रविवार, 5 अप्रैल 2015

गौ रक्षा पर दो बातें हमारी भी सुन लीजिये

गौ रक्षा पर अपनी बात , हमारा मंतव्य - नरेन्द्र सिंह तोमर ''आनंद''
कुछ दिन से गौ रक्षा पर बड़े संदेश मिल रहे हैं, व्हाटस एप्प पर भी, फेसबुक पर भी , कई लोग पेज बना कर, ग्रुप बना कर उसमें शामिल कर रहे हैं, खैर हम केवल इतना कहना और याद दिलाना चाहेंगें कि चन्द्रवंश का तोमर क्षत्रिय राजपूत राजवंश का राज चिह्न ही है ''गौ बच्छा रक्षा'' का निशान , और चन्द्रवंशीय क्षत्रिय तोमरों का राज चिह्न परम पराक्रमी महाभारत योद्धा पांडव इन्द्रप्रस्थ महाराज अर्जुन और उनके पौत्र ( अभ‍िमन्यु के पुत्र) महाराजा परीक्षत के महाभारत पर शासनकाल से ही है , स्वयं भगवान श्री कृष्ण द्वारा इसे तोमर राजवंश का राजचिह्न बनवाया गया था । हमारा यह राजचिह्न भगवान श्रीकृष्ण के साथ पांडवों द्वारा मूल निशान , मूल स्थान प्रयाग राज में स्थापित किया गया है और आज दिनांक तक सुरक्ष‍ित है, यह राज चिह्न या हमारा राज निशान हमारे हर किले पर , हमारे हर सिंहासन के ऊपर प्रतिष्ठ‍ित रहता आया है , चाहे वह इन्द्रप्रस्थ का किला हो ( पुराना किला - लालकोट परिसर दिल्ली) या चाहे ऐसाहगढ़ी का गढ़ हो या ग्वालियर का किला , ग्वालियर के किले में किले के ऊपर , किले के राजद्वार ( महाराजा मान सिंह तोमर के राजमहल के राजद्वार पर मंडप चौकी में अलग से प्रतिष्ठ‍ित था ) यह मंडप व चौकी आज भी राजमहल के द्वार पर मौजूद है , इसके अलावा ग्वालियर के किले के नीचे तराई में हर पौर के द्वार पर इसकी समुचित स्थापना व प्रतिष्ठा थी , ऐसाहगढ़ी से लेकर हस्ति‍नापुर व इन्द्रप्रस्थ ( दिल्ली) और ग्वालियर तक पांडवों से लेकर हर राज सिंहासन पर जितने भी तोमर क्षत्रिय राजपूत महाराजा करीब 5500 वर्ष तक सिंहासनारूढ़ रहे , सभी के किलों, राजमहलों और राज सिंहासनों पर '' गौ बच्छा रक्षा'' केा राजचिह्न सदैव ही स्थापित व प्रतिष्ठ‍ित रहा है, तोमर राजवंश के 5500 वर्ष के शासनकाल केवल आज वाला टुकड़ा मात्र भारत ही नहीं अपितु समूचे सप्तद्वाीप , ब्रह्मांड तक , तीन लोक तक यह तोमर - पांडव क्षत्रियों की राजाज्ञा रही और समस्त संपूर्ण विश्व ब्रह्मांड चर अचर , लोक , सप्त लोक, तक गौयें और गौओं के जाये बछड़े सदैव पूर्ण  निर्भय और निष्कंटक विचरण एवं चरनोई सहित साम्राज्य वान , बने रहे, कुल मिला कर तोमर साम्राज्य तो महज प्रतीक था , दरअसल गौओं और बछड़ों , सनातन धर्म का सर्वत्र अखंड राज्य साम्राज्य और धर्म पताका पचरंगी, हरा झण्डा चौकोर जिस पर चन्द्रमा का चिह्न अखंड अकाट्य होकर दसों दिशाओं में चकवर्ती सामाज्य रूप में फहराता रहा है, यहॉं तक कि तोमर राजवंश के राज चिह्न ''गौ बच्छा रक्षा'' के निशान को किसी भी तंग करने, या मारने, श‍िकार करने , भोजन बनाने या सताने की आज्ञा नहीं थी , यहॉं तक कि किसी भी जंगली पशु , जानवर चाहे वह स्वयं सिंह ( शेर ) ही क्यों न हों , गौ और बच्छा को स्पर्श करना तो दूर की बात उनकी ओर देखना मात्र भी निषेध व वर्जित था और ऐसी कोई घटना होते ही दोषी के पूरे कुल कुटुम्ब परिवार खानदान सहित तत्काल मृत्युदंड देकर , बगैर किसी सुनवाई और सफाई के तुरंत मौत के घाट उतार दिया जाता था । तोमर क्षत्रिय राजपूत राजवंश में किसी भी निरपराध, निर्दोष एवं निर्बल व लाचार को दंड देने या उसकी सहायता न करने का सख्त का निषेध है, किन्तु श‍िकार का निषेध नहीं है, किंतु गौ बच्छा रक्षा के मामले में सब कुछ त्याग कर केवल कुल खानदान परिवार सहित दंड मृत्यु सुनिश्च‍ित प्रावधान रहा है । सनातन धर्म और तोमर साम्राज्य के समापन के पश्चात अब यह विषय तोमर राजवंश के लिये अपने राजचिह्न या भारत के राह चिह्न या संपूर्ण महाभारत व विश्व ब्रह्मांड के राजचिह्न की हत्या वध से ज्यादा कुछ नहीं है । अब यह कलयुगी राजाओं या कलयुगी नेताओं के साम्राज्य युग हैं , आचार विचार हीन, धर्म विहीन, नैतिकता व ज्ञान , बुद्धि हीन, ओज व तेज विहीन,  आज्ञा व आदेश हीन ऐसे राजा हैं जिनकी बात देवता, ब्रह्मांड और प्रकृति व मनुष्य तो क्या , खग मृग व पालतू कुत्ते तक नहीं मानते,  इनमें किसके साथ क्या हो रहा है , चूंकि यह लोग सनातन धर्म को ही मानते हैं, अधर्मी विधर्मी , नीति विरूद्ध , शास्त्र विरूद्ध एवं राजाज्ञा विरूद्ध प्रकार के गैर क्षत्रिय व गुलामों व अनुचर श्रेणीयों के कुंठित व क्षुब्ध लोग हैं और समस्त शास्त्रों में यह सब जो चल रहा है वह सब पूर्व से ही वर्ण‍ित है , लिहाजा तोमर राजपूत क्षत्रिय राजवंश इस मामले से अन्य कुराजनीति व कुशासन या कुशास्त्रीय व कुतार्किक व्यक्त‍ियों एवं संस्थाओं से स्वयं को दूर रखना चाहता है, जब तक धर्म हानि और पाप का घट भर कर संपूर्ण न हो जायेगा , तब तक उनका संपूर्ण विनाश नहीं होगा , गौ हत्या या तोमर राजवंश के राजचिह्न की हत्या केवल एक छोटा से पाप मात्र है, वरना इनके पापों की सूची तो बहुत गहरी, घृण‍ित व अति घोर दंडनीय है , वक्त आने दीजिये , कौरवों का जैसे , रावण का जैसे समूचा कुनबा कुटुम्ब सब नाश हुआ , इन सबका भी स्वत: ही हो जायेगा ..... हर पाप अंकित हो रहा है , हर अपराध यह प्रकृति दर्ज कर रही है ..... हालांकि तोमर राजवंश राजपूत क्षत्रिय राजकुल आज भी इतनी ताकत व सामर्थ्य रखता है कि इस संबंध में आज भी निजी राजज्ञा व हुकुम फरमान जारी कर सकता है और पूरे देश में कत्ल ए आम मचवा सकता है और तत्क्षण गौ हत्या बंद करवा भी सकता है और ऐसे आचार नीति व ज्ञान विहीनों को भारत से बाहर किसी भी वक्त खदेड़ भी सकता है, किन्तु शास्त्रों में ऐसी कोई राजाज्ञा या हुकुम फरमान जारी करने का यह वक्त मुकर्रर नहीं है , और उसका समय शास्त्रों में ही सुनिश्च‍ित है ....  केवल मात्र एक यही राजकुल व राजवंश है , जिसके राज निशान या राजचिह्न में न तलवारें मिलेंगीं , न शेर मिलेंगें, न ढाल मिलेगी, न अस्त्र शस्त्रों के निशान और न सांप बिच्छू मिलेंगें ..... बस केवल बच्छे को दूध पिलाती गाय की रक्षा ही मिलेगी .... यही हमारी धर्मध्वजा है, यही हमारा सनातन धर्म है, यही हमारा पांडवों का तोमर राजवंश का शासनकाल था ....... जय श्री कृष्ण .... जय जय श्री राधे

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