सोमवार, 28 जनवरी 2008

प्रदर्शनी में चित्रित हुआ विकास , कलेक्टर ने किया प्रदर्शनी का अवलोकन

प्रदर्शनी में चित्रित हुआ विकास , कलेक्टर ने किया प्रदर्शनी का अवलोकन

मुरैना 28 जनवरी 2008// गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी की सांय नगर पालिका के सामुदायिक भवन में जिला जनसम्पर्क कार्यालय द्वारा ''भारत पर्व'' के अवसर पर राज्य स्तर की चार वर्षों की उपलब्धियों पर आधारित विकास प्रदर्शनी का आयोजन किया गया कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया उन्होंने कहा कि योजनाओं की जानकारी से अवगत कराने के लिए प्रदर्शनी एक सशक्त माध्यम है और आशा है कि इस प्रदर्शनी से प्राप्त जानकारी से लोग लाभ उठाने की पहल करेंगे सरकार ने चार वर्ष में जनता की भलाई के लिए कई क्षेत्रों में चमत्कृत कर देने वाले कार्य किये हैं बिजली, सड़क , पानी के अलावा महिलाओं और विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व नवाचारी कदम उठायें गये हैं   आमजन को इस प्रदर्शनी से लाभ उठाने की पहल करनी चाहिए

       सहायक संचालक जनसम्पर्क श्री ओ.पी. श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रदर्शनी में राज्य और जिला स्तर की उपलब्धियों को छाया चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है । प्रदर्शनी में जहां मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के 24 महीनों के कार्यकाल में उठाये गये 48 प्रमुख कदमों का विवरण दिया गया है, वहीं जन दर्शन , समाधान ऑन लाईन, मुख्य मंत्री कन्यादान योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, जल अभिषेक ,साइकिल प्रोत्साहन योजना और किसान, महिला , आदिवासी और कोटवार पंचायतों को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है । जिला स्तर पर लागू की गई वितरण व्यवस्था के साथ ही, सड़क पानी, बिजली की योजनाओं को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।

 

चौदह स्वास्थ्य कर्मियों को नोटिस

चौदह स्वास्थ्य कर्मियों को नोटिस

मुरैना 28 जनवरी 2008// मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. विकास दुबे ने जिले के 14 स्वास्थ्य कर्मियों को कर्तव्यों के प्रति लापरवाही और उदासीनता बरतने पर कारण बताओ सूचना पत्र जारी किये है। यह कार्रवाई जिला टीकाकरण अधिकारी डा. जी.एस. तोमर के निरीक्षण प्रतिवेदन के आधार पर की गई है।

       जिला टीकाकरण अधिकारी डा. तोमर को निरीक्षण के दौरान उपस्वास्थ्य केन्द्र दिमनी में ए.एन.एम. श्रीमती गायत्री शर्मा और श्री कदम सिंह इन्दौलिया, सेक्टर श्यामपुर में एम.पी.एस. श्री विशाल सिंह परमार और एल.एच.व्ही. श्रीमती मिथलेश श्रीवास्तव, उपस्वास्थ्य केन्द्र चांदपुर में एन.एन.एम. श्रीमती सरोज भटनागर और पुरूष स्वास्थ्य कार्यकर्ता श्री महावीर इन्दौलिया, उपस्वास्थ्य केन्द्र ऐसाह में ए.एन.एम. श्रीमती सरोज कुलश्रेष्ठ, उपस्वास्थ्य केन्द्र कुथियाना में ए.एन.एम. श्रीमती उर्मिला राजौरिया और श्री विशाल सिंह घुरैया, उपस्वास्थ्य केन्द्र थरा में ए.एन.एम. श्रीमती संगीता तोमर और एम.पी.डब्ल्यू श्री एस.एस. नरवरिया तथा उपस्वास्थ्य केन्द्र कुकथरी में ए.एनएम पूनम वघेल कर्तव्य से अनुपस्थित पाये गये। उपस्वास्थ्य केन्द्र वरेह में श्रीमती निर्मला राजौरिया और श्री हरिमोहन सखवार का कार्य संतोषजनक नहीं पया गया।

 

अश्विन भट्ट और उनके चालक की एक हफ्ते में सकुशल रिहाई

अश्विन भट्ट और उनके चालक की एक हफ्ते में सकुशल रिहाई

 

विख्यात औषधि निर्माता कंपनी निकोलस पिरामल की पीथमपुर यूनिट के प्रेसिडेन्ट श्री अश्विन भट्ट को मध्यप्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स ने अपहरण के एक सप्ताह के भीतर 26 जनवरी को सकुशल मुक्त करा लिया। एसटीएफ द्वारा अपहरणकर्ताओं की पहचान कर ली गई है तथा उनकी शीघ्र गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।

श्री अश्विन भट्ट का 18 जनवरी को ग्वालियर से इंदौर जाते समय तब अपहरण कर लिया गया था जब वे डेस्टिनेशन मध्यप्रदेश कार्यक्रम के तहत ग्वालियर में वायर सेलर्स मीट में अपना प्रस्तुतीकरण देने के बाद वापस इंदौर जा रहे थे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने श्री भट्ट के अपहरण को गंभीरता से लेते हुए उनकी रिहाई की जवाबदारी मध्यप्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स को सौपते हुए उनकी सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे।

मध्यप्रदेश में उद्यमिता का जो उत्साहपूर्ण वातावरण बना है, अपहरण की इस घटना को उसके विरुध्द इस्तेमाल किया जा रहा था। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुलिस को श्री भट्ट की सकुशल रिहाई के सख्त निर्देश दिए थे। वे इस प्रकरण की प्रगति पर निरंतर नजर भी रखे हुए थे। उन्होंने ग्वालियर भ्रमण के दौरान विश्वास व्यक्त किया था कि श्री भट्ट को अतिशीघ्र सकुशल रिहा करा लिया जाएगा।

श्री अश्विन भट्ट 18 जनवरी को पूर्वान्ह 11-45 बजे टयोटा करोला गाडी से इंदौर के लिए रवाना हुए थे। ग्वालियर से 40-45 मिनट सफर तय करने के बाद घाटी गांव से 15 किलोमीटर दूर शिवपुरी मार्ग पर एक टाटा सूमो में सवार पॉच लोगों ने उनकी गाडी को ओवर टेक कर रोक लिया। गाडी रुकते ही बदमाशों ने दहशत फैलाने के लिए एक फायर किया। बदमाश श्री भट्ट तथा उनके ड्रायवर बाबू सिंह दोनों को उसी टयोटा गाडी में डालकर शिवपुरी की तरफ चले। कुछ दूर जाने के बाद उन्होंने गाडी वापस ग्वालियर की तरफ मोडी और दोनों को टाटा सूमो में डाला। कुछ समय तक ड्राइव के बाद गाडी रुकी और अपहरणकर्ता दोनों की ऑंखों पर पट्टी बांधकर तीन चार घंटे तक पक्की सडक और कच्चे रास्तों पर चले। एक अनजान बीहड के टपरे में पहुँचा कर दोनों को वहाँ बंधक बनाकर रख दिया गया।

इस अपहरण के विश्लेषण के बाद एसटीएफ की टीम इस निश्कर्ष पर पहुँची कि अपहरण करने वाले एक गिरोह के लोग थे और श्री भट्ट को बंधक बनाए रखने वाले दूसरे गिरोह के लोग। सुरक्षित रिहाई के लिए एसटीएफ ने ग्वालियर और इंदौर रेंजों की पुलिस के अलावा उत्तरप्रदेश एसटीएफ की आगरा यूनिट से तालमेल स्थापित कर मुखबिरों का विशाल नेटवर्क कायम किया। इस काम में लगी विभिन्न टीमों को आगरा, कानपुर, धौलपुर तथा अन्य शहरों में रखा गया तथा आपस में सूचनाओं का निरंतर आदान-प्रदान किया गया। 26 जनवरी की सुबह मुखबिर से सूचना मिली कि मुरैना जिले के सराय छोला थाना क्षेत्र में कुछ बदमाशों द्वारा दो लोगों को बंधक बनाया गया है। इस सूचना पर इस काम में लगी सभी टीमों के साथ थाना सराय छोला के सहायक उप निरीक्षक मुन्ना खान और आरक्षक विनोद सिंह तथा थाने के अन्य बल की पृथक-पृथक टुकडियाँ बनाकर संभावित क्षेत्रों की गहन सर्चिंग की गई। जब यह टीमें नटुआ का पुरा बीहडों में टीलों पर पहुँची तब उसे देखकर वहाँ मौजूद कुछ बंदूकधारी भागे। चूँकि दोनों अपहृत अपहरणकर्ताओं के कब्जे में थे इसलिए पुलिस ने उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फायरिंग नहीं की। पुलिस की सर्चिंग पार्टी जब बदमाशों के भागने के स्थान पर पहुँची तब खोहनुमा बीहड में दो व्यक्ति रस्सी से बंधे हुए मिले जो श्री भट्ट उनका ड्रायवर बाबू सिंह थे। एसटीएफ और पुलिस ने उनको मुक्त करा कर सुरक्षित उनके घर इंदौर पहुँचा दिया है।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अभियान में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों तथा अन्य पुलिसकर्मियों को बधाई दी है।

 

बदलते जीवन मूल्यों के बीच आदर्श व संवेदनाओं का हुआ प्रखर चित्रण

बदलते जीवन मूल्यों के बीच आदर्श व संवेदनाओं का हुआ प्रखर चित्रण

भारत पर्व पर '' बिन बाती के दीप'' का मंचन 

 

मुरैना 27 जनवरी 2008// जीवन मूल्य बदल रहे है । अवसरवादिता व स्वार्थ ने नये रूप धारण कर लिये हैं । मगर मानवीय संवेदना, सम्बन्धों की परिभाषा, कमजोरियों से आदर्श तक की यात्रा का जीवत दस्तावेज बन गया माुरैना में मंचित ''बिन बाती के दीप ''   मौका था भारत पर्व का ।

1857 के मुक्ति संग्राम के डेढ़ सौ वर्ष और स्वाधीनता की 60 वीं वर्षगांठ पूर्ण होने के अवसर पर 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को '' भारत पर्व'' के रूप में मनाया गया । देश में अपनी तरह के इस पहले आयोजन के अवसर मुरैना के सामुदायिक भवन में आर्टिस्ट कम्बाइन ग्वालियर के कलाकारों द्वारा सुविख्यात नाटककार डा.शंकर शेष के नाटक '' बिन बाती के दीप'' का मंचन किया गया ।

       स्वराज संस्थान, संस्कृति विभाग द्वारा जनसंपर्क संचालनालय और जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित भारत पर्व मुरैना के कला रसिकों को भाव-विभोर कर देने वाला दिन रहा । पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री रूस्तम सिंह के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस सांस्कृतिक संध्या पर कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी, भाजपा जिलाध्यक्ष श्री नागेन्द्र तिवारी, जिला पंचायत सदस्य श्री हमीरसिंह पटेल तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी और बड़ी संख्या में प्रवुध्द जन उपस्थित थे । अतिथियों का स्वागत मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री अभय वर्मा और सहायक संचालक जनसंपर्क श्री ओ.पी. श्रीवास्तव ने किया । सभी की उपस्थिति के प्रति आभार सहायक परियोजना अधिकारी जिला पंचायत श्री सुनील कुलश्रेष्ट ने व्यक्त किया ।

       श्री बसंत पराजपें द्वारा निर्देशित नाटक '' बिन बाती के दीप'' महत्वाकांक्षाओं, त्याग और समर्पण के बीच मुखर होते द्वंद्व की कहानी है । एक साधारण कवि शिवराज राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर होने की लालसा में संवेदनशील उपन्यासकार विशाखा से शादी कर लेता है । उपन्यास लेखन के दौरान विशाखा की आंखों की रोशनी चली जाती है । उपन्यास को पढ़कर शिव के मन में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त करने की लालसा प्रखर हो उठती है और वह इस उपन्यास को अपने नाम से छपवा लेता है। शिव रातोरात देश का सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकार बन जाता है । वह लगातार विशाखा को विश्वास दिलाता रहता है तथा उसे अगले उपन्यास लिखने के लिए प्रोत्साहित करता रहता है । साथ ही उसकी आंखों में गलत दवा डालता रहता है । उसके इस षड़यंत्र में उसकी टायपिस्ट प्रेमिका मंजू भी शामिल रहती है । इसी बीच विशाखा शिव के मित्र आनंद के साथ अपनी आंखों का इलाज कराने चली जाती है । एक दिन शिव को उपन्यास लेखन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा हो जाती है और चारों तरफ से उसे बधाइयां मिलने लगती है तभी विशाखा, आनंद के साथ अपनी आंखों का इलाज करवा के लौटती है शिव और मंजू उसे देखकर स्तब्ध हो जाते है और एक रहस्यमयी वातावरण में नाटक का समापन हो जाता है ।

       मंच पर शिव के रूप में अशोक आनंद और विशाखा के रूप में लावण्या जोशी, आनंद के रूप में गोपाल देशपांडे, मंजू के रूप में सम्पदा डेंगरे और नटवर लाल के रूप में केशव मजूमदार के उत्कृष्ट अभिनय को दर्शकों ने बार-बार तालियाँ बजाकर सराहा । शिव ने अपनी महत्वाकांक्षा और आत्मग्लानि तथा विशाखा ने अपनी उदारता, त्याग, समर्पण और विश्वास के बीच मुखर होते द्वद्व का भावुक संवादों के जरिये कुशल चित्रण किया और दर्शकों को भाव विभोर किया । संवादों के जरिये समाज को सच की राह अपनाने और त्याग व समर्पण के अपने जीवन में उतारने का संदेश देते हुए इस नाटक का सुखद व सार्थक समापन हुआ ।