शुक्रवार, 19 दिसंबर 2008

पावर गोल डब्बा गोल ये कैसा आतंकवाद है भई

मुरैना 19 दिसम्बर , भये चुनाव लला अब काहे की बिजली ! पूरे दिन और रात भर कटौती का कोहराम मचाती बिजली का तो यही संदेश है ! आप इसे राजनैतिक बदला या आतंकवाद कह लीजिये वैसे ग्वालियर चंबल का मीडिया तो इसे राजनीतिक प्रतिशोध बोल रहा ही है ! वैसे सच ये है कि ग्रामीण क्षेत्रोँ की दशा तो और भी ज्यादा बुरी है ! जनता की समस्या केवल बिजली कटौती तक ही हो ऐसा नहीं है , वोल्टेज फ्लक्चुयेशन्स भी कोई कम कहरकिया नहीं है, तकरीबन 60 वोल्ट से लेकर 500 वोल्ट तक चल रहे उच्चावच से जहाँ सैकडोँ लोगोँ के कीमती उपकरण अब फुँक कर लोगों का करोडोँ का नुकसान हो चुका है वहीँ आम जनता का रोजगार धन्धा पूरी तरह चौपट हो चुका है ! जनता की समस्याओं से कोई सरोकार न रखने वाली सरकार के नान टेक्नीकल मुख्यमंत्री और प्रशासन होने का भरपूर लाभ भ्रष्ट बिजली अधिकारी उठाते हैं और जम कर मूर्ख बनाते रहते हैँ !
जहाँ अन्धी अघोषित बिजली कटौती का दंश जनता झेल रही है वहीं म.प्र. में व्याप्त भारी बेरोजगारी के चलते लाखोँ का कर्ज लेकर स्वरोजगारी युवा बिजली टेंशन के चलते जहाँ भुखमरी और बदहाली में आत्महत्यायें कर रहें हैं वहीँ आपराधिक कार्योँ से भी जुड रहे हैं !
मालिक के बजाय नौकर बनाने पर तुली सरकार के खिलाफ अँचल के युवाओँ में भारी रोष व आक्रोष व्याप्त है !

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