा है । श्री रामदास ने कहा कि हमारे पास उपलब्ध विशेषज्ञों और उपकरणों को देखते हुए हम इस लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेंगे । उन्होंने कहा कि हमें अपने प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है ताकि तय समय सीमा के अंदर हम इस लक्ष्य को हासिल कर सकें । इन प्रयासों को इसलिए भी और तेज करने की जरूरत है ताकि हम अपना सहस्राब्दी विकास लक्ष्य हासिल कर सकें । इसमें 2015 तक मलेरिया पर पूरी तरह काबू पाने की बात कही गई है । उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत को सिर्फ रोग नियंत्रण के लिए किए जाने वाले अकुशल कार्यान्वयन की वजह से नाकाम नहीं होना चाहिए । श्री रामदास ने कह कि मलेरिया नियंत्रण के संबंध में कुछ दिक्कतें जरूर हैं , लेकिन उन्होंने आश्वस्त किया कि फंड और अन्य जरूरी चीजों की कमी इसमें आड़े नहीं आने दी जाएगी । उन्होंने आशा व्यक्त कि कि एकीकृत प्रयासों और समर्पण से मलेरिया के संक्रमण को कम करने और अपने लक्ष्य को हासिल करने में जरूर कामयाबी मिलेगी ।

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